ऑटोमेटिक होती दुनिया में रोज़गार तथा अन्य चिंताएँ | 30 Jan 2017

सन्दर्भ

  • हम हॉलीवुड फिल्मों में मशीनों एवं मानवो की जंग देख चुके हैं और प्रायः इसे हम फंतासी कथाओं की संज्ञा देते आए हैं| आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस अर्थात मशीनों को मानवीय भावों से युक्त करने की कवायद आरम्भ हो चुकी है और इसके सम्भावित प्रभावों को लेकर एक व्यापक बहस छिड़ी हुई है|
  • इस सभी बातों के बीच वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या यह है कि क्या होगा जब मशीनें प्रत्येक मानकों पर मानवो से कई गुना बेहतर कार्य करेंगी? 3 डी प्रिंटिंग और रोबोटिक्स जैसी तकनीक से विश्व की एक बड़ी आबादी बेरोज़गार नहीं हो जाएगी?
  • हम सब जानते हैं कि विज्ञान वरदान के साथ-साथ अभिशाप भी हो सकता है| 3 डी प्रिंटिंग और रोबोटिक्स के घोड़े पर सवार होकर आ रही इस चौथी औद्योगिक क्रांति के प्रतिफल क्या होंगे? आइये हम सभी प्रश्नों के उत्तर ढूँढने का प्रयास करते हैं|


रोज़गार पर प्रभाव

  • गौरतलब है कि तकनीकी नवाचार की इस सूनामी में हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा| रोबोटिक्स, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, नैनो टेक्नोलॉजी और वर्चुअल रियलिटी जैसी तमाम तकनीकें जब आपस में मिलेंगी तो उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रन्तिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा| ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक अकेले अमेरिका में अगले दो दशकों में डेढ़ लाख रोज़गार खत्म हो जाएंगे|
  • जहाँ ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने अपने अध्ययन में रोज़गार खत्म होने की आशंका जताई है वहीं बोस्टन विश्वविद्यालय ने अपने एक अध्ययन में कहा है कि तकनीकी नवाचार से रोज़गार के नएअवसर बढ़ेंगे|
  • यह तो ज्ञात है कि चौथी औद्योगिक क्रांति का रोज़गार उपलब्धता पर कुछ न कुछ नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा| लेकिन रोज़गार सृजन और रोज़गार विनाश की इस बहस का समाधान हम पूर्व की औद्योगिक क्रांतियों के अनुभव से अवश्य ही कर सकते हैं|


पूर्व के औद्योगिक क्रांतियों के निहितार्थ

  • पहली औद्योगिक क्रांति ने ब्रिटिश निर्माण को घरों से निकालकर कारखानों में पहुँचा दिया| पहली औद्योगिक क्रांति का सामाजिक जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा| औद्योगिक क्रांति के फलस्वरुप नए नगरों की स्थापना हुई तथा पुराने नगरों का विकास हुआ| उद्योगों की स्थापना के  कारण  नगरों में जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी जिससे अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गईं| औद्योगिक क्रांति के कारण समाज पूंजीपति और श्रमिक इन दो वर्गों में विभाजित हो गया और हिंसक संघर्ष भी देखने को मिला|
  • दूसरी औद्योगिक क्रांति का आधार विद्युतीकरण था जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा और परिवहन तथा संचार के नए संजालों का विकास हुआ| नए व्यवसायों का आरम्भ हुआ जैसे इंजीनियरिंग, बैंकिंग और शिक्षण| द्वितीय औद्योगिक क्रांति के दौरान ही मध्यम वर्ग का उदय हुआ| इस मध्यम वर्ग ने सामाजिक नीतियाँ बनाने की मांग की और सरकार की भूमिका बढ़ गई|
  • तीसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान उत्पादन के साधन और बेहतर हुए इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने रोज़गार के प्रचुर अवसर उपलब्ध कराए| गौरतलब है कि 1970 के दशक में जब पहली बार स्वचालित टेलर मशीन (एटीएम) बाजारों में पहुँचे तो लोगों को लगा कि यह खुदरा बैंकिंग में श्रमिकों के लिये एक आपदा होगी| लेकिन वास्तव में बैंकिंग सेवा क्षेत्र की नौकरियों में वृद्धि देखी गई|
  • अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकीकरण से रोज़गार की उपलब्धता में कमी नहीं आती बल्कि रोज़गार के तरीके बदल जाते हैं|

क्या हो आगे का रास्ता?

  • विदित हो कि पूर्व की तीनों औद्योगिक क्रांतियों में कुछ न कुछ विघटनकारी बातें हुई हैं और चौथी औद्योगिक क्रांति भी इससे अछूती नहीं रहने वाली है| लेकिन यदि हम अपने इतिहास से सबक लेते हैं तो चौथी क्रांति को अधिक से अधिक उद्देश्यपूर्ण बना सकते हैं|
  • तकनीकों के इस बदलते दौर में लोगों को ‘फिटर’ और ‘प्लम्बर’ जैसे कार्यों के लिये प्रशिक्षित करना उतना व्यवहारिक नहीं है| अब ज़रूरत इस बात की है कि उन्हें ड्रोन और रोबोट्स के कल-पुर्जे ठीक करने का कौशल दिया जाए और इस कौशल विकास की ज़िम्मेदारी हमारी शिक्षा व्यवस्था को उठानी होगी| लोगों को विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों के लिये कौशल दिया जाए और इसके लिये अवसंरचना का भी विकास किया जाए|
  • पूर्व के अनुभवों से यह ज्ञात होता है कि इन परिवर्तनों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं जो अपने कौशल क्षमता में निश्चित समय के भीतर वांछनीय सुधार लाने में असमर्थ होते हैं अतः सरकार को चाहिये की ऐसे लोगों को प्रशिक्षण के लिये पर्याप्त समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए|

निष्कर्ष

  • स्वचालित होती दुनिया में रोज़गार जनित चुनौतियों से तो निपटा जा सकता है लेकिन सबसे बड़े खतरे को टालना मुश्किल होगा| आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस युक्त मशीनों से जितने फायदे हैं, उतने ही खतरे भी हैं| विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें, तो मानवता के लिये खतरा पैदा हो सकता है| सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं| ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की "टर्मिनेटर" जैसी फिल्म में की गई है|
  • 3 डी तकनीक एक ऐसी क्रन्तिकारी तकनीक जिसमें सुई से वायुयान के पार्ट्स तक का निर्माण एक प्रिंटिंग मशीन के सहारे किया जा सकता है| हालाँकि इससे एक महत्त्वपूर्ण चिंता भी जुड़ी हुई है| यदि 3 डी प्रिंटिंग तकनीक के उपयोग से गोला-बारूद और हथियारों के भी निर्माण होने लगे तो, यह सुरक्षा के लिये एक गंभीर चुनौती हो सकती है|
  • नैनो तकनीक यानि इंजीनियरिंग की ऐसी विधा, जिसमें एक कण से भी छोटे पदार्थों का अध्ययन किया जाता है और शोध किये जाते हैं| नैनो तकनीक के अगर फायदे हैं तो नुकसान भी कम नहीं हैं| अभी तक वैज्ञानिक यह मानते थे कि अगर किसी पदार्थ की रासायनिक संरचना के बारे में पता चल जाए तो उसके व्यवहार के बारे में पता लगाया जा सकता है| जैसे कि नमक का स्वाद नमकीन ही होता है फिर चाहे नमक का टुकड़ा छोटा हो या बड़ा| लेकिन आज ऐसा नहीं है| अब साबित हो चुका है कि आकार-प्रकार का पदार्थ के व्यवहार पर असर पड़ता है| अगर ज़्यादा बड़ा आकार है तो तो पदार्थ नए तरीके का व्यवहार कर सकता है|
  • अतः चौथी औद्योगिक क्रांति के सम्भावित विघटनकारी प्रभावों का अध्ययन करते समय हमें इन बातों का भी ख्याल रखना होगा कि स्वचालित दुनिया बनाने की कवायद में कहीं हम दुनिया को सुरक्षित रखना ही न भूल जाएँ|