अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ऑस्ट्रेलिया में यौन उत्पीड़न के मामले में राष्ट्रीय स्तर की जाँच की शुरुआत
- 21 Jun 2018
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
ऑस्ट्रेलिया ने कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न की जाँच करने के लिये एक स्वतंत्र जाँच की शुरुआत की है। यह दुनिया में अपनी तरह की पहली जाँच है। उम्मीद है कि इस जाँच से वैश्विक आंदोलन #Me too द्वारा प्रकाश में लाई गई समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- यह जाँच यौन उत्पीड़न के खिलाफ वैश्विक #MeToo आंदोलन पर प्रतिक्रिया है।
- इस जाँच को पूरा करने में 12 माह का समय लगेगा।
- इसका उद्देश्य नए आपराधिक कानूनों की शुरुआत करने के साथ ही व्यापक मानकों को लागू करना है।
ऑस्ट्रेलिया में उत्पीड़न का स्तर कितना बुरा है?
- ऑस्ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग (AHRC) ने यौन उत्पीड़न को ऑस्ट्रेलियाई कार्यस्थलों में "लगातार और व्यापक समस्या" के रूप में वर्णित किया है।
- AHRC के अनुसार, 15 साल से अधिक उम्र के 20% से अधिक ऑस्ट्रेलियाई लोगों का कार्यस्थलपर यौन उत्पीड़न किया गया है।
- हालाँकि अधिकांश नियोक्ताओं ने उत्पीड़न संबंधी नीतियाँ लागू की हैं फिर भी इन्हें कार्यस्थलपर व्यवहार में नहीं लाया गया था।
- ऑस्ट्रेलियाई कानून के तहत यौन उत्पीड़न को किसी भी अवांछित यौन अग्रिम या यौन प्रकृति के आचरण के रूप में परिभाषित किया जाता है जहाँ कोई नाराज़, अपमानित या भयभीत महसूस करता है।
इस जाँच में क्या महत्त्वपूर्ण है?
- इस साल की शुरुआत में ब्रिटेन ने भी कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर यौन उत्पीड़न की जाँच के लिये संसदीय समिति गठित की थी।
- लेकिन ऑस्ट्रेलियाई सरकार का कहना है कि AHRC (एक स्वतंत्र मानवाधिकार निकाय) द्वारा बड़े पैमाने पर निरीक्षण और जाँच कार्य वैश्विक रूप से अभूतपूर्व होगा।
- ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं की मंत्री (Minister for Women ) केली ओ'डवियर (Kelly O'Dwyer) के अनुसार, किसी अन्य देश ने इस मुद्दे को इतने व्यापक तरीके से नहीं देखा है।
जाँच की लागत
- जाँच की अनुमानित लागत 900,000 डॉलर होगी, जिसका आधे से अधिक भाग सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
ऑस्ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग (AHRC)
- हालाँकि AHRC एक विधायी निकाय नहीं है फिर भी यह संघीय और राज्य सरकारों को कानूनों के बारे में सिफारिशें कर सकता है।
- इस जाँच में आपराधिक कानूनों की सिफारिश करने की संभावना सहित "सभी विकल्पों" पर विचार किया जाएगा।
यह कैसे काम करेगा?
- आयुक्त पूरे ऑस्ट्रेलिया में सार्वजनिक परामर्श करेंगे और व्यक्तियों और संगठनों से सुझाव भी आमंत्रित करेंगे।
- नए कार्यस्थल पर दिशा-निर्देशों के संदर्भ में यह जाँच समिति निम्नलिखित तथ्यों की जाँच और मूल्यांकन करेगी:
♦ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के कारण
♦ प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया का उपयोग
♦ वर्तमान कानूनों और नीतियों की प्रभावशीलता
भारत के संदर्भ में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न
- भारत की वयस्क महिलाओं की जनसंख्या (जनगणना 2011) से पता चलता है कि 14.58 करोड़ महिलाओं (18 वर्ष से अधिक उम्र) के साथ यौन उत्पीड़न जैसा अपमानजनक व्यवहार हुआ है।
कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
- यह अधिनियम 9 दिसंबर, 2013 को प्रभाव में आया था।
- यह अधिनियम उन संस्थाओं पर लागू होता है जहाँ दस से अधिक लोग काम करते हैंl
- यह क़ानून कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को अवैध करार देता हैl
- यह क़ानून यौन उत्पीड़न के विभिन्न प्रकारों को चिह्नित करता है और यह बताता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की स्थिति में शिकायत किस प्रकार की जा सकती है।
- यह क़ानून हर उस महिला के लिये बना है जिसका किसी भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ हो।
- इस क़ानून के अनुसार यह ज़रूरी नहीं है कि जिस कार्यस्थल पर महिला का उत्पीड़न हुआ है, वहां वह नौकरी करती हो।
- कार्यस्थल कोई भी कार्यालय/दफ्तर हो सकता है, चाहे वह निजी संस्थान हो या सरकारी।
#Me too अंदोलन
- मी टू आंदोलन (या "#MeToo") यौन उत्पीड़न और हमले के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन है।
- अक्तूबर, 2017 में हॉलीवुड के बड़े निर्माताओं में शामिल हार्वी वाइनस्टीन पर कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोप लगाए हैं। वाइनस्टीन पर आरोप लगने के बाद दुनिया भर में #MeToo आंदोलन की शुरुआत हुई थी जिसमें यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए थे।
- एक सामाजिक कार्यकर्त्ता तराना बर्क ने 2006 में "मी टू" वाक्यांश का उपयोग करना शुरू किया था और इस वाक्यांश को वर्ष 2017 में अमेरिकी अभिनेत्री एलिसा मिलानो द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था, जब उन्होंने महिलाओं को इसके बारे में ट्वीट करने के लिये प्रोत्साहित किया।
निष्कर्ष
कई कार्यस्थल वास्तव में यौन उत्पीड़न को खत्म करने के लिये प्रतिबद्ध हैं और वे नीतियों और प्रक्रियाओं जैसे कदम उठा रहे हैं, लेकिन स्पष्ट रूप से और बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।