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सामाजिक न्याय

असम चाय उद्योग और श्रम कानून

  • 12 Oct 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ऑक्सफैम, असम चाय उद्योग के तथ्यात्मक पक्ष, इंडियन टी एसोसिएशन

मुख्य परीक्षा के लिये:

असम चाय उद्योग में श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऑक्सफैम (OXFAM) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में असम के चाय बागानों में हो रहे श्रमिक अधिकारों के उल्लंघन का वर्णन किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • ऑक्सफैम इंडिया ने टाटा इंस्टीटयूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ के साथ मिलकर असम में चाय बागानों के श्रमिकों की स्थिति पर ‘Addressing the human cost of Assam tea’ नामक शीर्षक से रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, असम सरकार द्वारा चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मज़दूरी को बढाकर 351 रुपए करने की प्रतिबद्धता, इस क्षेत्र में वित्तीय व्यवहार्यता की बाधाओं की वजह से ही ली गई है।
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि दिन में 13 घंटे से अधिक काम करने के बावजूद, श्रमिक 137-167 रुपए के बीच कमाते हैं|
  • आमतौर पर चाय ब्रांड और सुपरमार्केट का भारत में असम चाय के लिये उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत के 58.2% पर अधिकार होता है तथा बागानों में काम करने वाले श्रमिकों के पास उस कीमत का सिर्फ 7.2% भाग ही पहुँच पाता है।
  • ऑक्सफैम ने उपभोक्ताओं, सुपरमार्केट और ब्रांडों से श्रमिकों को उचित मज़दूरी प्रदान करने के लिये असम सरकार के कदम का समर्थन करने और उपभोक्ताओं द्वारा अदा किये गए मूल्य को निचले स्तर तक पहुँच सुनिश्चित करने को कहा है।
  • ऑक्सफैम की रिपोर्ट इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि चाय बागान श्रमिक और उनके परिवार बहुत संवेदनशील अवस्था में जी रहे हैं। ऑक्सफैम इंडिया के अनुसार श्रमिक जो वेतन पाते हैं, वह बहुत कम है और उनके कामकाज तथा रहन-सहन की स्थिति को तत्काल सुधारने की आवश्यकता है।
  • ऑक्सफैम की रिपोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित “व्यावसायिक सुरक्षा और कार्यस्थल स्थिति विधेयक 2019” की सराहना भी की गई है।

Brewing inequalities

असम चाय उद्योग:

  • भारत में असम चाय का सबसे बड़ा उत्‍पादक राज्य है। असम की चाय अपनी विशिष्‍ट गुणवत्ता विशेषकर अपने कड़क स्‍वाद और रंग के लिये जानी जाती है।
  • असम अखिल भारतीय उत्‍पादन का लगभग 53% और विश्‍व में उत्पादित चाय के लगभग 1/6 वें हिस्‍से का उत्‍पादन करता है।
  • राज्य में ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के मैदानी भाग में चाय उगाई जाती है। अधिकांश चाय के बागान तिनसुकिया, डिब्रूगढ, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, नागाँव और सोनितपुर ज़िलों में पाए जाते हैं।

इंडियन टी एसोसिएशन (ITA):

  • 1881 में स्थापित इंडियन टी एसोसिएशन भारत में चाय उत्पादकों का प्रमुख और सबसे पुराना संगठन है।
  • एसोसिएशन ने नीतियों के निर्माण और चाय उद्योग के विकास हेतु कार्रवाई शुरू करने के लिये एक बहुआयामी भूमिका निभाई है। टी बोर्ड, सरकार और अन्य संबंधित निकायों के साथ संपर्क स्थापित करना भी इंडियन टी एसोशिएसन का प्रमुख कार्य है।
  • ITA की असम और पश्चिम बंगाल में विभिन्न स्थानों पर शाखाएँ हैं। 425 से अधिक बागानों के साथ ITA और इसकी शाखाएँ भारत के कुल चाय उत्पादन का 60% से अधिक का प्रतिनिधित्व करती हैं। नियोक्ता के रूप में ITA सदस्य उद्यान 400,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान करते हैं।

ऑक्सफैम

  • वर्ष 1942 में स्थापित ऑक्सफैम 20 स्वतंत्र चैरिटेबल संगठनों का एक संघ है।
  • यह वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिये काम करता है और ऑक्सफेम इंटरनेशनल इसकी अगुवाई करता है।
  • वर्तमान में विनी ब्यानिमा इस गैर-लाभकारी समूह की कार्यकारी निदेशक हैं।
  • इसका मुख्यालय केन्या की राजधानी नैरोबी में है।

निष्कर्ष:

चूँकि भारतीय संविधान में अनुच्छेद-21 द्वारा प्रत्येक नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार दिया गया है। अतः संबंधित संस्थाओं तथा सरकारों को असम के बागानों में कार्य कर रहे श्रमिकों की जीवन स्तर में सुधार के लिये प्रयास करना चाहिये।

स्रोत- द हिंदू

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