असम भूकंप | 30 Apr 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में असम और पूर्वोत्तर भारत के अन्य हिस्सों में 6.4 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के झटके महसूस किये गए हैं।
- नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) की रिपोर्ट के अनुसार, ‘हिमालयी फ्रंटल थ्रस्ट’ (Himalayan Frontal Thrust- HFT) के करीब स्थिति ‘कोपिली फॉल्ट ज़ोन’ (Kopili Fault Zone) को इन झटके का कारण माना जा रहा है।
- NCS देश में भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी हेतु भारत सरकार की नोडल एजेंसी है। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आती है।
प्रमुख बिंदु:
हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT):
- HFT, जिसे मुख्य फ्रंटल थ्रस्ट (Main Frontal Thrust- MFT) के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय और यूरेशियन विवर्तनिक प्लेटों की सीमा के साथ मौजूद एक भूवैज्ञानिक भ्रंश (फॉल्ट) है।
कोपिली फॉल्ट ज़ोन:
- कोपिली फॉल्ट ज़ोन (Kopili fault zone) 300 किलोमीटर लंबा और 50 किलोमीटर चौड़ा है, जो मणिपुर के पश्चिमी भाग से भूटान, अरुणाचल प्रदेश और असम तीनों के मिलन बिंदु तक विस्तृत है।
- यह भूकंपीय ज़ोन V में पाया जाने वाला अत्यधिक सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र है, जो विवर्तनिक भूकंपीय घटनाओं से जुड़ा हुआ है, जहांँ भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे स्थित है।
- सबडक्शन (Subduction) एक भूवैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें एक ‘क्रस्टल प्लेट’ (Crustal Plate) का किनारा दूसरी क्रिस्टल प्लेट के नीचे खिसक जाता है।
- हिमालयन बेल्ट (Himalayan belt) और सुमात्रन बेल्ट (Sumatran belt) के सबडक्शन और टकराव क्षेत्र के मध्य स्थित होने के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र पर भूकंप की घटनाओं का अत्यधिक खतरा रहता है।
भ्रंश:
- भ्रंश (फॉल्ट) का आशय भूपर्पटी (Earth's Crust) की शैलों (Rocks) में कुछ गहन दरारों से होता है, जिसके दोनों तरफ भूपर्पटी ब्लॉक समानांतर एक दूसरे के सापेक्ष चलते हैं।
- जब भूकंप आता है तो भ्रंश की एक तरफ की चट्टानें भ्रंश के दूसरी तरफ खिसक जाती है।
- भ्रंश की सतह ऊर्ध्वाधर, क्षैतिज या पृथ्वी की सतह पर एक निश्चित कोण पर हो सकते हैं।
विवर्तनिक प्लेटें:
- एक विवर्तनिक प्लेट (जिसे लिथोस्फेरिक प्लेट भी कहा जाता है) ठोस चट्टान की एक विशाल, अनियमित आकार की शिला होती है, जो सामान्यतः महाद्वीपीय और महासागरीय लिथोस्फीयर दोनों से मिलकर बनी होती है।
- अपने प्रसार के आधार पर विवर्तनिक प्लेट महाद्वीपीय प्लेट या फिर महासागरीय प्लेट हो सकती है।
- प्रशांत प्लेट काफी हद तक महासागरीय प्लेट है जबकि यूरेशियन प्लेट एक महाद्वीपीय प्लेट है।
भूकंप:
- साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी की कंपन से होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंग उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं।
- भूकंप से उत्पन्न तरगों को भूकंपीय तरगें कहा जाता है, जो पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं तथा इन्हें सिस्मोग्राफ (Seismographs) से मापा जाता है।
- पृथ्वी की सतह के नीचे का स्थान जहाँ भूकंप का केंद्र स्थित होता है, हाइपोसेंटर (Hypocenter) कहलाता है, और पृथ्वी की सतह के ऊपर स्थिति वह स्थान जहाँ भूकंप तरगें सबसे पहले पहुँचती है उपकेंद्र (Epicenter) कहलाता है।
- भूकंप के प्रकार: फाल्ट ज़ोन, विवर्तनिक भूकंप, ज्वालामुखी भूकंप, मानव प्रेरित भूकंप।
भारत में भूकंप जोखिम मानचित्रीकरण:
- तकनीकी रूप से सक्रिय वलित हिमालय पहाड़ों की उपस्थिति के कारण भारत भूकंप प्रभावित देशों में से एक है।
- अतीत में आए भूकंप तथा विवर्तनिक झटकों के आधार पर भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों (II, III, IV और V) में विभाजित किया गया है।
- पहले, भूकंप क्षेत्रों को भूकंप की गंभीरता के संबंध में पांच क्षेत्रों में विभाजित किया गया था, लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) ने पहले दो क्षेत्रों को एक साथ मिलाकर देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों में विभाजित किया है।
- BIS भूकंपीय खतरे के नक्शे और कोड (Seismic Hazard Maps and Codes) को प्रकाशित करने हेतु एक आधिकारिक एजेंसी है।
भूकंपीय ज़ोन II:
- मामूली क्षति वाला भूकंपीय ज़ोन, जहाँ तीव्रता MM (संशोधित मरकली तीव्रता पैमाना) के पैमाने पर V से VI तक होती है।
भूकंपीय ज़ोन III:
- MM पैमाने की तीव्रता VII के अनुरूप मध्यम क्षति वाला ज़ोन।
भूकंपीय ज़ोन IV:
- MM पैमाने की तीव्रता VII के अनुरूप अधिक क्षति वाला ज़ोन।
भूकंपीय ज़ोन V:
- भूकंपीय ज़ोन V भूकंप के लिये सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है, जहाँ ऐतिहासिक रूप से देश में भूकंप के कुछ सबसे तीव्र झटके देखे गए हैं।
- इन क्षेत्रों में 7.0 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप देखे गए हैं और यह IX की तुलना में अधिक तीव्र होते हैं।