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असम समझौते की धारा-6

  • 26 Feb 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

असम समझौता, असम समझौते की धारा-6

मेन्स के लिये:

असम समझौते की धारा-6 से संबंधित चुनौतियाँ और इस संदर्भ में की गई कार्यवाहियाँ

चर्चा में क्यों?

असम समझौते की धारा-6 के कार्यान्वयन हेतु गठित 15 सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्र सरकार द्वारा इस समिति का गठन जुलाई 2019 में न्यायमूर्ति बिप्लब कुमार सरमा की अध्यक्षता में असम समझौते की धारा-6 के कार्यान्वयन की समीक्षा करने और इस संदर्भ में सिफारिश करने के लिये की गई थी।
  • असम सरकार यह रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिये गृह मंत्रालय को भेजेगी।
  • ज्ञात हो कि इस समिति में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (All Assam Students’ Union-AASU) के तीन प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

असम समझौता

  • वर्ष 1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की हिंसक कार्रवाई शुरू हुई तो वहाँ के लगभग 10 लाख लोगों ने असम में शरण ली। हालाँकि बांग्लादेश बनने के पश्चात् इनमें से अधिकांश वापस लौट गए, किंतु फिर भी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी असम में ही अवैध रूप से रहने लगे।
  • वर्ष 1971 के बाद भी जब बांग्लादेशी अवैध रूप से असम आते रहे तो इस जनसंख्या परिवर्तन ने असम के मूल निवासियों में भाषायी, सांस्कृतिक और राजनीतिक असुरक्षा की भावना उत्पन्न कर दी और वर्ष 1978 के आस-पास वहाँ एक आंदोलन शुरू हुआ।
  • असम में घुसपैठियों के खिलाफ वर्ष 1978 से शुरू हुए लंबे आंदोलन और वर्ष 1983 की भीषण हिंसा के बाद समझौते के लिये बातचीत की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • इसके परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1985 को केंद्र सरकार और आंदोलनकारियों के बीच समझौता हुआ जिसे असम समझौते (Assam Accord) के नाम से जाना जाता है।
  • असम समझौते के मुताबिक, 25 मार्च, 1971 के बाद असम में आए सभी बांग्लादेशी नागरिकों को यहाँ से जाना होगा, चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान।
  • समझौते के तहत 1951 से 1961 के बीच असम आए सभी लोगों को पूर्ण नागरिकता और मतदान का अधिकार देने का फैसला लिया गया। साथ ही 1961 से 1971 के बीच असम आने वाले लोगों को नागरिकता तथा अन्य अधिकार दिये गए, किंतु उन्हें मतदान का अधिकार नहीं दिया गया।

असम समझौते की धारा-6

  • असम समझौते की धारा-6 में असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान और धरोहर के संरक्षण तथा उसे बढ़ावा देने के लिये उचित संवैधानिक, विधायी तथा प्रशासनिक उपाय करने का प्रावधान है। इस संदर्भ में गठित समिति का कार्य इन प्रावधानों को लागू करने के लिये वर्ष 1985 से अब तक उठाए गए कदमों की समीक्षा करना था।
  • तथापि यह महसूस किया गया है कि असम समझौते की धारा-6 को समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने के लगभग 35 वर्ष बाद भी पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है।
  • इसलिये केंद्र सरकार ने असम समझौते की धारा-6 के संदर्भ में संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षात्‍मक उपायों से संबंधित सिफारिशें देने के लिये समिति का गठन किया था।

धारा-6 के तहत की गई कार्यवाही:

  • वर्ष 1961 में असम समझौते की धारा-6 के तहत असम सरकार ने ज्योति चित्रबन फिल्म स्टूडियो का गठन किया था। असम सरकार तथा भारत सरकार (असम समझौते के तहत) द्वारा की जा रही वित्तीय सहायता के कारण यहाँ सभी प्रकार की आधुनिक तकनीक उपलब्ध है।
    • ज्योति चित्रबन फिल्म स्टूडियो के आधुनिकीकरण हेतु भारत सरकार ने 10 करोड़ रुपए की परियोजना को मंज़ूरी दी है, वर्तमान में आधुनिकीकरण का कार्य प्रगति पर है।
  • वर्ष 1998 में असम के लोगों की संस्कृति के संरक्षण, संवर्द्धन और उत्थान हेतु कार्य करने के लिये केंद्र व असम सरकार द्वारा संयुक्त रूप से श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र सोसायटी का गठन किया गया था।
  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा असम के पाँच स्मारकों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास का कार्य आरंभ किया गया है। ये स्मारक हैं (1) सिंगरी मंदिर के अवशेष (2) उर्वशी पुरातत्त्व स्थल (3) पोवा-मेक्काय, हाजो (4) केदार मंदिर, हाजो (5) हयाग्रिवा माधव मंदिर, हाजो।

चुनौती

  • असम के पूर्व मुख्यमंत्री और AASU के प्रतिनिधि के रूप में असम समझौते के हस्ताक्षरकर्त्ता प्रफुल्ल महंत के अनुसार, असम समझौते की धारा-6 को असम की जनसांख्यिकी और राज्य की संस्कृति पर वर्ष 1951 और वर्ष 1971 के मध्य प्रवासन के प्रभाव के विरुद्ध सुरक्षा के रूप में कार्य करना चाहिये था, किंतु यह संभव नहीं हो पाया है।
  • कई विशेषज्ञ नागरिकता संशोधन अधिनियम के असम समझौते पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर भी अपनी चिंता ज़ाहिर कर चुके हैं।

आगे की राह

  • राज्य में असमिया बनाम बाहरी का मुद्दा कोई नया नहीं है, बल्कि देश की आज़ादी के बाद से यह वहाँ के ज्वलंत मुद्दों में सबसे ऊपर रहा है।
  • इस मुद्दों को सुलझाने के लिये अब तक कई प्रयास किये गए हैं, किंतु इसके बावजूद सफलता नहीं मिल सकी है।
  • आवश्यक है कि इस मुद्दे से संबंधित विभिन्न हितधारक एक मंच पर एकत्रित होकर यथासंभव संतुलित उपाय खोजने का प्रयास करें।

स्रोत: द हिंदू

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