एएसआई द्वारा राखीगढ़ी में उत्खनन | 13 May 2022

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, सिंधु घाटी सभ्यता।

मेन्स के लिये:

राखीगढ़ी, हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख खोज।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा हड़प्पा सभ्यता के राखीगढ़ी स्थल की खुदाई में कुछ घरों, गलियों और जल निकासी व्यवस्था की संरचना का पता चला है।

  • ASI की खुदाई में तांबे और सोने के आभूषण, टेराकोटा के खिलौनों के अलावा हज़ारों मिट्टी के बर्तन और मुहरें भी मिली हैं।
  • इस उत्खनन का उद्देश्य राखीगढ़ी के संरचनात्मक अवशेषों का पता लगाना और उन्हें भविष्य के लिये संरक्षित कर राखीगढ़ी के पुरातात्त्विक स्थल को पर्यटकों के लिये सुलभ बनाना है।
  • इसके अलावा उत्खनन में मिले दो मानव कंकालों के डीएनए नमूने एकत्र कर उन्हें वैज्ञानिक जाँच  के लिये भेजा गया है, इन डीएनए नमूनों की जाँच रिपोर्ट के आधार पर हज़ारों साल पहले राखीगढ़ी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की वंश परंपरा और भोजन की आदतों के बारे में पता लगाया जा सकता है।

राखीगढ़ी:

  • राखीगढ़ी भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल है।
    • भारतीय उपमहाद्वीप में सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) के अन्य बड़े स्थल पाकिस्तान में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और गनवेरीवाल तथा भारत में धोलावीरा (गुजरात) हैं। 
  • राखीगढ़ी में इस सभ्यता की शुरुआत का पता लगाने और 6000 ईसा पूर्व (पूर्व-हड़प्पा चरण) से 2500 ईसा पूर्व तक इसके क्रमिक विकास का अध्ययन करने के लिये खुदाई की जा रही है।
    • इस स्थल का उत्खनन कार्य ASI के अमरेंद्र नाथ के नेतृत्व में किया गया।
  • राखीगढ़ी वर्ष 2020 में बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा घोषित पाँच प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है।
    • ऐसे अन्य स्थल उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर, असम में शिवसागर, गुजरात में धोलावीरा और तमिलनाडु में आदिचनल्लूर हैं।

साइट के प्रमुख निष्कर्ष:

  • बस्तियांँ:
    • पुरातात्त्विक उत्खनन से पता चलता है कि परिपक्व हड़प्पा चरण का प्रतिनिधित्व योजनाबद्ध नगर प्रणाली द्वारा किया गया था जिसमें मिट्टी-ईंट के साथ-साथ पकी हुई ईट के घरों में उचित जल निकासी की व्यवस्था थी।
  • मुहरें और मृद्भांड:
    • एक बेलनाकार मुहर, जिसके एक ओर पाँच हड़प्पा वर्ण आकृतियांँ तथा दूसरी ओर घड़ियाल का चित्र बना हुआ है, इस स्थल से की गई एक महत्त्वपूर्ण खोज है।
    • सिरेमिक उद्योग का प्रतिनिधित्व लाल बर्तनों द्वारा किया जाता था, जिसमें साधारण तश्तरियांँ , फूलदान, छिद्रित जार शामिल थे।
  • अनुष्ठान और दाहसंस्कार:
    • पुरातात्त्विक उत्खनन में मिट्टी के फर्श पर मिट्टी-ईंट तथा त्रिकोणीय एवं गोलाकार अग्नि-वेदियों के साथ पशु बलि हेतु खोदे हुए गड्ढों के भी साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जो हड़प्पावासियों की अनुष्ठान प्रणाली को दर्शाता है। 
    • उत्खनन से कुछ समाधियाँ भी प्राप्त हुई हैं, जो निश्चित रूप से परवर्ती चरण शायद मध्ययुगीन काल से संबंधित हैं।
    • उत्खनन में दो मादा कंकाल मिले जिन्हें मिट्टी के बर्तनों और जैस्पर, सुलेमानी मोतियों तथा खोल की चूड़ियों जैसे आभूषणों के साथ दफनाया गया था। 
  • अन्य पुरातात्त्विक अवशेष :
    • ब्लेड, टेराकोटा और खोल की चूड़ियाँ, अर्द्ध-कीमती पत्थरों के मनके, तांबे की वस्तुएंँ, जानवरों की मूर्तियाँ, खिलौना गाड़ी का फ्रेम और टेराकोटा का पहिया, खुदा हुआ स्टीटाइट सील तथा सीलिंग। 
  • DNA नमूनों का अध्ययन:
    • हरियाणा स्थित हड़प्पा स्थल ‘राखीगढ़ी’ के कब्रिस्तान की खुदाई से निकले कंकाल के DNA (DeoxyriboNucleic Acid) पर किये गए अध्ययन में यह पाया गया कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की एक स्वतंत्र वंशावली है।
    • इस अध्ययन ने हड़प्पावासियों की वंशावली के स्टेपी क्षेत्र के पशुपालकों या प्राचीन ईरानी किसानों से संबंधित होने की पूर्व अवधारणा को अस्वीकार कर दिया है।

हड़प्पा सभ्यता: 

  • इसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह सभ्यता लगभग 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग (समकालीन पकिस्तान तथा पश्चिमी भारत) में विकसित हुई।
  • सिंधु घाटी सभ्यता मिस्र,मेसोपोटामिया,भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं में से एक थी।
  • वर्ष 1920 में भारतीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा किये गए सिंधु घाटी के उत्खनन से प्राप्त अवशेषों से हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ों जैसे दो प्राचीन नगरों की खोज हुई।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न: ऋग्वैदिक आर्यों और सिंधु घाटी के लोगों की संस्कृति के बीच अंतर के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (2017) 

  1. ऋग्वैदिक आर्य युद्ध में हेलमेट और कोट का इस्तेमाल करते थे जबकि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों द्वारा इनके इस्तेमाल का कोई सबूत नहीं मिलता है।
  2. ऋग्वैदिक आर्य सोना, चाँदी और तांबा से परिचित थे, जबकि सिंधु घाटी के लोग केवल तांबा और लोहे से।
  3. ऋग्वैदिक आर्यों ने घोड़े को पालतू बनाया था, जबकि सिंधु घाटी के लोगों द्वारा इस जानवर के उपयोग के बारे में कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं होता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और  3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2और 3 

उत्तर: C 


प्रश्न: निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सिंधु सभ्यता के लोगों की विशेषता/विशेषताएंँ प्रदर्शित करता है/करते हैं? (2013)

  1. उनके पास बड़े-बड़े महल और मंदिर थे।
  2. वे पुरुष और स्त्री दोनों रूपों में देवताओं की पूजा करते थे।
  3. उन्होंने युद्ध में घोड़ों द्वारा खींचे गए रथों को नियोजित किया।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये:

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 
(c) 1, 2 और 3 
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं है

उत्तर: (b) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस