अरुणाचल प्रदेश और असम विवाद | 22 Apr 2022
प्रिलिम्स के लिये:असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद, संविधान का अनुच्छेद 263. मेन्स के लिये:पूर्वोत्तर सीमा विवाद और संबंधित मुद्दे तथा आगे की राह |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश और असम की सरकारों ने सीमा विवादों के समाधान हेतु ज़िला स्तरीय समितियों (District-level Committees) को गठित करने का निर्णय लिया है।
- ये ज़िला समितियांँ दोनों राज्यों की ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, जातीयता, निकटता, लोगों की इच्छा और प्रशासनिक सुविधा के आधार पर लंबे समय से लंबित मुद्दे के ठोस समाधान खोजने हेतु विवादित क्षेत्रों में संयुक्त सर्वेक्षण का कार्य करेंगी।
प्रमुख बिंदु
देश में सीमा विवाद:
- असम-अरुणाचल प्रदेश:
- असम अरुणाचल प्रदेश के साथ 804.10 किमी की अंतर-राज्यीय सीमा साझा करता है। वर्ष 1987 में बनाए गए अरुणाचल प्रदेश राज्य का दावा है कि पारंपरिक रूप से इसके निवासियों की कुछ भूमि असम को दे दी गई है।
- एक त्रिपक्षीय समिति ने सिफारिश की थी कि कुछ क्षेत्रों को असम से अरुणाचल में स्थानांतरित किया जाए। इस मुद्दे को लेकर दोनों राज्य न्यायालय की शरण में हैं।
- असम-मिज़ोरम:
- मिज़ोरम एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले असम का एक ज़िला हुआ करता था जो बाद में एक अलग राज्य बना।
- मिज़ोरम की सीमा असम के कछार, हैलाकांडी और करीमगंज ज़िलों से लगती है।
- समय के साथ सीमांकन को लेकर दोनों राज्यों की अलग-अलग धारणाएँ बनने लगीं।
- मिज़ोरम चाहता है कि यह बाहरी प्रभाव से आदिवासियों की रक्षा के लिये वर्ष 1875 में अधिसूचित एक आंतरिक रेखा के साथ हो, जो मिज़ो को उनकी ऐतिहासिक मातृभूमि का हिस्सा लगता है, असम का मानना है कि सीमा का निर्धारण बाद में तैयार की गई ज़िला सीमाओं के अनुसार किया जाए।
- असम-नगालैंड:
- वर्ष 1963 में नगालैंड के गठन के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद चल रहा है।
- दोनों राज्य असम के गोलाघाट ज़िले के मैदानी इलाकों के बगल में एक छोटे से गांँव मेरापानी पर अपना दावा करते हैं।
- 1960 के दशक से इस क्षेत्र में हिंसक झड़पों की खबरें आती रही हैं।
- असम-मेघालय:
- मेघालय ने करीब एक दर्ज़न क्षेत्रों की पहचान की है जिन पर राज्य की सीमाओं को लेकर असम के साथ उसका विवाद है।
- हरियाणा-हिमाचल प्रदेश:
- दो का उत्तरी राज्यों का परवाणू क्षेत्र पर सीमा विवाद है, जो हरियाणा के पंचकुला ज़िले के समीप स्थित है।
- हरियाणा ने इलाके की एक बड़ी ज़मीन पर अपना दावा किया है और हिमाचल प्रदेश पर हरियाणा के कुछ पहाड़ी इलाके पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया है।
- लद्दाख-हिमाचल प्रदेश:
- लद्दाख और हिमाचल दोनों केंद्रशासित प्रदेश सरचू क्षेत्र पर अपना का दावा करते हैं, जो लेह-मनाली राजमार्ग से यात्रा करने वालों के लिये एक प्रमुख पड़ाव बिंदु है।
- यह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति ज़िले और लद्दाख के लेह ज़िले के बीच स्थित है।
- महाराष्ट्र-कर्नाटक:
- शायद देश में सबसे बड़ा सीमा विवाद बेलगाम ज़िले को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच है।
- बेलगाम में मराठी और कन्नड़ दोनों भाषी लोगों की एक बड़ी आबादी है तथा दोनों राज्यों के बीच अतीत में इस क्षेत्र में संघर्ष हुए हैं।
- यह क्षेत्र अंग्रेज़ों के समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन वर्ष 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद इसे कर्नाटक में शामिल कर लिया गया।
अंतर्राज्यीय सीमा विवाद अनसुलझे क्यों हैं?
- भाषायी आधार पर पुनर्गठन का विचार: हालाँकि राज्य पुनर्गठन आयोग, 1956 प्रशासनिक सुविधा पर आधारित था फिर भी पुनर्गठित राज्य काफी हद तक एक भाषा एक राज्य के विचार से मिलते जुलते थे।
- भौगोलिक जटिलता: दूसरी जटिलता इस क्षेत्र की रही है, जहाँ नदियाँ, पहाड़ियाँ और जंगल कई जगहों पर दो राज्यों में फैले हुए हैं व सीमाओं को भौतिक रूप से चिह्नित नहीं किया जा सकता है।
- औपनिवेशिक मानचित्रों ने असम के बाहर पूर्वोत्तर के बड़े इलाकों को "घने जंगलों" (Thick Forests) के रूप में छोड़ दिया था या उन्हें "अन्वेषित" (Unexplored) के रूप में चिह्नित किया था।
- स्वदेशी समुदाय: अधिकांश भाग के स्वदेशी समुदाय अकेले रह गए थे। प्रशासनिक सुविधा के लिये सीमाएँ "ज़रूरत" पड़ने पर ही खींची गई थीं।
- वर्ष 1956 के सीमांकन ने विसंगतियों का समाधान नहीं किया।
- जब असम (वर्ष 1963 में नगालैंड, वर्ष 1972 में मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर तथा वर्ष 1987 में अरुणाचल प्रदेश) से नए राज्य बनाए गए थे, तब भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया था।
आगे की राह
- राज्यों के बीच सीमा विवादों को वास्तविक सीमा स्थानों के उपग्रह मानचित्रण का उपयोग करके सुलझाया जा सकता है।
- अंतर-राज्यीय परिषद को पुनर्जीवित करना अंतर-राज्यीय विवाद के समाधान का एक विकल्प हो सकता है।
- संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत अंतर-राज्य परिषद से विवादों की जाँच और सलाह देने, सभी राज्यों के लिये सामान्य विषयों पर चर्चा करने और बेहतर नीति समन्वय हेतु सिफारिशें करने की अपेक्षा की जाती है।
- इसी तरह सामाजिक और आर्थिक नियोजन, सीमा विवाद, अंतर-राज्यीय परिवहन आदि से संबंधित मामलों में प्रत्येक क्षेत्र में राज्यों के लिये सामान्य चिंता के मामलों पर चर्चा करने हेतु क्षेत्रीय परिषदों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।
- भारत अनेकता में एकता का प्रतीक है। हालाँकि इस एकता को और मज़बूत करने के लिये केंद्र व राज्य सरकारों दोनों को सहकारी संघवाद के लोकाचार को आत्मसात करने की आवश्यकता है।
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