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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कृत्रिम मधुरक

  • 18 May 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कृत्रिम मधुरक, हाइपरटेंशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO), टाइप -2 मधुमेह

मेन्स के लिये:

कृत्रिम मधुरक और शर्करा के विकल्प के रूप में उनकी भूमिका, कृत्रिम मधुरक के स्वास्थ्य के लिये संभावित जोखिम

चर्चा में क्यों?  

कम कैलोरी की मांग करने वाले तथा उनके प्रति जागरूक व्यक्तियों के बीच कृत्रिम मधुरक की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। हालाँकि हाल के अध्ययनों ने वज़न घटने और संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के लिये उसकी दीर्घकालिक प्रभावशीलता के बारे में चिंता जताई है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने वज़न नियंत्रण और जीवनशैली संबंधी बीमारियों की रोकथाम के लिये कृत्रिम मधुरक के उपयोग के खिलाफ सिफारिशें जारी की हैं।

कृत्रिम मधुरक:

  • परिचय: 
    • कृत्रिम मधुरक शर्करा का विकल्प है जिसका उपयोग प्राकृतिक शर्करा के विकल्प के रूप में किया जाता है।
    • ये मधुरक रासायनिक रूप से संश्लेषित होते हैं और नियमित शर्करा की उच्च कैलोरी की उपस्थिति के बिना मीठा स्वाद प्रदान करते हैं।
    • वे प्राय: विभिन्न खाद्य और पेय उत्पादों में उपयोग किये जाते हैं, जिनमें डाइट सोडा, सुगर फ्री मिठाई तथा कम कैलोरी वाले स्नैक्स शामिल हैं।
      • कृत्रिम मधुरक के कुछ उदाहरण हैं- सैकरिन, एस्पार्टेम, इससल्फेम पोटेशियम (Ace-K), सुक्रालोज़, नियोटेम और एडवांटेम।
  • लाभ: 
    • कृत्रिम मधुरक वज़न प्रबंधन, मधुमेह नियंत्रण, दाँतों की सड़न की रोकथाम में लाभ प्रदान करता है। यह एक प्रकार के आनुवंशिक विकार- फिनाइलकीटोनयूरिया (Phenylketonuria - PKU) वाले रोगियों के लिये सुरक्षित विकल्प है। फिनाइलकीटोनयूरिया किसी व्यक्ति के शरीर में कम या शून्य-कैलोरी पदार्थ, रक्त शर्करा के स्तर पर न्यूनतम प्रभाव, गैर-किण्वनीय प्रकृति और फिनाइलएलानिन की अनुपस्थिति के कारण होता है।
  • नकारात्मक प्रभाव:
    • विवादास्पद स्वास्थ्य प्रभाव:
      • कुछ अध्ययन कृत्रिम मधुरक के संभावित नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों का सुझाव देते हैं, जैसे कि चयापचय (Metabolic) संबंधी विकारों का बढ़ता जोखिम और बाधित आंत माइक्रोबायोटा। हालाँकि वैज्ञानिक प्रमाण अभी भी अस्पष्ट हैं।
    • पाचन संबंधी समस्याएँ:
      • कृत्रिम मधुरक वाले उत्पादों का सेवन करने के बाद कुछ लोगों को पाचन संबंधी परेशानी, जैसे- सूजन, गैस या अतिसार की शिकायत हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

  • जाँच - परिणाम: 
    • WHO नए वज़न को नियंत्रित करने या गैर-संचारी रोगों के जोखिम को कम करने के साधन के रूप में कृत्रिम मधुरक का उपयोग करने के खिलाफ सलाह दी है।
    • हालाँकि इसके अल्पकालिक उपयोग से वज़न और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) कम हो सकता है, लेकिन कृत्रिम मधुरक के लंबे समय तक सेवन को वज़न बढ़ने से जोड़ा गया है।
    • कुछ अध्ययन कृत्रिम मधुरक को मूत्राशय का कैंसर /ब्लैडर कैंसर और गर्भवती महिलाओं में समय से पहले शिशु के जन्म का कारण दर्शाते हैं।
    • कृत्रिम मधुरक का अधिक सेवन, विशेष रूप से पेय पदार्थों में और खाद्य पदार्थों में, टाइप-2 मधुमेह, हृदय रोग (स्ट्रोक एवं उच्च रक्तचाप सहित) एवं समय से पहले जन्म के बढ़ते जोखिम से संबंधित है।
  • WHO की सिफारिशें: 
    • पूरी तरह से मधुरक पर निर्भर रहने के बजाय WHO मुक्त शर्करा के सेवन को कम करने के लिये अन्य तरीकों पर विचार करने की सिफारिश करता है, जैसे कि फलों से प्राकृतिक रूप से प्राप्त शर्करा का सेवन करना या बिना पके भोजन एवं पेय पदार्थों का चयन करना।
      • WHO की ये सिफारिशें उन व्यक्तियों पर लागू होती हैं, जिन्हें मधुमेह रोग नहीं है। मधुमेह रोगियों को व्यक्तिगत सावधानी बरतनी चाहिये और सलाह हेतु स्वास्थ्य पेशेवरों से परामर्श करना चाहिये।
  • विशेषज्ञ की राय: 
    • मधुमेह रोगियों को भी सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उन्हें हृदय रोग और कैंसर का खतरा अधिक होता है। 
    • विशेषज्ञ कृत्रिम मधुरक के सेवन से जुड़े इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप -2 मधुमेह के संभावित जोखिम पर प्रकाश डालते हैं। विशेषज्ञ, कृत्रिम मधुरक के उपयोग से जुड़े इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप-2 मधुमेह के संभावित जोखिम पर बल देते हैं। 
  • डायट कोला (पेय) के हानिकारक प्रभाव: 
    • सामान्य कोला के शून्य-कैलोरी विकल्प के रूप में विपणन किये गए डायट कोला में शून्य-कैलोरी दावे को प्राप्त करने के लिये कृत्रिम मधुरक का उपयोग किया जाता है। 
    • कृत्रिम मधुरक की तीव्र मिठास स्वाद की धारणा को बदल सकती है, जिससे सामान्य मिठाइयाँ कम मीठी लगती हैं और संभावित रूप से अधिक शर्करा वाले खाद्य पदार्थों की लालसा होती है।
    • एरिथ्रिटोल पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है, जबकि इसके संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के कारण इससे परहेज करना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. बाज़ार में बिकने वाला ऐस्परटेम कृत्रिम मधुरक है। यह ऐमीनो अम्लों से बना होता है और अन्य ऐमीनो अम्लों के समान ही कैलोरी प्रदान करता है। फिर भी यह भोज्य पदार्थों में कम कैलोरी मधुरक के रूप में इस्तेमाल होता है। उसके इस्तेमाल का क्या आधार है? (2011) 

(a) ऐस्परटेम सामान्य चीनी जितना ही मीठा होता है, किंतु चीनी के विपरीत यह मानव शरीर में आवश्यक एन्जाइमों के अभाव के कारण शीघ्र ऑक्सीकृत नहीं हो पाता है।
(b) जब ऐस्परटेम आहार प्रसंस्करण में प्रयुक्त होता है, तब उसका मीठा स्वाद तो बना रहता है किंतु यह ऑक्सीकरण-प्रतिरोधी हो जाता है।
(c) ऐस्परटेम चीनी जितना ही मीठा होता है, किंतु शरीर में अंतर्गहण होने के बाद यह कुछ ऐसे मेटाबोलाइट्स में परिवर्तित हो जाता है जो कोई कैलोरी नहीं देते हैं।
(d) ऐस्परटेम सामान्य चीनी से कई गुना अधिक मीठा होता है, अतः थोड़े से ऐस्परटेम में बने भोज्य पदार्थ ऑक्सीकृत होने पर कम कैलोरी प्रदान करते हैं।

उत्तर: (d) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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