अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आईटी क्षेत्र के लिये आपदा साबित हो सकता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
- 22 Aug 2017
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चर्चा में क्यों ?
तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्वचालन (automation) से रोज़गार सृजन के मोर्चे पर व्यापक परिवर्तन देखने को मिलेगा। मुख्य रूप से भारत की 150 अरब डॉलर की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) इंडस्ट्री सबसे अधिक प्रभावित होगी जो कि वर्तमान में लगभग 40 लाख लोगों को रोज़गार दे रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है ?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है। दूसरे शब्दों में, यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित इंटेलिजेंस है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंट तरीके से सोचने वाला एक सॉफ़्टवेयर बनाने का तरीका है।
चिंताएँ क्या हैं?
विश्व बैंक के शोध के मुताबिक, स्वचालन के कारण भारत में 69% नौकरियाँ खत्म हो सकती हैं, जबकि चीन में इसके कारण 77% रोज़गार खतरे में है। सर्वाधिक चिंतित करने वाली बात यह है कि विशेषज्ञों के मुताबिक, एक दशक के अंदर हमें यह संक्रमण देखने को मिलेगा। इसलिये, यदि स्वचालन को अच्छी तरह से नियोजित नहीं किया गया तो यह निर्माण क्षेत्र में आने वाली आपदाओं की सुनामी के जैसा ही होगा, जिसमें रोज़गार नष्ट हो जायेंगे।
नई संभावनाएँ
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में निहित प्रवृत्तियाँ जहाँ एक ओर रोज़गार संकट का कारण बन सकती हैं, वहीं अच्छी खबर यह है कि साइबर सुरक्षा, क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा, जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में नई नौकरियाँ भी पैदा की जा सकती हैं।
क्या होना चाहिये?
दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक जटिल विषय है, अतः सबसे पहले हमें इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभावों के संबंध में एक समग्र अध्ययन करना होगा। लेकिन एक ही दशक में मध्य वर्ग का एक बड़ा तबका नौकरियों से हाथ धो बैठेगा। अतः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर सरकार को सतर्क रहना होगा।
मशीनीकरण के माध्यम से आये बदलावों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं जो अपने कौशल क्षमता में निश्चित समय के भीतर वांछनीय सुधार लाने में असमर्थ होते हैं अतः सरकार को चाहिये कि ऐसे लोगों को प्रशिक्षण के लिये पर्याप्त समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए।
तकनीकों के इस बदलते दौर में ज़रूरत इस बात की है कि विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों के लिये लोगों को कौशल दिया जाए और इसके लिये अवसंरचना का भी विकास किया जाए।