वेदांता लिमिटेड की याचिका रद्द | 13 Apr 2019
हाल ही में वेदांता लिमिटेड ने तूतीकोरन (तमिलनाडु) में स्थित कंपनी स्टरलाइट कॉपर के रखरखाव कार्य की अनुमति प्राप्त करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
- गौरतलब है कि स्टरलाइट कंपनी के खिलाफ क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने को लेकर लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया था। इस पर कार्रवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा मई 2018 में इसे बंद करने का आदेश दिया गया था।
भारत के संविधान में अनुच्छेद 136
- संविधान के अनुच्छेद 136 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय अपने विवेकानुसार भारत के राज्यक्षेत्र में किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा किसी वाद या मामले में पारित किये गए या दिये गए किसी निर्णय, डिक्री, अवधारण, दंडादेश या आदेश के विरुद्ध अपील करने की विशेष आज्ञा दे सकता है।
♦ लेकिन अनुच्छेद 136 (1) के अनुसार सशस्त्र बलों से संबंधित या किसी भी कानून के तहत गठित किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा पारित या बनाए गए किसी भी निर्णय, निर्धारण, वाक्य या आदेश पर यह SLP लागू नहीं होगा।
- SLP के किसी भी मामले में सर्वोच्च न्यायालय को अपने विवेक से ही निर्णय लेना होगा कि उस विशेष आज्ञा के अनुरोध को स्वीकार करना है या खारिज़ करना है।
- जब SLP पर चर्चा की जाती है तो अंतर-राज्य जल विवाद (Inter-State Water Disputes- ISWD) ट्रिब्यूनल के निर्णयों के संबंध में इसकी स्थिति को समझना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
- अंतर-राज्य जल विवाद अधिनियम 1956 और संविधान का अनुच्छेद 262 (2) सर्वोच्च न्यायालय को अंतर-राज्य जल विवाद (ISWD) ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ किसी भी अपील को सुनने या निर्णय लेने से सर्वोच्च न्यायालय को रोकता है।
हालाँकि अनुच्छेद 136 में ‘भारत के अधिकार क्षेत्र में कोई न्यायालय या ट्रिब्यूनल’ का संदर्भ अंतर-राज्य जल विवाद (ISWD) ट्रिब्यूनल को इस अनुच्छेद के दायरे में लाता हुआ प्रतीत होता है। - सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी तर्क दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 136 (Special Leave Petition) के तहत बताए गए उपाय एक संवैधानिक अधिकार हैं। इसलिये अंतर-राज्य जल विवाद (ISWD) ट्रिब्यूनल को संविधान के अनुच्छेद 32, 131 और 136 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के दायरे में लाया जा सकता है।