‘मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल’ का आर्मी संस्करण | 24 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय सेना के लिये ‘मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल’ (MRSAM) का पहला परीक्षण किया गया है।

प्रमुख बिंदु

MRSAM का आर्मी संस्करण

  • यह भारतीय सेना के उपयोग हेतु रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तथा इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ (IAI) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है।
  • इसमें एक कमांड और कंट्रोल पोस्ट, मल्टी-फंक्शन रडार और मोबाइल लॉन्चर सिस्टम शामिल हैं।

‘मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल’ (MRSAM)

  • यह एक त्वरित प्रतिक्रिया वाली सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसे दुश्मन के हवाई खतरों, जैसे- मिसाइल, विमान, गाइडेड बम और लड़ाकू विमान आदि को बेअसर करने के लिये विकसित किया गया है।
    • सुपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति (मैक 1) से अधिक तेज़ होती हैं, किंतु वह माइक-3 से तेज़ नहीं हो सकती हैं।
  • सेना, नौसेना और वायु सेना के लिये इसके अलग-अलग संस्करण विकसित किये गए हैं।
    • मई 2019 में भारतीय नौसेना, DRDO और IAI ने ‘मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल’ (MRSAM) के नौसैनिक संस्करण का पहला परीक्षण किया था।

भारत-इज़राइल रक्षा सहयोग

  • इज़राइल लगभग दो दशकों से भारत के शीर्ष चार हथियार आपूर्तिकर्त्ताओं में से एक रहा है, जो प्रतिवर्ष भारत को लगभग 1 बिलियन डॉलर मूल्य की सैन्य बिक्री करता है।
  • भारतीय सशस्त्र बल द्वारा 30,000 करोड़ रुपए से अधिक की तीन DRDO-IAI की संयुक्त परियोजनाओं के तहत विकसित अत्याधुनिक बराक-8 सरफेस टू एयर मिसाइल प्रणाली को शामिल किया जा रहा है।
  • बीते कुछ वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों में इज़राइली हथियार प्रणालियों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल किया है, जिसमें ‘फाल्कन एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल’, हेरॉन ड्रोन, हारोप ड्रोन और बराक एंटी-एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम आदि शामिल हैं।

Strategic-ties

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस