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आयुध (संशोधन) विधेयक 2019

  • 12 Dec 2019
  • 8 min read

मेन्स के लिये:

आयुध (संशोधन) विधेयक 2019 तथा इसकी उपयोगिता।

चर्चा में क्यों?

11 दिसंबर, 2019 को आयुध (संशोधन) विधेयक 2019 [Arms (Amendment) Bill, 2019] संसद में पारित हुआ। यह विधेयक आयुध अधिनियम (Arms Act) 1959 में संशोधन करता है।

Arms Bill

विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ

बंदूक खरीदने के लिये लाइसेंस:

  • आयुध अधिनियम (Arms Act) 1959 के तहत बंदूक खरीदने, उसे रखने या कैरी करने के लिये लाइसेंस लेना आवश्यक होता है। अधिनियम के अनुसार, कोई व्यक्ति केवल तीन बंदूकों का ही लाइसेंस ले सकता है (इसमें कुछ अपवाद हैं, जैसे बंदूकों के लाइसेंसशुदा डीलर्स के लिये)। लेकिन हाल ही में पारित विधेयक बंदूकों की संख्या को तीन से घटाकर एक करता है। इसमें उत्तराधिकार या विरासत के आधार पर मिलने वाला लाइसेंस भी शामिल है।
  • विधेयक एक साल की समय-सीमा प्रदान करता है जिस दौरान अतिरिक्त बंदूकों को निकटवर्ती पुलिस स्टेशन के ऑफिसर-इन-चार्ज या निर्दिष्ट लाइसेंसशुदा बंदूक डीलर के पास जमा करना होगा। अगर बंदूक का मालिक सशस्त्र सेना का सदस्य है तो वह यूनिट के शस्त्रागार में बंदूकें जमा करा सकता है। एक वर्ष की अवधि के समाप्त होने के 90 दिनों के भीतर इन बंदूकों का लाइसेंस समाप्त हो जाएगा।
  • विधेयक बंदूकों के लाइसेंस की वैधता की अवधि को तीन वर्ष से बढ़ाकर पाँच वर्ष करता है।

प्रतिबंध:

  • अधिनियम लाइसेंस के बिना बंदूकों के विनिर्माण, बिक्री, इस्तेमाल, ट्रांसफर, परिवर्तन, जाँच या परीक्षण पर प्रतिबंध लगाता है। यह लाइसेंस के बिना बंदूकों की नली यानी बैरल को छोटा करने या नकली बंदूकों को असली बंदूकों में बदलने पर भी प्रतिबंध लगाता है। इसके अतिरिक्त विधेयक गैर-लाइसेंसशुदा बंदूकों को हासिल करने या खरीदने तथा लाइसेंस के बिना एक श्रेणी की बंदूकों को दूसरी श्रेणी में बदलने पर प्रतिबंध लगाता है।
  • विधेयक राइफल क्लब्स या संगठनों को इस बात की अनुमति देता है कि वे टारगेट प्रैक्टिस के लिये किसी भी बंदूक का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब तक उन्हें सिर्फ प्वाइंस 22 बोर की राइफल्स या एयर राइफल्स का इस्तेमाल करने की अनुमति थी।

सज़ा में बढ़ोतरी:

  • विधेयक अनेक अपराधों से संबंधित सज़ा में संशोधन करता है। अधिनियम में निम्नलिखित के संबंध में सज़ा निर्दिष्ट है:
  1. गैर लाइसेंसशुदा हथियार की विनिर्माण, खरीद, बिक्री, ट्रांसफर, परिवर्तन सहित अन्य क्रियाकलाप।
  2. लाइसेंस के बिना बंदूकों की नली को छोटा करना या उनमें परिवर्तन।
  3. प्रतिबंधित बंदूकों का आयात या निर्यात। इन अपराधों के लिये तीन से सात वर्ष की सज़ा है, साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ता है। विधेयक इसके लिये सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा का प्रावधान करता है जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
  • अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस के बिना प्रतिबंधित अस्त्र-शस्त्र (Ammunition) खरीदने, अपने पास रखने या कैरी करने पर पाँच से दस साल की कैद हो सकती है और जुर्माना भरना पड़ सकता है। विधेयक इस सज़ा को जुर्माने सहित सात वर्ष से बढ़ाकर 14 वर्ष करता है। न्यायालय कारण बताकर इस सज़ा को सात साल से कम कर सकता है।
  • अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस के बिना प्रतिबंधित बंदूकों से डील करने (जिसमें उनकी विनिर्माण, बिक्री और मरम्मत शामिल है) पर सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा है जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ता है। विधेयक न्यूनतम सज़ा को सात से 10 वर्ष करता है।
  • जिन मामलों में प्रतिबंधित हथियारों (आयुध और अस्त्र-शस्त्र) के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, उस स्थिति में अपराधी के लिये अधिनियम में मृत्यु दंड का प्रावधान था। विधेयक में इस सज़ा को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास किया गया है, जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ेगा।

नए अपराध:

  • विधेयक नए अपराधों को जोड़ता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
  1. पुलिस या सशस्त्र बलों से ज़बरन हथियार लेने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा, साथ ही जुर्माना
  2. समारोह या उत्सव में गोलीबारी करने, जिससे मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ती है, पर दो साल तक की सज़ा होगी, या एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ेगा, या दोनों सज़ाएँ भुगतनी पड़ेंगी। समारोह में गोलीबारी का अर्थ है, सार्वजनिक सभाओं, धार्मिक स्थलों, शादियों या दूसरे कार्यक्रमों में गोलीबारी करने के लिये बंदूकों का इस्तेमाल करना।
  • विधेयक संगठित आपराधिक सिंडिकेट्स के अपराधों और गैर-कानूनी तस्करी को भी स्पष्ट करता है। ‘संगठित अपराध’ का अर्थ है, सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या उसकी ओर से किसी व्यक्ति द्वारा आर्थिक या दूसरे लाभ लेने के लिये गैर कानूनी तरीकों को अपनाना, जैसे हिंसा का प्रयोग करके या ज़बरदस्ती, गैर-कानूनी कार्य करना। संगठित आपराधिक सिंडिकेट का अर्थ है, संगठित अपराध करने वाले दो या उससे अधिक लोग।
  • अधिनियम का उल्लंघन करते हुए सिंडिकेट के सदस्यों द्वारा बंदूक या गोला बारूद रखने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा हो सकती है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। यह सज़ा उन लोगों पर भी लागू होगी, जो कि सिंडिकेट की ओर से गैर-लाइसेंसशुदा बंदूक संबंधी डील करते हैं (इसमें विनिर्माण या बिक्री भी शामिल है), लाइसेंस के बिना बंदूकों में बदलाव करते हैं, या लाइसेंस के बिना बंदूकों का आयात या निर्यात करते हैं।
  • विधेयक के अनुसार, अवैध तस्करी में भारत या उससे बाहर उन बंदूकों या गोला-बारूद का व्यापार, उन्हें हासिल करना तथा उनकी बिक्री करना शामिल है जो अधिनियम में चिह्नित नहीं हैं या अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। अवैध तस्करी के लिये 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा का प्रावधान है जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ेगा।

बंदूकों की ट्रैकिंग: केंद्र सरकार आयुध के अवैध विनिर्माण और तस्करी का पता लगाने, उसकी जाँच तथा आकलन करने के लिये विनिर्माणकर्त्ता से लेकर खरीदार तक बंदूकों एवं अन्य अस्त्र-शस्त्रों को ट्रैक करने के नियम बना सकती है।

स्रोत: पी.आई.बी एवं पी.आर.एस

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