सशस्त्र बल और व्यभिचार | 02 Feb 2023
प्रिलिम्स के लिये:व्यभिचार, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497। मेन्स के लिये:सशस्त्र बल और व्यभिचार। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि सशस्त्र बल व्यभिचारी कृत्यों के लिये अपने अधिकारियों/कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, जबकि व्यभिचार का अपराध सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होता है।
- सितंबर 2018 में जोसेफ शाइन निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यभिचार को अपराध बनाने वाली IPC की धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया जो महिलाओं को उनके पति से कमतर मानती है जिससे समानता के अधिकार का उल्लंघन होता था।
हालिया निर्णय:
- सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2018 का फैसला केवल IPC की धारा 497 और व्यभिचार से संबंधित CrPC की धारा 198 (2) की वैधता से संबंधित था तथा सेना, नौसेना एवं वायु सेना अधिनियमों के संबंध में "प्रभाव पर विचार करने का कोई मामला नहीं था"।
- तीनों सेवाओं- सेना, नौसेना और वायु सेना के रक्षाकर्मियों को विशेष कानून, सेना अधिनियम, नौसेना अधिनियम और वायु सेना अधिनियम द्वारा शासित किया गया था।
- ये विशेष कानून उन कार्मिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाते हैं, जो अत्यधिक अनुशासन की आवश्यकता वाली विशिष्ट स्थिति में कार्य करते हैं।
- तीनों कानून संविधान के अनुच्छेद 33 द्वारा संरक्षित हैं, जो सरकार को सशस्त्र बलों के कर्मियों के मौलिक अधिकारों को संशोधित करने की अनुमति देता है।
- खंडपीठ ने मामले में अंतिम आदेश देते हुए यह स्पष्ट किया कि जोसेफ शाइन निर्णय उन सशस्त्र बलों के सदस्यों पर लागू नहीं होता है जिन पर 'अशोभनीय आचरण' करने का आरोप है और इस प्रकार अपील को खारिज़ कर दिया गया।
महत्त्व:
- व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से हटाना सशस्त्र सेवाओं के सदस्यों को व्यभिचारी गतिविधियों का दोषी बनाने से रोक सकता है। जब जवानों और अधिकारियों को शत्रुतापूर्ण वातावरण में तैनात किया जाता है, तो अन्य अधिकारी बेस कैंप में परिवारों की देखभाल करते हैं एवं व्यभिचारी या अनैतिक व्यवहार में संलग्न होने के परिणामों को निर्दिष्ट करने वाले कानून तथा नियम अनुशासन बनाए रखने में सहायता करते हैं।
- एक सहकर्मी की पत्नी के साथ व्यभिचार करने वाले सशस्त्र सेवा के सैनिकों को इस अशोभनीय कार्य करने के लिये उनकी नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है।
व्यभिचार:
- परिचय:
- व्यभिचार को एक विवाहित महिला/पुरुष द्वारा पति या पत्नी के अलावा किसी अन्य साथी के साथ स्वैच्छिक यौन संबंध के रूप में परिभाषित किया गया है।
- IPC की धारा 497:
- कोई भी व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी के साथ उस व्यक्ति की सहमति या जानकारी के बिना यौन क्रिया में संलग्न होता है, वह व्यभिचार का अपराध करता है और सज़ा के अधीन है। इस गतिविधि को बलात्कार नहीं कहा जाना चाहिये।
- कानून उस महिला को दंडित नहीं करता है, क्योंकि वह मान कर चलता है कि केवल पुरुष ही एक महिला को यौन क्रिया के लिये फुसला सकता है और यह ऐसे में पति की सहमति के बिना पत्नी के यौन संबंधों के कारण पति को पीड़ित मानता है, जबकि महिला को पति द्वारा किये गए समान कृत्य के संबंध में सुरक्षा प्राप्त नहीं है।
- भारतीय सशस्त्र बलों में व्यभिचार पर रोक हेतु प्रावधान:
- जहाँ तक भारतीय सशस्त्र बलों की बात है, सैन्यकर्मी व्यभिचार पर कानून सहित IPC के प्रावधानों के अधीन हैं। इसके अलावा भारतीय सेना की अपनी आचार संहिता और नियम हैं जो व्यभिचार तथा अनैतिक व्यवहार के अन्य रूपों पर रोक लगाते हैं।
- भारतीय सशस्त्र बल व्यभिचार के लिये प्रशासनिक कार्रवाई, अनुशासनात्मक कार्रवाई, या कोर्ट-मार्शल सहित कई तरह के दंड दे सकते हैं।
- ऐसे मामलों से निपटने के लिये नियम और प्रक्रियाएँ भारतीय सैन्य न्याय प्रणाली द्वारा स्थापित की जाती हैं।