सशस्त्र सीमा बल’ के खुफिया विंग का गठन | 20 Sep 2017
संदर्भ
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘सशस्त्र सीमा बल’ (S.S.B) के पहले खुफिया विंग (intelligence wing) का गठन किया। यह अर्द्धसैनिक बल भारत की भूटान और नेपाल से लगने वाली सीमा की सुरक्षा करता है। विदित हो कि इन सीमाओं का उपयोग प्रायः अपराधियों और कश्मीरी चरमपंथियों द्वारा पाकिस्तान से वापस भारत लौटने के लिये किया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- कार्रवाई करने योग्य जानकारी एकत्रित करने के लिये इस खुफिया विंग में 650 फील्ड और स्टाफ एजेंट होंगे।
- दरअसल, नेपाल और भूटान के साथ भारत की वीज़ा मुक्त व्यवस्था (visa-free regime ) के कारण अपराधियों और राष्ट्र-विरोधी तत्त्वों का सीमापारीय आवागमन होता है, जो देश के समक्ष बड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं।
- भारत नेपाल के साथ 1,751 किलोमीटर की लम्बी सीमा को साझा करता है, जबकि भूटान के साथ इसकी सीमा 699 किलोमीटर लम्बी है।
- एस.एस.बी. को इन दोनों सीमाओं के लिये प्रमुख एजेंसी भी घोषित किया गया है।
- केंद्र सरकार का मानना था कि उच्चतम क्षमता वाले एक खुफिया नेटवर्क के माध्यम से सीमा प्रबंधन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
- एस.एस.बी. को भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा की सुरक्षा का कार्य सौंपा गया है। वस्तुतः इन सीमाओं पर दोनों देशों के लोगों के आवागमन पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।
- वस्तुतः नेपाल सीमा पर एस.एस.बी. के 474 बॉर्डर आउट पोस्ट (Border Out Posts -BOPs) हैं, जबकि भूटान सीमा पर इनकी संख्या 131 है।
- भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम आदि राज्य नेपाल की सीमा से लगे हैं, जबकि भूटान की सीमा से लगे भारत के राज्यों में सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।
पृष्ठभूमि
- वर्ष 2010 से लेकर अब तक पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत-कश्मीर में रहने वाले 230 पूर्व कश्मीरी चरमपंथियों ने भारत-नेपाल सीमा से अपने घरों में वापसी की। इसके अतिरिक्त, इन चरमपंथियों के साथ इनके पत्नियां और 88 बच्चे भी आए थे।
- इन पूर्व चरमपंथियों, उनकी पत्नियों और बच्चों के पास भारत में प्रवेश करते समय यात्रा संबंधी किसी भी प्रकार के दस्तावेज़ नहीं थे। हालाँकि,उनकी पृष्ठभूमियों, पूर्व गतिविधियों की जाँच करके तथा न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के पश्चात उन्हें छोड़ दिया गया था।
- विगत वर्षों में असम में स्थित विद्रोही समूह ‘नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) ने भारत-भूटान सीमा पर रहने वाले भूटानी लोगों पर कई हमले किये थे।
‘सशस्त्र सीमा बल’ क्या है?
- सशस्त्र सीमा बल का गठन ‘विशेष सेवा ब्यूरो’ (Special Service Bureau) के रूप में वर्ष 1963 में हुआ।
- एस.एस.बी. को 15 जनवरी 2001 को गृह मंत्रालय के अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल घोषित किया गया तथा 15 दिसम्बर, 2003 को इसका नाम बदलकर सशस्त्र सीमा बल कर दिया गया।
- एस.एस.बी. को 19 जून 2001 को भारत-नेपाल सीमा (1751 किलोमीटर ) की सुरक्षा करने का कार्य सौंपा गया तथा इसे उस क्षेत्र की प्रमुख खुफिया एजेंसी घोषित किया गया।
- इसे भारत-भूटान सीमा की सुरक्षा का दायित्व 12 मार्च 2004 को सौंपा गया और इसके साथ ही इसे उस सीमा की भी प्रमुख खुफिया एजेंसी घोषित कर दिया गया।
- वर्तमान में एस.एस.बी. उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और अरुणाचल प्रदेश से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करता है।
एस.एस.बी. के कार्य
- भारत की आवंटित सीमाओं की सुरक्षा और सीमा क्षेत्रों में रह रहे लोगों के मध्य सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देना।
- सीमापारीय अपराध, तस्करी और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों को रोकना।
- भारतीय भू-भाग से किसी भी प्रकार के अनधिकृत प्रवेश और निष्कासन को रोकना।
- सीमा क्षेत्रों में असैन्य कार्रवाई कार्यक्रम (civic action programme) का संचालन करना।
- केंद्र सरकार द्वारा सौंपें गए अन्य कर्तव्यों का पालन करना।
- एस.एस.बी. को कानून और व्यवस्था , उग्रवाद का विरोध करने और चुनावी कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिये तैनात किया गया है।
निष्कर्ष
निश्चित ही यह पहल लाभकारी सिद्ध होगी क्योंकि इसके माध्यम से अपराधियों और तस्करों को नेपाल और भूटान से लगी भारतीय सीमा का लाभ उठाने से रोका जा सकता है।