जैव विविधता और पर्यावरण
आर्कटिक जलवायु के अध्ययन हेतु मिशन
- 08 Jul 2019
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चर्चा में क्यों ?
हाल ही में आर्कटिक बर्फ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के अध्ययन हेतु 17 देशों के वैज्ञानिको के एक दल का गठन किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- जर्मनी का आइसब्रेकर आर.वी. पोलरस्टर्न (RV Polarstern) जहाज़ अमेरिका, रूस और चीन सहित 17 देशों के वैज्ञानिकों तथा वैज्ञानिक उपकरणों के साथ आर्कटिक क्षेत्र की बर्फ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अध्ययन के लिये भेजा जाएगा।
- इस वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से केंद्रीय आर्कटिक क्षेत्र के मौसम का स्पष्ट अध्ययन किया जा सकेगा। अत्यंत कम तापमान और दिन की अवधि छोटी होने की वजह से यहाँ सैटेलाइट के माध्यम से स्पष्ट अध्ययन संभव नही हो पाता है ।
- इस अध्ययन में रोबोटिक्स जैसे तकनीकों का प्रयोग कर बेहतर डेटा तैयार किया जाएगा ताकि मौसम और जलवायु का बेहतर अनुमान लगाया जा सके।
- इस मिशन को अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन, ऊर्जा विभाग, राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (National Oceanic and Atmospheric Administration) तथा नासा जैसे संस्थानों द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- इस प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन ध्रुवीय भँवर के विस्तार, फ्लोरिडा में होने वाली बर्फ़बारी और यूरोप में बढ़ती हीटवेव जैसे अप्रत्याशित घटनाओं को समझने के साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने में एक कारगर उपाय साबित होंगे।