सेवाओं में चैंपियन क्षेत्रों के लिये कार्य योजना को मंज़ूरी | 01 Mar 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 निर्धारित चैंपियन सेवा क्षेत्रों के संवर्द्धन और इनमें निहित संभावनाओं को साकार करने के उद्देश्य पर केंद्रित वाणिज्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
कौन-कौनसी सेवाएँ चैंपियन सेवा के अंतर्गत शामिल की गई हैं?
- सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएँ
- पर्यटन और आतिथ्य सेवाएँ
- चिकित्सा मूल्यांकन भ्रमण
- परिवहन और लॉजिस्टिक सेवाएँ
- लेखा और वित्त सेवाएँ
- दृश्य-श्रव्य सेवाएँ
- कानूनी सेवाएँ
- संचार सेवाएँ
- निर्माण और उससे संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएँ
- पर्यावरण सेवाएँ
- वित्तीय सेवाएँ
- शिक्षा सेवाएँ
पृष्ठभूमि
- सचिवों के समूह ने प्रधानमंत्री को भेजी गई अपनी सिफारिशों में 10 चैंपियन क्षेत्र निर्धारित किये। इनमें सात निर्माण संबंधी क्षेत्र और तीन सेवा क्षेत्र हैं।
- चैंपियन क्षेत्रों के संवर्द्धन और उनकी सामर्थ्य को हासिल करने के लिये यह निर्णय लिया गया कि ‘मेक इन इंडिया’ की नोडल एजेंसी औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (DIPP) निर्माण में चैंपियन क्षेत्रों की पहल में प्रमुख भूमिका निभाएगा और वाणिज्य विभाग सेवाओं में चैंपियन क्षेत्रों के लिये प्रस्तावित पहल के साथ समन्वय कायम करेगा।
प्रमुख बिंदु
- इन क्षेत्रों से संबद्ध मंत्रालयों/विभागों को यह भी निर्देश दिया गया है कि निर्धारित चैंपियन सेवा क्षेत्रों के लिये कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देने और उनके कार्यान्वयन के लिये उपलब्ध क्षेत्रीय मसौदा योजनाओं का उपयोग किया जाए।
- संबद्ध मंत्रालयों/विभागों को कार्य योजना को अंतिम रूप देना होगा और कैबिनेट सचिव के अंतर्गत सचिवों की समिति की सम्पूर्ण देख-रेख में कार्यान्वयन की निगरानी के लिये एक निगरानी तंत्र की स्थापना के साथ ही कार्यान्वयन हेतु समयसीमा भी निर्धारित की जाएगी।
- चैंपियन क्षेत्रों की क्षेत्रीय कार्य योजनाओं की पहलों को सहायता देने के लिये 5000 करोड़ रुपए का एक समर्पित कोष स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
पहल का लक्ष्य
- भारत के सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी वैश्विक सेवाओं के निर्यात में 2015 में 3.3% थी, जबकि 2014 में यह 3.1% थी। इस पहल के आधार पर 2022 के लिये 4.2% का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) में सेवाओं की हिस्सेदारी 2015-16 (निर्माण सेवाओं सहित 61%) में भारत के लिये करीब 53% थी।
- जीवीए में सेवाओं की हिस्सेदारी 2022 तक 60% (निर्माण सेवाओं सहित 67 %) हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस पहल का प्रभाव
- इन कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के ज़रिये भारत के सेवा क्षेत्रों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी, जिससे जीडीपी दर बढ़ेगी, अधिक नौकरियाँ सृजित होंगी और वैश्विक बाज़ारों के लिये निर्यात बढ़ेगा।
लाभ
- चूँकि सेवा क्षेत्र भारत के जीडीपी, निर्यात और रोज़गार सृजन और बढ़ी हुई उत्पादकता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। चैंपियन सेवा क्षेत्रों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता से भारत की विभिन्न सेवाओं का निर्यात बढ़ेगा।
- सन्निहित सेवाएँ वस्तुओं का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। अत: प्रतिस्पर्द्धात्मकक सेवा क्षेत्र निर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मकता से जुड़ जाएगा।
- वर्ष 2022 में भारत अपनी आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ मनाएगा। संबद्ध मंत्रालयों/विभागों द्वारा तैयार और कार्यान्वित कार्य योजनाओं से वर्ष 2022 में इन निर्धारित चैंपियन क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिये एक संकल्पना विकसित हो सकेगी और इस संकल्पना को हासिल करने के लिये उपयुक्त कदम उठाने की आवश्कता है।