सशस्त्र बलों में सुधार के पहले चरण को मंज़ूरी | 31 Aug 2017
चर्चा में क्यों?
- आज़ादी के बाद पहली बार रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के साथ परामर्श के उपरांत सेना में योजनाबद्ध तरीके से सुधार करने का निर्णय लिया है।
- रक्षा से संबंधित सभी पक्षों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करने के पश्चात् रक्षा मंत्री श्री अरुण जेटली ने इन निर्णयों को मंज़ूरी दी है।
- विदित हो कि सुधार के पहले चरण में अधिकारी/जेसीओ/ओआर और असैन्य कर्मियों के लगभग 57,000 पदों का पुनर्गठन किया जाएगा।
मंज़ूर किये गए प्रमुख सुधार
- सिग्नल प्रतिष्ठानों के अधिकतम उपयोग के लिये रेडियो निगरानी कंपनी, एयर सपोर्ट सिग्नल रेजिमेंट, एयर फॉर्मेशन सिग्नल रेजिमेंट, संयुक्त सिग्नल रेजीमेंट्स को सिग्नल प्रतिष्ठानों में शामिल किया जाएगा तथा कोर संचालन और इंजीनियरिंग सिग्नल रेजिमेंटों का विलय कर दिया जाएगा।
- सेना के रख-रखाव व मरम्मत इकाइयों की पुर्नसंरचना की जाएगी। इसके अंतर्गत बेस वर्कशॉप, एडवांस बेस वर्कशॉप और स्टेशन वर्कशॉप को शामिल किया जाएगा।
- आयुध विभाग की पुर्नसंरचना के अंतर्गत वाहन डिपो, आयुध डिपो और केन्द्रीय आयुध डिपो को शामिल किया जाएगा।
- परिवहन इकाइयों और परिवहन विभागों का बेहतर उपयोग किया जाएगा, जिसमें जानवरों का इस्तेमाल भी शामिल है (जैसे: घोड़ा, ऊँट इत्यादि)।
- शांतिपूर्ण क्षेत्रों से सैन्य फार्मों और सैन्य डाक प्रतिष्ठानों को हटाना।
- सेना में वाहन चालकों और लिपिकों की भर्ती को उच्च स्तरीय बनाया जाएगा।
- राष्ट्रीय कैडेट कोर की कार्य दक्षता में सुधार।
सुधारों की पृष्ठभूमि
- विदित हो कि सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी के निर्णय के पश्चात् 39 सैन्य फार्मों को समयबद्ध तरीके से समाप्त करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डीबी शेकाटकर की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी, जिसका उद्देश्य सेना की युद्ध क्षमता बढ़ाने तथा रक्षा व्यय को संतुलित करने के संबंध में सुझाव देना था।
- विशेषज्ञों की समिति ने दिसंबर, 2016 में मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रक्षा मंत्रालय ने इस पर विचार करने के पश्चात् 99 सिफारिशों को सशस्त्र बलों को भेज दिया। इसका उद्देश्य सिफारिशों के अनुसार कार्यान्वयन योजना बनाना था। रक्षा मंत्री श्री अरुण जेटली ने कार्यान्वयन के लिये भारतीय सेना से संबंधित 65 सिफारिशों को मंज़ूरी दी है।
सुधारों का उद्देश्य
इन सुधारों को 31 दिसंबर, 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। इनका उद्देश्य भारतीय सेना के पुनर्गठन, सेना की युद्ध क्षमता बढ़ाना, अधिकारियों/जेसीओ/ओआर की कार्यक्षमता का समुचित उपयोग करना और असैन्य रक्षाकर्मियों की कार्य कुशलता बढ़ाने के लिये सेना के विभिन्न प्रभागों में प्रतिनियुक्ति करना है।