अंतर्राष्ट्रीय संबंध
यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी
- 15 Mar 2018
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चर्चा में क्यों?
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद भी यूरिया सब्सिडी योजना को 2019-20 तक जारी रखने तथा इसकी अदायगी से संबधित उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
- इस निर्णय द्वारा 1,64,935 करोड़ रुपए के अनुमानित व्यय से 2020 तक यूरिया की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी।
पृष्ठभूमि
- रसायन और उर्वरकों ने खाद्यान्न उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- निरंतर कृषि विकास और संतुलित पोषक प्रयोग सुनिश्चित करने हेतु यूरिया वैधानिक नियंत्रित मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराई जाती है।
- खेत तक पहुँचाए गए उर्वरक के मूल्य और किसान द्वारा भुगतान किये गए अधिकतम खुदरा मूल्य के बीच का अंतर सरकार द्वारा उर्वरक निर्माताओं/आयातकों को सब्सिडी के रूप में दिया जाता है।
- वर्तमान में देश में 31 यूरिया निर्माण इकाईयाँ हैं जिनमें से 28 यूरिया इकाईयाँ प्राकृतिक गैस (रसोई गैस/LNG/CBM ) और शेष तीन इकाईयाँ नैप्था को फीडस्टॉक/ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं।
लाभ
- यूरिया सब्सिडी 1 अप्रैल, 2017 से प्रभावी उर्वरक विभाग की केंद्रीय योजना का हिस्सा है जिसका सरकार बजटीय सहायता से पूरी तरह से वित्तीय प्रबंधन करती है।
- यूरिया सब्सिडी योजना जारी रहने से यूरिया उत्पादकों को समय पर सब्सिडी का भुगतान तथा किसानों को समय पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
- इसके अलावा सब्सिडी के रिसाव और गैर-कृषि अनुप्रयोगों की तरफ यूरिया के डाइवर्ज़न को रोकने के लिये पूरे देश में प्रत्यक्ष हस्तांतरण योजना (DBT) को लागू करने में भी सहायता मिलेगी।
सब्सिडी का विस्तार
- इस यूरिया सब्सिडी में आयात किये जाने वाले यूरिया पर दी जाने वाली सब्सिडी भी शामिल है। इसका उद्देश्य देश में यूरिया की निर्धारित मांग और उत्पादन के बीच की खाई को पाटना है।
- इसमें देश में यूरिया को लाने-ले जाने के लिये माल भाड़ा सब्सिडी भी शामिल है।
उर्वरक क्षेत्र संबंधित अन्य पहलें
- इससे पहले भारत सरकार द्वारा 2015 में 100% नीम लेपित यूरिया के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया गया है।
- नीप लेपित यूरिया का एक लाभ यह भी हुआ है कि इससे सब्सिडी वाले यूरिया के गैर-कृषि संबंधी कामों में इस्तेमाल पर रोक लगी है।
- नीम लेपित यूरिया के बड़े फायदों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब इसे 45 किलोग्राम के बैग में उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।
- इससे किसानों के लिये उर्वरकों की लागत में काफी कमी आएगी।
- कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से कराए गए अध्ययन में नीम लेपित यूरिया के निम्नलिखित लाभ पाए गए है-
♦ मृदा की उर्वरता में वृद्धि।
♦ फसलों के संरक्षण के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले रसायनों की लागत में कमी।
♦ कीटों और रोगों के खतरों में कमी।
♦ धान की उपज में 5.79 प्रतिशत की बढ़ोतरी।
♦ गन्ने की उपज में 17.5 प्रतिशत की वृद्धि।
♦ मकई की उपज में 7.14 प्रतिशत की वृद्धि।
♦ सोयाबीन की उपज में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि।
♦ तुअर दाल की उपज में 16.88 प्रतिशत की वृद्धि। - सरकार ने यूरिया उत्पादन की घरेलू क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिये 2015 में नई यूरिया नीति अधिसूचित की थी।
- जिसका उद्देश्य यूरिया उत्पादन में बिजली की लागत घटाना तथा सरकार पर यूरिया सब्सिडी के बोझ को कम करना है।
- इस नीतिकी वज़ह से देश में 2015- 16 के दौरान रिकार्ड 245 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हुआ। इस अवधि में बिना किसी क्षमता विस्तार के 20 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त यूरिया का उत्पाद हुआ।