CBI निदेशक की नियुक्ति | 06 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के एक नियमित निदेशक की नियुक्ति की मांग की गई है।

  • CBI के निदेशक को वर्ष 1946 के दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम की धारा 4A के अनुसार नियुक्त किया जाता है।

प्रमुख बिंदु:

CBI का निदेशक:

  • सीबीआई का नेतृत्व एक निदेशक द्वारा किया जाता है।
  • DSPE के तहत पुलिस महानिरीक्षक के रूप में CBI का निदेशक संगठन के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार होता है।
    • हालाँकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत अपराधों के अन्वेषण के मामले में अधीक्षण की शक्ति  केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission) के पास है।
    • CBI के निदेशक को CVC अधिनियम, 2003 के तहत दो वर्ष के कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की गई है।

नियुक्ति:

  • लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम (2013) ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (1946) में संशोधन किया और CBI के निदेशक की नियुक्ति के संबंध में निम्नलिखित बदलाव किये:
    • केंद्र सरकार CBI के निदेशक को तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर नियुक्त करेगी जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश होंगे।
  • बाद में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अधिनियम, 2014 ने CBI के निदेशक की नियुक्ति से संबंधित समिति की संरचना में बदलाव किया।
    • इसमें कहा गया है कि अगर लोकसभा में विपक्ष का कोई मान्यता प्राप्त नेता नहीं है, तो लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता उस समिति का सदस्य होगा।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI):

  • CBI की स्थापना वर्ष 1963 में गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी
    • अब CBI कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है।
  • CBI की स्थापना भ्रष्टाचार निवारण पर संथानम समिति (1962–1964) द्वारा की गई थी।
  • CBI एक सांविधिक निकाय नहीं है। यह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से अपनी शक्तियों को प्राप्त करता है।
  • CBI केंद्र सरकार की मुख्य जाँच एजेंसी है।
  • यह केंद्रीय सतर्कता आयोग और लोकपाल को भी सहायता प्रदान करता है।
  • यह भारत की नोडल पुलिस एजेंसी भी है जो इंटरपोल सदस्य देशों की ओर से जाँच का समन्वय करती है।

आगे की राह:

  • एक नियमित नियुक्ति के बजाय सरकार ने हाल ही में एक अंतरिम/कार्यवाहक CBI निदेशक नियुक्त किया है। 1946 के DSPE अधिनियम की वैधानिक योजना में कार्यकारी आदेश के माध्यम से अंतरिम नियुक्ति की परिकल्पना नहीं की गई थी।
  • प्रमुख जाँच एजेंसी को कार्यकारी या राजनीतिक शक्तियों के प्रभाव के बाहर स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिये। यह सुनिश्चित करने के लिये एक तंत्र होना चाहिये कि CBI निदेशक के चयन की प्रक्रिया वर्तमान निदेशक की सेवानिवृत्ति से एक या दो महीने पहले पूरी हो जाए।

स्रोत- द हिंदू