शासन व्यवस्था
नीति निर्माताओं के लिये आचार संहिता बनाने की अपील
- 03 Sep 2018
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संदर्भ
हाल ही में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा किया। इस अवसर पर पुस्तक- ‘मूविंग ऑन, मूविंग फॉरवर्ड- अ ईयर इन ऑफिस’ का भी विमोचन किया गया। इसके साथ ही राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्वों पर राजनीतिक विचारधाराओं से आगे बढ़कर एक साथ आगे आने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया।
नीति निर्माताओं हेतु आचार संहिता बनाने की आवश्यकता
- उपराष्ट्रपति ने संसदीय संस्थानों के प्रति लोगों के विश्वास को बनाए रखने और व्यवस्थापिका के कामकाज को सुचारु रूप से चलाने के लिये सभी राजनीतिक दलों से यह अपील की कि नीति निर्माताओं हेतु सदन के भीतर एवं सदन के बाहर एक आचार संहिता का निर्माण किया जाए।
संसद और राज्य विधायिकाओं के कामकाज में सुधार के लिये सुझाव
- विधायिकाओं की कार्यप्रणाली के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए विधायिकाओं की कार्य प्रणाली में सुधार के लिये निम्नलिखित सुझाव दिये गए:
- नीति निर्माताओं हेतु सदन के भीतर और बाहर आचार संहिता बनाई जाए ।
- पार्टी बदलने से पहले विधायकों द्वारा सदन से इस्तीफा दिया जाना चाहिये।
- एंटी-डिफेक्शन मामलों का फैसला तीन महीने के अंदर किया जाए।
- राजनीतिक नेताओं के खिलाफ चुनाव याचिकाओं और आपराधिक मामलों का फैसला उच्च न्यायालयों के विशेष बेंच द्वारा शीघ्रता से किया जाना चाहिये।
- राज्यों में उच्च सदन की स्थिरता और स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करने हेतु एक राष्ट्रीय नीति का निर्माण किया जाना चाहिये।
अन्य सुझाव
संसाधन आवंटन में किसानों को प्राथमिकता
- कृषि देश की मूल संस्कृति है, संसाधन आवंटन में किसानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये ताकि लाभकारी खेती और मज़बूत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
महिला संबंधी मुद्दों पर विचार किये जाने की आवश्यकता
- महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर विचार किया जाए ताकि वे अपनी सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित कर सकें और धर्म तथा अन्य कारकों के आधार पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को समाप्त किया जा सके।
- विधायिकाओं समेत सभी क्षेत्रों में महिलाओं को आरक्षण दिया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
- सच्चे राष्ट्रवाद का तात्पर्य सिर्फ भारत माता की तस्वीर पर हार चढ़ाना और केवल भारत माता की जय के नारे लगाना नहीं है, इसका मतलब है कि किसी भी भारतीय के खिलाफ जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव न किया जाए। नीति निर्माताओं के लिये आचार संहिता का निर्माण न केवल संसदीय संस्थानों में लोगों के विश्वास को सुनिश्चित करेगा बल्कि यह देश की विधायिकाओं की कार्यप्रणाली को भी बेहतर बनाने में मदद करेगी।