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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

डीएनए डाटाबेस सम्बन्धी कानून हेतु आंध्रप्रदेश सरकार प्रयासरत

  • 03 Feb 2017
  • 4 min read

पृष्ठभूमि

आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा भारत में डीएनए डेटाबेस बनाने के लिये प्रस्तावित विधेयक को लेकर बहस छिड़ गई है। इस पेशकश का विरोध करने वालों का कहना है कि इस कानून से मानवाधिकारों और नागरिक निजता का उल्लंघन होगा। गौरतलब है कि वर्ष 2012 में केंद्र सरकार ने एक विशेषज्ञ कमिटी और ड्राफ्ट बिल बनाया था जिसे विधेयक में शामिल निजता के मुद्दे पर विचार करना था, मगर आलोचना में घिरने के कारण तब से विचाराधीन स्थिति में ही पड़ा हुआ है| 

प्रमुख बिंदु 

  • वर्तमान में आंध्र प्रदेश सरकार इस पर एक राज्य स्तरीय कानून का प्रारूप बनाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विचार- विमर्श कर रही है| 
  • इस सन्दर्भ में जॉर्डन थॉमस हनीवेल (Gordon Thomas Honeywell ) नामक एक यूएस फर्म से डीएनए डाटाबेस स्थापित करने हेतु परामर्श लिया जा रहा है| 
  • पिछले वर्ष अगस्त में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने यूएस की कंपनी इंटेक्स एक्स (Integen X ) द्वारा विकसित डीएनए कलेक्शन किट  (DNA collection-kit) को लॉन्च किया था|
  • ह्यूमन डीएनए प्रोफाइलिंग विधेयक, 2015 को संसद के मौजूदा मानसून सत्र में पेश किये जाने की संभावना जताई गई है। 
  • इस विधेयक के सार्वजनिक मसौदे के अनुसार कानून बनने के बाद विभिन्न अपराध स्थलों से इकट्ठा की गई आनुवंशिक सामग्री के उपयोग को नियमित किया जाएगा।
  • इस विधेयक के अनुसार क्षेत्रीय डीएनए बैंक और राष्ट्रीय डीएनए बैंक बनाने का भी प्रस्ताव है। इन बैंकों का प्रयोग गैर-फॉरेंसिक मकसद से भी किया जा सकता है।
  • डीएनए(डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) मनुष्य की कोशिका के गुणसूत्रों में पाया जाने वाला अणु है। 
  • इसमें मनुष्य की सभी अनुवांशिक सूचनाएँ निहित होती हैं। हर किसी का डीएनए विशिष्ट होता है। 
  • डीएनए विश्लेषण एक ऐसी तकनीक है जिससे दो डीएनए नमूनों की तुलना करके यह पता लगाया जा सकता है कि क्या दोनों आपस में संबंधित हैं? 
  • किसी के अनुवांशिक माता-पिता का निर्धारण करने, किसी आपदा या दुर्घटना में मारे गए लोगों की पहचान सुनिश्चित करने के साथ-साथ हत्या या बलात्कार जैसे मामलों में भी इसका प्रयोग होने लगा है।
  • यह तकनीक वस्तुतः खून के धब्बे अथवा लार के नमूने द्वारा डीएनए प्रोफाइल को निर्मित करती है।
  • डीएनए प्रोफाइलिंग का उपयोग करके दो घंटे के भीतर अपराधी की पहचान की जा सकती है।
  • इस पायलेट परियोजना को प्रभावी बनाने हेतु अपराधियों एवं विभिन्न मामलों में संदिग्धों की डीएनए प्रोफाइल बनाकर शुरू किया जाएगा।
  • डीएनए प्रोफाइलिंग का उद्देश्य इस बात का जवाब खोजना है कि अपराध स्थल पर मौजूद डीएनए से प्रोफाइल में मौजूद डीएनए मैच करता है कि नहीं? 

भारत में यह प्रावधान पहले से ही है कि ज़रूरत पड़ने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट को जानकारी देकर कई अपराधों के मामलों में संदिग्धों की डीएनए प्रोफाइल बनाने के लिये जैविक नमूने लिये जा सकते हैं| इससे मिले सबूत अदालतों में माने भी जाते हैं| इसके बावजूद, भारत में अब तक डीएनए प्रोफाइलिंग कानून नहीं है| लेकिन अब सरकार एक बिल पर विचार कर रही है जिसे संसद में पेश किया जाएगा|

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