विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
चमगादड़ में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़
- 23 Jun 2021
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प्रिलिम्स के लिये:निपाह वायरस, ज़ूनोटिक वायरस मेन्स के लिये:चमगादड़ में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ प्राप्त होने से लाभ |
चर्चा में क्यों?
हाल के एक सर्वेक्षण में महाराष्ट्र के लोकप्रिय हिल स्टेशन महाबलेश्वर की एक गुफा KI कुछ चमगादड़ प्रजातियों में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी की उपस्थिति पाई गई है।
- यह सर्वेक्षण ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (ICMR)- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) द्वारा किया गया था।
प्रमुख बिंदु:
सर्वेक्षण के बारे में:
- NIV की टीम ने ‘रूसेटस लेसचेनौल्टी’ (Rousettus leschenaultii) और ‘पिपिस्ट्रेलस पिपिस्ट्रेलस’ (Pipistrellus pipistrellus ) चमगादड़ों पर अध्ययन किया जो सामान्यतः भारत में पाए जाते हैं।
- पटरोपस मेडियस चमगादड़ जो फल खाने वाले बड़े चमगादड़ हैं, जो भारत में NiV के अध्ययन के स्रोत हैं क्योंकि पिछले NiV प्रकोपों के दौरान एकत्र किये गए इन चमगादड़ों के नमूनों में NiV RNA और एंटीबॉडी दोनों का पता लगाया गया था।
- अत्यधिक उत्तेजन को सीमित करने की क्षमता के कारण एक चमगादड़ की प्रतिरक्षा प्रणाली विशेष रूप से वायरल संक्रमण का सामना करने में माहिर होती है, जो इस विशिष्ट स्तनपायी हेतु घातक हुए बिना वायरस को उत्पन्न करने देती है।
निपाह वायरस:
- यह एक ज़ूनोटिक वायरस है (यह जानवरों से इंसानों में फैलता है)।
- जीव जो निपाह वायरस एन्सेफेलाइटिस का कारण बनते हैं वह पैरामाइक्सोविरिडे, जीनस हेनिपावायरस का RNA या राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है और हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित है।
- हेंड्रा वायरस (HeV) संक्रमण एक दुर्लभ उभरता हुआ ज़ूनोसिस है जो संक्रमित घोड़ों और मनुष्यों दोनों में गंभीर और अक्सर घातक बीमारी का कारण बनता है।
- यह पहली बार वर्ष 1998 और 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में देखा गया था।
- यह पहली बार घरेलू सुअरों में देखा गया और कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों तथा भेड़ों सहित घरेलू जानवरों की कई प्रजातियों में पाया गया।
- संक्रमण:
- यह रोग पटरोपस जीनस के ‘फ्रूट बैट’ या 'फ्लाइंग फॉक्स' के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं।
- वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार और जन्म के समय तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
- लक्षण:
- मानव संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, भटकाव, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि एन्सेफेलाइटिक सिंड्रोम सामने आते हैं।
- रोकथाम:
- वर्तमान में मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिये कोई टीका नहीं है। निपाह वायरस से संक्रमित मनुष्यों की गहन देखभाल की जाती है।