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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एंटीबायोटिक औषधियाँ और रोग प्रतिरोधकता

  • 14 Aug 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?
एक पत्रिका (बी.एम.जे. जर्नल) में प्रकाशित एक विश्लेषण के अनुसार एंटीबायोटिक औषधियों का कोर्स पूरा करने की आवश्यकता नहीं रह गई है। जो मरीज़ अस्पतालों में भर्ती नहीं हैं, उन्हें उनके स्वास्थ्य में सुधार महसूस होने पर उपचार रोकने  की सलाह दी जा सकती है। 

इसी तरह की राय का समर्थन ‘द गार्जियन’ अख़बार में प्रकाशित एक लेख में भी किया गया है। लेख के अनुसार रोगियों को एंटीबायोटिक्स कोर्स को पूरा करना चाहिये, यह गलत है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि मरीज़ को जब स्वास्थ्य बेहतर महसूस हो तब उसे दवा के सेवन को रोकने की सलाह दी जा सकती है। 

WHO की सलाह

  • दरअसल इस विवाद की जड़ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की वह सलाह है, जिसमें उसने एंटीबायोटिक्स की कोर्स पूरा करने की सलाह दी है भले ही मरीज़ बेहतर महसूस कर रहे हों, क्योंकि उपचार बीच में रोकने से एंटीबायोटिक्स प्रतिरोधी बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा मिलता है। 
  • बी.एम.जे. पत्रिका के लेखकों के मुताबिक डब्लूएचओ की यह सलाह सबूतों पर आधारित नहीं है और यह गलत है।

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र की राय  

  • एंटीबायोटिक्स संबंधी इस भ्रम को दूर करने के लिये रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने डब्ल्यूएचओ की सलाह को थोड़ा बदल दिया है और मरीज़ों को “जिस तरह बताया जाए  ठीक उसी तरह” एंटीबायोटिक लेने की सलाह दी है।
  • केंद्र ने मरीज़ों को ‘दवा कब रोकना है’ स्वयं यह तय करने से बचने की भी सलाह दी है। 

उचित तरीका क्या हो ? 

  • मरीज़ यदि बेहतर महसूस करते हों तब भी उन्हें एंटीबायोटिक दवाएँ लेते रहना चाहिये। 
  • एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग, जैसे कि वायरल संक्रमण के दौरान अनुचित तरीके से उपयोग, अधिक दवाएँ लेना और उपचार को बीच में रोकने से समस्याएँ बढ़ रही हैं।
  • जब मरीज़ बेहतर महसूस करते हैं तब उन्हें दवा को रोकने की सलाह देने का परिणाम खतरनाक हो सकता  है, विशेषकर टीबी की बीमारी में। गौरतलब है कि ड्रग-प्रतिरोधी टीबी के उभरने के मुख्य कारणों में से एक यह है, क्योंकि मरीज़ जब बेहतर महसूस करते हैं तब दवा लेना बंद कर देते हैं। 

निष्कर्ष
एंटीबायोटिक औषधियों को कब तक लेना चाहिये इस पर एक राय नहीं है। मरीज़ों को बेहतर महसूस होने पर एंटीबायोटिक दवाओं को रोकने के लिये कहना एक नई अवधारणा है परंतु नैदानिक ​​अभ्यास में इसका समर्थन करने के लिये कोई सबूत नहीं है। 
बच्चों, वयस्कों, और वृद्धों जैसे मरीज़ों के कई समूह हैं और इन पर कोई भी सुझाव देने से पहले इन सभी समूहों पर एंटीबायोटिक औषधियों के प्रभाव संबंधी आँकड़ों की आवश्यकता है। मरीज़ों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार चलना चाहिये।

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