लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

एंटीबायोग्रामोस्कोप

  • 15 Apr 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चेन्नई में स्थित अन्ना विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों की एक टीम ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिये एंटीबायोग्रामोस्कोप नामक एक उपकरण विकसित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस उपकरण की सहायता से एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटना आसान हो जाएगा जो कि आधुनिक स्वास्थ्य सेवा की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
  • यह उपकरण छह घंटे के भीतर बैक्टीरिया के प्रतिरोधी उपभेदों की पहचान करता है, जिससे चिकित्सकों को सही दवा का चयन करने में मदद मिलती है इस प्रक्रिया में कुल लागत 100-300 रूपए तक आती है।
  • मौजूदा परीक्षणों में 500 रुपए से लेकर 2,000 रुपए का खर्च आता है और एंटीबायोटिक प्रतिरोध का पता लगाने में 48 घंटे तक का समय लगता है।
  • अन्ना विश्वविद्यालय की टीम ने जैव प्रौद्योगिकी, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग, इंस्ट्रूमेंटेशन तथा मेडिकल भौतिकी के प्रोफेसरों के संयुक्त प्रयास से एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) ने इस कार्य का समर्थन किया है।

परीक्षण की विधि

  • टीम ने एक तरल एंटीबायोटिक संवेदनशीलता परीक्षण (Antibiotic Sensitivity Testing- AST) माध्यम विकसित किया। इसके लिये एक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध फ्लोरोसेंट अणु को सैंपल (Body Fluid) के साथ जोड़ा जाता है।
  • इसे एंटीबायोग्रामोस्कोप के माइक्रोवेल्स (Microwells) में स्थानांतरित किया जाता है जो कि एक प्रकार के एंटीबायोटिक के साथ लेपित होते हैं।
  • जब बैक्टीरिया इस माध्यम में विकसित होते हैं, तो एक यौगिक का निर्माण करते हैं जिसे एरुकेमाइड (Erucamide) कहा जाता है, यह यौगिक फ्लोरोसेंट (Fluorescent) अणु को बांधता है जिससे इसकी प्रतिदीप्ति (Fluorescence) बंद हो जाती है।
  • इसका मतलब है कि अगर हम कुछ माइक्रोवेल्स में प्रतिदीप्ति को देखते हैं, तो वे एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को मारने में प्रभावी हैं।
  • प्रतिदीप्ति का मतलब यह नहीं है कि एंटीबायोटिक के बावजूद बैक्टीरिया बढ़ रहे हैं।
  • मौजूदा विधि बैक्टीरिया को विकसित करने के लिये एक ठोस माध्यम का उपयोग करती है और एंटीबायोटिक दवाओं को उपयोग से पहले 24 घंटे लगते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में 48 घंटे लगते हैं। जबकि एंटीबायोग्रामोस्कोप में तरल माध्यम और दो चरणों का विलय पूरी प्रक्रिया को गति देता है।
  • यह माध्यम की मात्रा को 20ml से 2ml करते हुए लागत को भी कम करता है। इसके अलावा, तरल माध्यम पर एंटीबायोटिक परीक्षण बेहतर परिणाम देता है। यह प्रक्रिया स्वचालित है, सैंपल और माध्यम लोड होने के बाद किसी भी मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
  • यह संबंधित डॉक्टरों और अस्पतालों को ईमेल द्वारा अंतिम रिपोर्ट चित्र सहित भेजेगा।

राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड
National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories (NABL)

  • NABL भारत की गुणवत्ता परिषद का एक संविधानिक बोर्ड है।
  • एनएबीएल को सरकार, उद्योग संघों और उद्योग को आमतौर पर अनुरूपता मूल्यांकन निकाय की मान्यता प्रदान करने की योजना के साथ स्थापित किया गया है। जिसमें चिकित्सा और अंशांकन प्रयोगशालाओं, प्रवीणता परीक्षण प्रदाताओं और संदर्भ सामग्री उत्पादकों सहित परीक्षण की तकनीकी क्षमता का तृतीय-पक्ष मूल्यांकन शामिल है।
  • क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) एक गैर-लाभकारी स्वायत्त सोसाइटी के रूप में सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है।
  • QCI का उद्देश्य देश में एक मान्यता वाले ढाँचे को स्थापित करना और भारत में एक गुणवत्ता अभियान शुरू करके भारत में गुणवत्ता का संचार करना है।

स्रोत- टाइम्स ऑफ़ इंडिया

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2