टिड्डों को नियंत्रित करने हेतु भारत-पाक का संयुक्त कदम | 03 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
टिड्डों (Locusts) की आवाजाही को रोकने और सीमा से लगे इलाकों में फ़सलों को बचाने के लिए भारत और पाकिस्तान के अधिकारी एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
- दोनों देश टिड्डों की आवाजाही को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agricultural Organization - FAO) के माध्यम से लगातार उपग्रह डेटा सहित अन्य सूचनाओं को साझा कर रहे हैं।
खाद्य और कृषि संगठन :
- खाद्य और कृषि संगठन को 1945 में संयुक्त राष्ट्र के पहले सत्र द्वारा कनाडा के शहर क्यूबैक में बनाया गया था।
- FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भूख से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करती है।
- FAO ज्ञान और सूचना का एक स्रोत भी है, जो विकासशील देशों को आधुनिक बनाने तथा कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन में सुधार के प्रयास करता है, ताकि सभी के लिए अच्छा पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
टिड्डे (Locusts) :
- मुख्यतः टिड्डे एक प्रकार के बड़े उष्णकटिबंधीय कीड़े होते हैं जिनके पास उड़ने की अतुलनीय क्षमता होती है।
- ये व्यवहार बदलने की अपनी क्षमता में अपनी प्रजाति के अन्य कीड़ों से अलग होते हैं और ये लंबी दूरी तक पलायन करने के लिये बड़े-बड़े झुंडों का निर्माण करते हैं।
- टिड्डों की प्रजाति में रेगिस्तानी टिड्डों को सबसे खतरनाक और विनाशकारी माना जाता है।
- आमतौर पर जून और जुलाई के महीनों में इन्हें आसानी से देखा जाता है क्योंकि ये गर्मी और बारिश के मौसम में ही सक्रिय होते हैं।
- सामान्य तौर पर ये टिड्डे प्रतिदिन 150 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं।
- यदि अच्छी बारिश होती है और परिस्थितियाँ इनके अनुकूल रहती हैं तो इनमें तेज़ी से प्रजनन करने की क्षमता भी होती है और ये तीन महीनों में 20 गुना तक बढ़ सकते हैं।
- वनस्पति के लिए खतरा : एक व्यस्क टिड्डा प्रतिदिन अपने वजन के बराबर भोजन (लगभग 2 ग्राम वनस्पति प्रतिदिन) खा सकता है जिसके कारण यह फसलों और खाद्यान्नों के लिये बड़ा खतरा बन जाते हैं।
- यदि इससे होने वाले संक्रमण को नियंत्रित न किया जाए तो इसके कारण गंभीर परिस्थियों का निर्माण हो सकता है।
- टिड्डों को नियंत्रित करने के उपाय :
- इसके झुंडों द्वारा रखे गये अण्डों का विनाश।
- इन्हें फँसाने के लिये खाई खोदना।
- कीटनाशक का उपयोग
- सामान्यतः FAO दुनिया के सभी देशों को टिड्डों की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है और उन देशों में टिड्डों के आक्रमण की सूचना भी देता है।
भारत में टिड्डे:
- भारत में टिड्डों की निम्निखित चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं :
- रेगिस्तानी टिड्डे (Desert locust)
- घुमंतू टिड्डे ( Migratory locust)
- बॉम्बे टिड्डे (Bombay Locust)
- ट्री टिड्डे (Tree locust)
- पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश करने वाला टिड्डों का वर्तमान समूह ईरान में उत्पन्न हुआ है।
- इन टिड्डों की आवाजाही गर्मियों में अरब सागर से चलने वाली धूल भरी हवाओं से होती है जो इन्हें पाकिस्तान के सिंध के रास्ते भारत के पश्चिमी राजस्थान में ले आती है।
- टिड्डों के इस समूह ने पाकिस्तान में काफी कहर बरपाया है, परंतु भारत की ओर से अभी तक ऐसी किसी भी स्थिति की ख़बर नहीं है।
- जोधपुर का टिड्डा चेतावनी संगठन (Locust Warning Organisation- LWO) वर्तमान में राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर ज़िलों में 13 से 16 ऐसे ही विशाल समूहों को नियंत्रित कर रहा है।
टिड्डा चेतावनी संगठन:
- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन आने वाला टिड्डा चेतावनी संगठन मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में टिड्डों की निगरानी, सर्वेक्षण और नियंत्रण के लिये ज़िम्मेदार है।
- LWO के उद्देश्य :
- टिड्डों पर अनुसंधान करना।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संपर्क और समन्वय स्थापित करना।
- टिड्डी चेतावनी संगठन (LWO) के सदस्यों को, राज्य के अधिकारियों को, BSF कर्मियों को और किसानों को इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करना।
- टिड्डों के कारण बनाने वाली आपातकाल परिस्थितियों से निपटने के लिये टिड्डी नियंत्रण अभियान का आयोजन करना।