बेनामी संपत्ति पर एक और वार : शुरू हुई मुखबिर योजना | 04 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
मोदी सरकार ने विमुद्रीकरण और विदेशी काले धन पर कानून बनाने के बाद बेनामी संपत्ति और लेन-देन पर नियंत्रण करने के लिये एक और महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। बेनामी लेन-देन वह होता है जिसमें ऐसी संपत्ति दाँव पर होती है, जिसमें वह खरीदी तो किसी और के नाम पर जाती है, लेकिन उसके लिये भुगतान कोई और करता है।
- अर्थव्यवस्था में काले धन को छिपाने के लिये बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्तियों की खरीदारी होती है। पारिभाषिक रूप से बेनामी संपत्ति वह है, जो व्यक्ति किसी अन्य के नाम पर खरीदता है।
- भारत में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके धन का कोई हिसाब-किताब नहीं है और वे आयकर भी नहीं चुकाते, वे अमूमन बेनामी संपत्तियों में धन लगाते हैं।
- यदि संपत्ति पत्नी, बच्चे या परिवार के किसी निकट सदस्य के नाम पर है तो वह बेनामी संपत्ति की श्रेणी में नहीं आएगी। लेकिन यदि किसी तीसरे पक्ष के नाम पर दर्ज है, तब उस स्थिति में ऐसी संपत्ति को जब्त किया जा सकता है।
बेनामी लेन-देन मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018
अनेक मामलों में यह पाया गया है कि दूसरों के नाम से संपत्तियों की खरीद में काले धन का निवेश किया जा रहा है और इसका लाभ निवेशक द्वारा अपने आयकर रिटर्न में लाभकारी स्वामित्व को छुपाकर लिया जा रहा है।
- काले धन का पता लगाने और कर चोरी में कमी लाने के आयकर विभाग के प्रयासों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से आयकर विभाग द्वारा ‘बेनामी लेन-देन मुखबिर पुरस्कार योजना 2018’ शीर्षक से एक नई पुरस्कार योजना जारी की है।
- इस योजना का उद्देश्य छिपे हुए निवेशकों और लाभान्वित होने वाले स्वामियों द्वारा किये गए बेनामी लेन-देन तथा संपत्तियों व ऐसी संपत्तियों पर अर्जित आय के बारे में सूचना देने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना है।
- ‘बेनामी लेन-देन मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018’ के अंतर्गत बेनामी लेन-देन तथा संपत्तियाँ तथा ऐसी संपत्तियों से हुई प्राप्तियाँ जो बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के अंतर्गत कार्रवाई के योग्य हैं, के बारे में निर्धारित प्रक्रिया के तहत आयकर विभाग के जाँ च निदेशालय में संयुक्त या अपर आयुक्त (बेनामी निषेध इकाई) को सूचना देने वाला व्यक्ति एक करोड़ रुपए तक का पुरस्कार प्राप्त कर सकता है।
- इस पुरस्कार के लिये विदेशी भी पात्र होंगे। सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान प्रकट नहीं की जाएगी और पूरी गोपनीयता बरती जाएगी।
आयकर मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018
काले धन का पता लगाने और कर चोरी में कमी लाने के आयकर विभाग के प्रयासों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से आयकर विभाग ने ‘आयकर मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018’ नामक नई पुरस्कार योजना जारी की है। यह योजना 2007 में जारी पुरस्कार योजना का स्थान लेगी।
- संशोधित योजना के अंतर्गत भारत में आय और परिसंपत्तियों पर कर चोरी के बारे में आयकर विभाग में जाँच निदेशालय के निर्दिष्ट अधिकारियों को तय प्रक्रिया के अंतर्गत विशेष सूचना देने वाला व्यक्ति 50 लाख रुपए की पुरस्कार राशि प्राप्त कर सकता है।
- भारत सरकार ने इससे पहले काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियाँ) तथा करारोपण अधिनियम 2015 लागू किया था ताकि भारत में कर योग्य लोगों द्वारा विदेशों में रखी गई उनकी आय और परिसंपत्तियों की जाँच की जा सके।
- इन पर करों की वसूली की जा सके तथा दंड और मुकदमे जैसे कदम उठाए जा सकें। काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियाँ) तथा करारोपण अधिनियम, 2015 के अंतर्गत कार्रवाई योग्य ऐसी आय और परिसंपत्तियों के बारे में सूचना देने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नई पुरस्कार योजना में 5 करोड़ रुपए तक का पुरस्कार शामिल किया गया है।
- इस योजना के तहत पुरस्कार राशि अधिक रखी गई है ताकि विदेशों के संभावित स्रोत आकर्षित हो सकें।
- इस योजना के अंतर्गत काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियाँ) तथा करारोपण अधिनियम, 2015 के तहत कार्रवाई योग्य विदेशों में आय और परिसंपत्तियों पर कर चोरी के बारे में तय प्रक्रिया के अंतर्गत विशेष सूचना देने वाले व्यक्ति पुरस्कार राशि प्राप्त कर सकते हैं।
- इस योजना के अंतर्गत सूचना निर्धारित प्रक्रिया में आयकर महानिदेशक (जाँच) या अधिकृत अधिकारी को देनी होगी। इस योजना के लिये विदेशी भी पुरस्कार पाने के पात्र होंगे। सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान प्रकट नहीं की जाएगी और पूरी गोपनीयता बरती जाएगी।
सरकार ने इससे पहले बेनामी संपत्ति लेन-देन अधिनियम, 1988 में बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से संशोधन किया था ताकि कानून को और मज़बूत बनाया जा सके। इस विधेयक का उद्देश्य एक व्यापक समावेशी ढाँचा तैयार करना है, जिसमें बेनामी संपत्तियों के बेहतर नियमन की सुनवाई के लिये विशेष सुनवाई प्राधिकरण का गठन किया जाएगा।