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भारतीय अर्थव्यवस्था

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में चौथे आर्थिक पैकेज की घोषणा

  • 18 May 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आर्थिक पैकेज संबंधी प्रमुख तथ्य 

मेन्स के लिये:

प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में सुधार 

चर्चा में क्यों?

वित्त मंत्री ने COVID-19 महामारी आर्थिक पैकेज के रूप में आठ प्रमुख क्षेत्रों में नीतिगत सुधारों से संबंधित अहम उपायों की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रधानमंत्री द्वारा 12 मई, 2020 को भारत की जीडीपी के 10% के बराबर, 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई थी। इसी दिशा में वित्त मंत्री द्वारा ‘चतुर्थ आर्थिक पैकेज’ की घोषणा की गई।
  • पैकेज के रूप में घोषित नीतिगत उपायों को ‘विकास के नवीन क्षितिज’ (New Horizons of Growth) की प्राप्ति के रूप में प्रारंभ किया जाएगा।
  • आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, नागरिक उड्डयन क्षेत्र, केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण कंपनियों, अंतरिक्ष क्षेत्र और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के संरचनात्मक सुधारों पर केंद्रित है

कोयला क्षेत्र (Coal Sector):

  • कोयले के आयात में कमी करने तथा कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • निजी क्षेत्र की भूमिका:
    • सरकार कोयला क्षेत्र मे प्रतिस्पर्द्धा, पारदर्शिता एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में निम्नलिखित सुधारों को लागू करेगी।
    • ‘राजस्व साझाकरण मॉडल’ पर आधारित नवीन सुधारों को लागू किया जाए।
    •  निवेशकों के प्रवेश संबंधी मानदंडों को अधिक उदार बनाया जाएगा।
  • कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन संबंधी सुधार:
    • आंशिक रूप से उत्पादन किये जा चुके कोयला-ब्लॉक के लिये अन्वेषण-सह-उत्पादन प्रणाली को लागू किया जाएगा।
    • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि वर्तमान समय में कोयला ब्लॉक की नीलामी कोयले के ‘पूर्ण खनन’ के लिये की जाती है परंतु अब आंशिक रूप से खनन किये जा चुके कोयला ब्लॉक की भी नीलामी की जा सकेगी। इन सुधारों से निजी क्षेत्र की भूमिका में वृद्धि होगी। 
  • कोयला क्षेत्र में विविध अवसर:
    • राजस्व हिस्सेदारी में छूट के माध्यम से कोयला गैसीकरण/द्रवीकरण को प्रोत्साहित किया जाएगा।
    • इससे पर्यावरणीय अवनयन में कमी आएगी तथा भारत को ‘गैस आधारित अर्थव्यवस्था’ बनने में मदद करेगा।
    • कोयला क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास पर 50,000 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। 

कोयला क्षेत्र में उदारवादी शासन:

  • कोल इंडिया लिमिटेड के नियंत्रण वाली कोयला खदानों के 'कोल बेड मीथेन' (CBM) निष्कर्षण अधिकारों की नीलामी की जाएगी।

खनिज क्षेत्र में अन्य सुधार:

  • 'व्यवसाय करने में सुगमता' (Ease of Doing Business) की दिशा में 'खनन योजना सरलीकरण' (Mining Plan Simplification) जैसे उपायों को लागू किया जाएगा।
  • एक समग्र अन्वेषण-सह-खनन-सह-उत्पादन प्रणाली को लागू किया जाएगा। 

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता:

  • रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिये 'मेक इन इंडिया' पहल पर बल दिया जाएगा।
  • 'आयुध निर्माणी बोर्ड' (Ordnance Factory Board) का निगमीकरण किया जाएगा ताकि आयुध आपूर्ति में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार हो सके।
  • स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में FDI निवेश सीमा 49% से बढ़ाकर 74% की जाएगी।
  • समयबद्ध रक्षा खरीद प्रक्रिया और तेज़ी से निर्णय लेने की दिशा में 'परियोजना प्रबंधन इकाई' (Project Management Unit-PMU) तथा सामान्य कर्मचारी गुणात्मक आवश्यकताएँ (General Staff Qualitative Requirements- GSQRs) आदि की शुरुआत की जाएगी।

नागर विमानन (Civil Aviation):

  • 'भारतीय वायु अंतरिक्ष क्षेत्र' (Indian Air Space) के अधिक उपयोग की दिशा में प्रतिबंधों को कम किया जाएगा ताकि नागरिक उड़ान में अधिक कुशलता आ सके।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ (Public-Private Partnership-PPP) के माध्यम से अधिक विश्व स्तरीय हवाई अड्डों का निर्माण किया जाएगा। 
  • भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण’ (Airports Authority of India- AAI) द्वारा तीन चरणों में बोली प्रक्रिया के माध्यम से निजी निवेश को आमंत्रित किया जाएगा।
  • भारत विमान रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (Maintenance, Repair and Overhaul- MRO) के रूप में एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है।
  • MRO के अनुकूल परिस्थतिकी के निर्माण के लिये कर व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाया गया है।
  • रक्षा क्षेत्र तथा सिविल MRO के बीच अभिसरण बढ़ाने पर बल देना चाहिये ताकि ‘व्यापक आर्थिक स्तर’ (Economies of Scale) पर उत्पादन किया जा सके।

विद्युत क्षेत्र की शुल्क नीति में सुधार:

  • निम्नलिखित सुधारों के साथ एक नवीन टैरिफ नीति जारी की जाएगी, जिसमे उपभोक्ताओं के अधिकार, उद्योग को बढ़ावा देने तथा सेक्टर की स्थिरता संबंधी प्रावधान शमिल होंगे।
  • केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली विभागों/इकाइयों का निजीकरण किया जाएगा।

सामाजिक अवसंरचना (Social Infrastructure):

  • सामाजिक अवसंरचना क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाने के लिये ‘व्यवहार्यता अंतराल अनुदान’ (Viability Gap Funding- VGF) योजना को प्रयुक्त किया जाएगा।
  • VGF के रूप में कुल परियोजना लागत की 30% तक की राशि अनुदान के रूप में प्रदान की जा सकेगी।
  • इसमें कुल 8100 करोड़ रुपए का परिव्यय किया जाएगा।

अंतरिक्ष गतिविधि:

  • निजी क्षेत्र की क्षमता में सुधार करने के लिये निजी क्षेत्र को इसरो की सुविधाओं और अन्य प्रासंगिक संपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।
  • भविष्य की इसरो की योजनाएँ जैसे- ग्रहों की खोज, बाहरी अंतरिक्ष यात्रा आदि में निजी क्षेत्र को प्रवेश की अनुमति होगी।

परमाणु ऊर्जा (Atomic Energy):

  • चिकित्सकीय उपयोग के समस्थानिकों के उत्पादन के लिये PPP मोड में अनुसंधान रिएक्टर स्थापित किया जाएगा। ताकि कैंसर और अन्य बीमारियों की सस्ती उपचार प्रणाली उपलब्ध हो सके।
  • खाद्य संरक्षण को बढ़ाने में विकिरण आधारित प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाया जाएगा। किसानों की सहायता के लिये PPP मोड में सुविधा केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
  • अनुसंधान सुविधाओं और तकनीक-उद्यमियों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने के लिये प्रौद्योगिकी विकास सह इंक्यूबेशन केंद्र स्थापित किये जाएंगे।

स्रोत: पीआईबी

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