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तेल आयात में कटौती से खफा ईरान ने घटाई भुगतान की मियाद

  • 08 Apr 2017
  • 3 min read

समाचारों में क्यों 

विदित हो कि ईरानी तेल आयात को घटाने के सरकार के फैसले से नाखुश ईरान ने आक्रामक तेवर दिखाते हुए आयातित तेल के भुगतान का समय तीन महीने से घटाकर दो माह कर दिया है। साथ ही भाड़े की दर भी बढ़ा दी है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • गौरतलब है कि भारत के लिये ईरान तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। वह इंडियन ऑयल (आइओसी) और मंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) जैसी रिफाइनिंग कंपनियों को खरीदे गए तेल के भुगतान के लिये 90 दिन का समय देता रहा है जिसे अब घटाकर 60 दिन कर दिया गया है।
  • ध्यातव्य है कि अब तक ईरान से आसान शर्तों पर तेल आयात होता रहा है जो भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों के लिये काफी फायदेमंद भी रहा है। भुगतान की उदार अवधि के अलावा ईरान सामान्य समुद्री भाड़े के 20 फीसद में तेल भेजता है। वहीं मध्य पूर्व के दूसरे देश भुगतान के लिये 15 दिन से ज़्यादा समय नहीं देते हैं।
  • ईरान की नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी ने भारतीय खरीदारों को भाड़े पर मिलने वाली छूट 80 फीसद से घटाकर करीब 60 फीसद करने का फैसला किया है। आइओसी और एमआरपीएल, ईरानी तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं। उन्होंने चालू वित्त वर्ष के दौरान ईरान से तेल आयात को पिछले साल के 50 लाख टन से घटाकर 40 लाख टन करने का फैसला किया है।
  • भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) भी आयात में पाँच-पाँच लाख टन की कमी करेंगी। ये दोनों अब 15-15 लाख टन कच्चे तेल का आयात करेंगी।
  • भारत ने ईरान पर उसके फर्जाद-बी क्षेत्र को ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) को आवंटित करने के लिये दबाव बनाने की कोशिश के तहत ऐसा किया। ओवीएल ने दस साल पहले इस क्षेत्र की खोज की थी और वह इसे विकसित करने का अधिकार चाहती है। 
  • उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में 12,500 अरब घनफीट तेल-गैस का भंडार होने का अनुमान है। लेकिन ईरान इस बात पर अड़ा है कि वह यह तेल-क्षेत्र ओवीएल को नहीं देगा।
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