आंध्र प्रदेश में बनाया जा रहा है देश का प्रथम हाइपरलूप | 11 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में देश के प्रथम हाइपरलूप (Hyperloop) का विकास करने के लिये कैलिफोर्निया आधारित हाइपरलूप परिवहन प्रौद्योगिकी (Hyperloop Transportation Technologies -HTT) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- वर्तमान में राज्य के दो मुख्य शहरों विजयवाड़ा से अमरावती पहुँचने में तकरीबन 1 घंटे का समय लगता है और यदि इस यात्रा के लिये हाइपरलूप तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है तो इस यात्रा को मात्र 6 मिनट में तय किया जा सकता है।
- उल्लेखनीय है कि इस प्रोजेक्ट में सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnership -PPP) मॉडल का प्रयोग किया जाएगा, जिसके लिये निजी निवेशकों द्वारा फंडिंग की जाएगी|
पृष्ठभूमि
- अमरावती आंध्र प्रदेश का एक अत्याधुनिक शहर है, जिसका विकास आंध्र प्रदेश की वास्तविक राजधानी के रुप में किया जा रहा है|
- इसकी छवि को आकर्षक बनाने और निकट भविष्य में इसे देश के प्रमुख शहर के रूप में उभारने के लिये इसे हाइपरलूप परिवहन प्रौद्योगिकीयों (Hyperloop Transportation Technologies) से लैस बनाया जा रहा है|
- वस्तुतः हाइपरलूप तकनीक परिवहन उद्योग में एक अत्याधुनिक तकनीकी विघटन (cutting-edge technological disruption) है|
- हाइपरलूप के माध्यम से अमरावती में कई अत्याधुनिक पार्कों और सॉफ्टवेयर कलस्टरों का विकास करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि इस शहर को वैश्विक स्तर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।
हाइपरलूप परिवहन प्रणाली क्या है?
- यह एक परिवहन प्रणाली (transportation system) है, जिसमें शहरों को आपस में जोड़ने के लिये एक निर्वात ट्यूब (vacuum tubeconnecting) का प्रयोग किया जाता है।
- इस ट्यूब के माध्यम से पोड के समान वाहन (pod-like vehicle) को विमान की गति से संचालित किया जाता है।
इसका संचालन कैसे होता है?
- हाइपरलूप परिवहन में एक खास प्रकार की ट्यूब के भीतर हाइपरलूप को और आंशिक निर्वात में रखी स्टील ट्यूबों के माध्यम से कस्टम-डिज़ाइन के कैप्सूल अथवा पोड (pod) को सावधानीपूर्वक संबद्ध किया जाता है।
- हाइपरलूप परिवहन में एक खास प्रकार की ट्यूब के भीतर हाइपरलूप को उच्च दाब एवं अधिक ताप सहने की क्षमता वाले एक विशेष प्रकार के मिश्रधातु से बने बेहद पतले वायु कास्टर स्कीस (air caster skis) पर स्थापित किया जाता है।
- इस स्की में बेहद सूक्ष्म छिद्रों के ज़रिये दबाव डालकर हवा भरी जाती है, जिससे यह एक एयर कुशन की तरह काम करने लगता है।
- इस कैप्सूल अथवा पोड में एक बार में छह से आठ व्यक्ति यात्रा कर सकते हैं।
- ये कैप्सूल चालकरहित होंगे, जिनकी अनुमानित गति 1000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
- पोड की गति पर नियंत्रण रखने के लिये रैखिक प्रेरण मोटरों (Linear induction motors) को ट्यूब के साथ संबद्ध किया जाएगा।
- ऐसा इसलिये किया जाएगा, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक सहायता प्राप्त त्वरण और ब्रेक (Electronically-assisted acceleration and braking) कैप्सूल की गति को निर्धारित करने में सहायता प्रदान करते हैं।