सामाजिक न्याय
आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक
- 14 Dec 2019
- 3 min read
प्रीलिम्स के लिये:
आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक
मेन्स के लिये:
दुष्कर्म तथा यौन अपराधों से निपटने के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयास
चर्चा में क्यों?
आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में हैदराबाद में हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले के बाद एक अहम निर्णय लेते हुए राज्य में दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई 21 दिनों के अंदर करने का निर्णय किया है। इस विषय में कैबिनेट ने मसौदा विधेयक भी पारित कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
- यह कानून, आंध्र प्रदेश अपराध कानून में एक संशोधन होगा जिसे 'आंध्र प्रदेश दिशा कानून' नाम दिया गया है। इस मसौदा विधेयक को हैदराबाद मामले की पीड़ित दिशा के नाम पर यह नाम दिया गया है। राज्य पुलिस ने पीड़िता की पहचान को गुप्त रखने के लिये इसे दिशा नाम दिया है।
- कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिये फास्ट-ट्रैक अदालतों के निर्माण को मंज़ूरी दी है।
- मसौदा विधेयक के अनुसार, मामले से संबंधित जाँच एक सप्ताह के भीतर और परीक्षण का कार्य दो सप्ताह के भीतर समाप्त हो जाना चाहिये। 21 कार्य दिवसों के भीतर अपराधियों को सज़ा दी जानी चाहिये।
- इस कानून के तहत सभी ज़िलों में विशेष अदालतें गठित की जाएंगी जो महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के मामलों में मुकदमा चलाएंगी।
- इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश सरकार ने बच्चों के साथ यौन शोषण के दोषियों हेतु जेल की सजा की अवधि बढ़ाने का प्रावधान भी तय किया है। इस विधेयक के अंतर्गत, अब बच्चों के साथ दुष्कर्म के दोषियों के लिये पाँच वर्ष की सज़ा को बढ़ाकर दस वर्ष से उम्रकैद में तब्दील करने का प्रस्ताव है।
दुष्कर्म तथा यौन अपराधों से निपटने के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयास
देश में महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा तथा हत्या के बढ़ते मामलों के संदर्भ में कुछ समय पहले गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की तरफ से भी एक बयान जारी किया गया। इसमें महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया गया।