जैव विविधता और पर्यावरण
अंडमान और निकोबार द्वीपों में मगरमच्छों के बढ़ते हमले
- 16 Jul 2018
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चर्चा में क्यों?
अंडमान और निकोबार द्वीपों में मगरमच्छों के हमलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने पीएमओ को 'खारे पानी के मगरमच्छ' ‘(Salties’) को अस्थायी रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची से बाहर करने की याचिका दायर की है।
प्रमुख बिंदु
- स्थानीय लोगों द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजकर अंडमान और निकोबार प्रशासन से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 से खारे पानी के मगरमच्छों को अस्थायी रूप से हटाने की मांग की है।
- इस प्रकार की मांग संभावित रूप से खारे पानी के वयस्क मगरमच्छों को कम करने का कारण बन सकता है।
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान में खारे पानी के मगरमच्छों की कुल संख्या अनुमानतः 1,700 है।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,1972 की अनुसूची-1 के तहत लुप्तप्राय प्रजातियों के पौधों और जानवरों को संरक्षण प्रदान किया जाता है तथा साथ ही इसमें शिकारियों के लिये उच्चतम दंड का प्रावधान है।
- हालाँकि, चुनिंदा रूप से इनकी आबादी को कम करने की अनुमति भी दी जा सकती है और यह तभी संभव है जब किसी भी प्रजाति को स्थानीय अधिकारियों द्वारा मानव जीवन के लिये गंभीर खतरे के रूप में माना जाता है।
खारे पानी का मगरमच्छ
- सभी जीवित सरीसृपों में से यह सबसे बड़ा है जो लगभग 7 मीटर तक लंबा हो सकता है।
- यह अंडमान और निकोबार के अलावा दक्षिण-पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया तथा सुंदरबन में भी पाया जाता है।
- ये लंबी दूरी तक तैरने के लिये जाने जाते हैं, जो अक्सर इनके स्थानांतरण को मुश्किल बनाता है।
- वर्ष 2005 से अंडमान और निकोबार द्वीपों में मगरमच्छ के हमलों के 23 मामले सामने आए हैं, जिनमें हर साल औसतन दो मौतें होती हैं।
- बढ़ते हमलों को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने द्वीपों के कई लोकप्रिय समुद्र तटों तक लोगों की पहुँच को प्रतिबंधित कर दिया है और आगंतुकों के लिये समुद्र में प्रवेश न करने संबंधी चेतावनी भी जारी की गई है।
प्रभाव
- इस भय ने पर्यटन और मत्स्यपालन दोनों उद्योगों को प्रभावित किया है, जो कि द्वीपवासियों के लिये राजस्व के मुख्य स्रोत हैं।
- हालाँकि, स्थानीय संरक्षणवादियों का तर्क है कि इन वयस्क मगरमच्छों के हमले का हल निकालने निर्णय करना आसान नहीं होगा।
- इसके लिये जानवरों की जियोटैगिंग एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जो इनकी गतिविधियों की बेहतर निगरानी की अनुमति देगा और पर्याप्त चेतावनी भी प्रदान करेगा।
- अंडमान और निकोबार द्वीपों में खारे पानी के मगरमच्छों की संख्या 60 के दशक के दो अंकों से बढ़कर 1,700 हो गई है।
- ‘प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल’ को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और खाद्य एवं कृषि संगठन ने वर्ष 1975 में लॉन्च किया था।
- इस परियोजना के तहत एक गहन कैप्टिव पालन और प्रजनन कार्यक्रम भी शामिल था जिसका उद्देश्य घोषित घड़ियाल आवासों को पुनर्स्थापित करना था।