एनीमिया और मातृ स्वास्थ्य | 06 Jul 2023
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में द लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन, जिसका शीर्षक है- मातृ एनीमिया और प्रसवोत्तर रक्तस्राव का जोखिम: WOMAN-2 परीक्षणों के डेटा के एक समूह विश्लेषण में पाया गया है कि एनीमिया और प्रसवोत्तर रक्तस्राव (PPH) के बीच एक मज़बूत संबंध है।
- इसमें वर्ल्ड मैटरनल एंटीफाइब्रिनोलिटिक-2 (WOMAN-2) परीक्षण के डेटा का इस्तेमाल किया। इस परीक्षण में पाकिस्तान, नाइजीरिया, तंज़ानिया और ज़ाम्बिया के अस्पतालों में सामान्य प्रसव के माध्यम से शिशु को जन्म देने वाली मध्यम या गंभीर एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को नामांकित किया गया।
प्रसवोत्तर रक्तस्राव (PPH):
- PPH प्रसवोत्तर गंभीर रक्तस्राव है।
- WHO के अनुसार, प्रसवोत्तर रक्तस्राव दो प्रकार के हैं, एक सामान्य रक्तस्राव (कम-से-कम 500 मिली. का अनुमानित रक्तस्राव) और परिकलित/कैलकुलेटेड प्रसवोत्तर रक्तस्राव (1,000 मिली. या उससे अधिक रक्तस्राव)।
- यह एक गंभीर स्थिति है जिससे मृत्यु हो सकती है। प्रसवोत्तर रक्तस्राव के अन्य लक्षण हैं चक्कर आना, बेहोशी महसूस होना और धुँधली दृष्टि।
अध्ययन के निष्कर्ष:
- एनीमिया और PPH:
- मध्यम एनीमिया वाली महिलाओं के लिये औसत अनुमानित रक्त हानि 301 मिली. और गंभीर एनीमिया वाली महिलाओं के लिये 340 मिली. थी।
- 7.0% महिलाओं में नैदानिक प्रसवोत्तर रक्तस्राव हुआ। मध्यम एनीमिया वाली महिलाओं में नैदानिक प्रसवोत्तर रक्तस्राव का जोखिम 6.2% और गंभीर एनीमिया वाली महिलाओं में 11.2% था।
- यह डेटा 10,620 महिलाओं के परीक्षण पर आधारित है।
- मध्यम एनीमिया की तुलना में गंभीर एनीमिया के कारण मृत्यु या लगभग इसके घटित होने की संभावना सात गुना अधिक होती है।
- एनीमिया और गर्भावस्था:
- विश्व में प्रजनन आयु की आधे अरब से अधिक महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं।
- प्रत्येक वर्ष लगभग 70,000 प्रसवोत्तर मृत्यु होती है, जो मुख्यतः निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।
- रक्त की हानि और सदमा:
- कम हीमोग्लोबिन मान रक्त हानि और नैदानिक PPH में वृद्धि के साथ संबद्ध है।
- एनीमिया से पीड़ित महिलाओं में ऑक्सीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है, साथ ही उन्हें सदमा लगने की संभावना अधिक होती है।
- प्रसवोत्तर रक्तस्राव का नैदानिक निदान खराब मातृ कार्यप्रणाली से संबद्ध है।
PPH को कम करने के लिये WHO की सिफारिशें:
- PPH को रोकने के लिये कुछ दवाओं जैसे- ऑक्सीटोसिन, ओरल मिसोप्रोस्टोल दवा आदि का उपयोग करने का सुझाव दिया जाता है।
- ऑक्सीटोसिन गर्भाशय के संकुचन को उत्तेजित करने और अत्यधिक रक्तस्राव के जोखिम को कम करने के लिये आमतौर पर अनुशंसित दवा है।
- एक साथ आवश्यक देखभाल प्रारंभ करते समय सभी नवजात जन्मों के लिये लेट कॉर्ड क्लैम्पिंग (जन्म के 1 से 3 मिनट बाद की जाने वाली) की सिफारिश की जाती है।
- जब तक नवजात शिशु की साँस न रुक जाए (बच्चे के मस्तिष्क और अन्य अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन एवं पोषक तत्त्व न मिलने की स्थिति में) तब तक प्रारंभिक कॉर्ड क्लैम्पिंग (<जन्म के 1 मिनट बाद) की अनुशंसा नहीं की जाती है।
एनीमिया:
- एनीमिया की स्थिति:
- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अपर्याप्त है जो उम्र, लिंग, ऊँचाई, धूम्रपान और गर्भावस्था की स्थिति के अनुसार भिन्न होती है।
- कारण:
- आयरन की कमी एनीमिया का सबसे आम कारण है। हालाँकि अन्य स्थितियाँ जैसे फोलेट, विटामिन B12 और विटामिन A की कमी, पुरानी सूजन, परजीवी संक्रमण तथा वंशानुगत विकार आदि सभी एनीमिया का कारण बन सकते हैं।
- भारत में स्थिति:
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (वर्ष 2019-21) के अनुसार, एनीमिया की व्यापकता छह समूहों- पुरुषों (15-49 वर्ष) में 25.0% और महिलाओं (15-49 वर्ष) में 57.0%, किशोर लड़कों में 31.1% (15-19 वर्ष), किशोर लड़कियों में 59.1%, गर्भवती महिलाओं (15-49 वर्ष) में 52.2% तथा बच्चों (6-59 महीने) में 67.1% है।
एनीमिया से निपटने हेतु सरकारी पहल:
- एनीमिया मुक्त भारत (AMB): इसे वर्ष 2018 में एनीमिया की गिरावट की वार्षिक दर को एक से तीन प्रतिशत अंक तक बढ़ाने हेतु राष्ट्रीय आयरन प्लस पहल (NIPI) कार्यक्रम के सघन हिस्से के रूप में आरंभ किया गया था।
- AMB के लिये लक्षित समूह के अंतर्गत 6-59 महीने के बच्चे, 5-9 वर्ष के बच्चे, 10-19 वर्ष की किशोर लड़कियाँ और लड़के, प्रजनन आयु (15-49 वर्ष) की महिलाएँ, गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ आती हैं।
- साप्ताहिक आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरण (Weekly Iron and Folic Acid Supplementation- WIFS):
- इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन किशोरों और किशोरियों में एनीमिया की उच्च व्यापकता की चुनौती से निपटने के लिये किया जा रहा है।
- WIFS हस्तक्षेप के हिस्से के रूप में आयरन फोलिक एसिड (IFA) टैबलेट सप्ताह में एक बार होने वाले पर्यवेक्षण के तहत वितरित किये जाते हैं।
- ब्लड बैंक का संचालन:
- गंभीर एनीमिया के कारण होने वाली जटिलताओं से निपटने के लिये ज़िला अस्पतालों और उप-मंडलीय अस्पतालों/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों जैसे उप-ज़िला केंद्रों में रक्त भंडारण इकाइयों की मदद ली जाती है।
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA):
- इस योजना को एनीमिया के मामलों का पता लगाने और इलाज करने के लिये चिकित्सा अधिकारियों/OBGYN की मदद से प्रति महीने की 9 तारीख को विशेष ANC जाँच शिविर का आयोजन करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिये शुरू किया गया है।
- अन्य कदम:
- कृमि संक्रमण को नियंत्रित करने के लिये वर्ष में दो बार एल्बेंडाज़ोल की खुराक दी जाती है।
- एनीमिया और गंभीर रूप से एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के मामलों की रिपोर्टिंग तथा ट्रैकिंग के लिये स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली और मातृ शिशु ट्रैकिंग प्रणाली का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
- एनीमिया के लिये गर्भवती महिलाओं की सार्वभौमिक जाँच प्रसवपूर्व देखभाल का एक हिस्सा है और सभी गर्भवती महिलाओं को उप-केंद्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं के मौजूदा नेटवर्क के माध्यम से उनको प्रसवपूर्व अवधि के दौरान आयरन व फोलिक एसिड की गोलियाँ प्रदान की जाती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रारंभिक परीक्षा:प्रश्न .एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत की जा रही व्यवस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः 1- इसमें स्कूल जाने से पूर्व के (प्री-स्कूल) बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिये रोगनिरोधक कैल्सियम पूरकता प्रदान की जाती है। उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं? (a) केवल एक उत्तर -C |