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H9N2: इन्फ्लूएंज़ा वायरस
- 13 Jan 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:H9N2 वायरस,वायरस और इनके प्रकार, तथा वायरस से होने वाले रोग मेन्स के लिये:वायरस के लक्षण और बचाव |
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में देश में इन्फ्लूएंज़ा वायरस A के एक दुर्लभ उप-प्रकार H9N2 वायरस का पहला मामला सामने आया , जो एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian Influenza) या बर्ड फ्लू (Bird Flu) रोग का कारण बनता है।
प्रमुख बिंदु:
- दिसंबर 2019 में संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention-CDC) तथा भारत के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology-NIV) के वैज्ञानिकों ने इमर्जिंग इन्फेक्शस डिसीज़ जर्नल (Emerging Infectious Diseases journal) में इस वायरस के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
- भारत में H9N2 इन्फ्लूएंज़ा वायरस का पहला मामला महाराष्ट्र में देखा गया है।
H9N2 वायरस
- H9N2 वायरस, इन्फ्लूएंज़ा वायरस A का एक उप-प्रकार है, जो ह्यूमन इन्फ्लूएंजा के साथ-साथ बर्ड फ्लू का भी कारण है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (National Centre for Biotechnology Information-NCBI) के अनुसार H9N2 वायरस जंगली पक्षियों में विशेष रूप से पाए जाते है।
- NCBI के शोधकर्त्ता टी.पी. पीकॉक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, H9N2 वायरस संभावित रूप से इन्फ्लूएंज़ा के विश्वव्यापी उद्भव में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एवियन इन्फ्लूएंज़ा वायरस पोल्ट्री फर्मों में तेज़ी से फैल रहा है , संक्रमित पोल्ट्री या दूषित वातावरण के संपर्क में आने के कारण इससे मानव समूहों के लिये भी जोखिम उत्त्पन्न हो गया है।
- मनुष्यों में H9N2 वायरस का संक्रमण दुर्लभ हैं, हालाँकि संक्रमण के अस्पष्ट लक्षणों के कारण इसके मामले प्रकाश में नहीं आ पाते हैं।
- मनुष्यों में, H9N2 वायरस के संक्रमण का पहला मामला वर्ष 1998 में हॉन्गकॉन्ग में सामने आया।
वर्ष 1966 में H9N2 वायरस का पहला मामला संयुक्त राज्य अमेरिका के विस्कोंसिन में प्रवासी पक्षियों के झुंड टर्की फ्लोक्स (Turkey Flocks) में देखा गया।
- विगत कुछ वर्षो में H9N2 वायरस के कारण मनुष्यों में संक्रमण फैलने के मामले हॉन्गकॉन्ग के अतिरिक्त चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान तथा मिस्र में भी देखे गए है।
- म्याँमार में वर्ष 2014 से 2016 के दौरान पोल्ट्री फर्मों में किये गए सर्विलांस द्वारा H9N2 वायरस के संक्रमण के मामले सामने आए।
- इस वायरस के सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी तथा श्वसन क्रिया में बाधा जैसी समस्याएँ उत्त्पन्न होती हैं।
- भारत में यह वायरस फरवरी 2019 में महाराष्ट्र के मेलघाट ज़िले के कोरकू जनजाति के 93 गाँवों में समुदाय आधारित निगरानी अध्ययन के दौरान देखा गया था।
वायरस (VIRUS)
- ‘विषाणु’ एक सूक्ष्मजीव है, जो जीवित कोशिकाओं के भीतर ही अपना विकास एवं प्रजनन करता है।
- ‘विषाणु’ स्वयं को जीवित रखने एवं अपनी प्रतिकृति तैयार करने हेतु जीवित कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं।
- वर्ष 1892 में दमित्री इवानोवास्की (Dmitri Ivanovsky) ने विषाणु की खोज की।
वायरस के प्रकार:
- ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- DNA वायरस व RNA वायरस।
- वायरस के वर्गीकरण में ‘इन्फ्लूएंजा वायरस’ RNA प्रकार के वायरस होते हैं तथा ये ‘ऑर्थोमिक्सोविरिदे’ (Orthomyxoviridae) वर्ग से संबंधित होते हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस के तीन वर्ग निम्नलिखित हैं:-
- इन्फ्लूएंज़ा वायरस A: यह एक संक्रामक वायरस है। ‘जंगली जलीय पशु-पक्षी’ इसके प्राकृतिक वाहक होते हैं। मनुष्यों में संचारित होने पर यह काफी घातक सिद्ध हो सकता है।
- इन्फ्लूएंज़ा वायरस B: यह विशेष रूप से मनुष्यों को प्रभावित करता है तथा इन्फ्लुएन्ज़ा-A से कम सामान्य तथा कम घातक होता है।
- इन्फ्लूएंज़ा वायरस C: यह सामान्यतः मनुष्यों, कुत्तों एवं सूअरों को प्रभावित करता है। यह इन्फ्लूएंजा के अन्य प्रकारों से कम घातक होता है तथा आमतौर पर केवल बच्चों में सामान्य रोग का कारण बनता है।
आगे की राह:
- वायरस के प्रकोप से बचने के लिये सख्त जैव-सुरक्षा (Biosecurity) उपाय अपनाने और अच्छी स्वच्छता व्यवस्था को बनाए रखने की आवश्यकता है।
- यदि पक्षियों में इसके संक्रमण का पता चलता है, तो वायरस से संक्रमित और संपर्क वाले पक्षियों को चुनकर अलग करने की नीति का अनुपालन किया जाना चाहिये ताकि वायरस के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकें और इसे नष्ट करने के प्रभावी उपाय अपनाए जा सकें।