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56 मिलियन वर्ष पहले हुई थी एक चरम ग्लोबल वार्मिंग घटना

  • 02 Sep 2017
  • 2 min read

चर्चा में क्यों ?

यू.के. के साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने नए भू-रासायनिक मापों और नव वैश्विक जलवायु मॉडलिंग के संयोजन का उपयोग करते हुए दिखाया कि आज से 56 मिलियन वर्ष पहले ज्वालामुखी के विस्फोट से बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से एक चरम ग्लोबल वार्मिंग की घटना हुई थी। यह घटना लगभग 150 हज़ार साल तक चली थी, जिसके फलस्वरूप वैश्विक तापमान में कम-से-कम पाँच डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई थी।

प्रमुख बिंदु

  • यू.के. के शोधकर्त्ताओं के अनुसार पैलियोसीन-ईयोसिन थर्मल मैक्सिमम (Palaeocene-Eocene Thermal Maximum) घटना महासागर और वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन के कारण हुई थी।
  • यह घटना उस समय की है जब ग्रीनलैंड उत्तर-पश्चिम यूरोप से अलग हो रहा था और जिसके कारण उत्तरी अटलांटिक महासागर का निर्माण हुआ था। 
  • उस घटना के दौरान 10,000 पेटाग्राम से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुई थी, जो अब तक जलाए गए कुल जीवाश्म ईंधनों से 30 गुना अधिक तथा मौजूदा सभी परंपरागत और अपरंपरागत जीवाश्म ईंधन भंडारों के बराबर है। 

पैलियोसीन-ईयोसिन थर्मल मैक्सिमम क्या है?

  • पैलियोसीन-ईयोसिन थर्मल मैक्सिमम पिछले 66 मिलियन वर्षों की सबसे तीव्र और चरम प्राकृतिक ग्लोबल वार्मिंग घटना है। यह घटना लगभग 150 हज़ार साल तक चली थी, जिसके फलस्वरूप वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई थी।
  • इस घटना में 25 हज़ार वर्ष से भी कम समय में वायुमंडल में  ज्वालामुखी उदगार के कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा दुगुनी हो गई थी।
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