भारतीय विरासत और संस्कृति
मार्कंडेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार का प्रयास
- 15 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India-ASI) द्वारा महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मौजूद मार्कंडेश्वर मंदिर (Markandeshwar Temple) समूह के जीर्णोद्धार का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु :
- ASI से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, दो बार (सर्वप्रथम 1960 और फिर 1980 में) आकाशीय बिजली गिरने के कारण इस परिसर को काफी नुकसान पहुँच चुका है, हालाँकि स्थानीय स्तर पर इसे सुधारने के प्रयास किये गए थे, परंतु वे प्रयास जल रिसाव को रोकने में समर्थ नहीं हुए।
- इसके अतिरिक्त 19वीं सदी में ASI के पूर्व निदेशक सर एलेक्जेंडर कनिंघम ने अपने दस्तावेज़ीकरण (Documentation) में यह बताया था कि लगभग 200 साल पहले भी मंदिर का मुख्य भाग और महामंडप का शिखर, आकाशीय बिजली गिरने से खंडित हो गया था, जिसकी मरम्मत उस वक्त के स्थानीय गोंड शासक ने करवाई थी, परंतु वह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो सका था।
ASI के समक्ष जीर्णोद्धार से संबंधित चुनौतियाँ:
- कई बार आकाशीय बिजली के हमलों से प्रभावित मंदिर परिसर कई टुकड़ों में बँट गया था, जिन्हें एक साथ लाकर जोड़ना काफी चुनौती पूर्ण कार्य था।
- ASI के समक्ष एक बड़ी चुनौती यह थी कि जिस शैली और पत्थरों का प्रयोग कर मंदिरों का निर्माण किया गया था, वह अब स्थानीय स्तर पर विलुप्त हो गई है। ASI के अनुसार, इस समस्या से निपटने के लिये उन्होंने राजस्थान और मध्य प्रदेश के कारीगरों से संपर्क किया।
- इसके अतिरिक्त गढ़चिरौली में माओवाद की मौजूदगी भी इस जीर्णोद्धार की परियोजना में सबसे बड़ी बाधा रही।
मार्कंडेश्वर मंदिर परिसर:
- 9वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मौजूद मार्कंडेश्वर मंदिर परिसर में 24 अलग-अलग प्रकार के मंदिर हुआ करते थे। वर्तमान में इन 24 मंदिरों में से 18 खंडहर हो चुके हैं।
- यह वेनगंगा नदी के किनारे मरकंडा गाँव में स्थित है।
- इस मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य वर्ष 2017 से चल रहा है।
- इन्हीं मंदिरों की वजह से गढ़चिरौली को ‘मिनी खजुराहो’ या ‘विदर्भ का खजुराहो’ भी कहा जाता है।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण
(Archaeological Survey of India- ASI)
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्मारकों तथा पुरातत्त्वीय स्थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है ।
- इसके अतिरिक्त प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार, यह देश में सभी पुरातत्त्वीय गतिविधियों को विनियमित करता है।
- यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।