राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक में संशोधन | 29 Mar 2018

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक (NMC) में संशोधन का अनुमोदन किया है। लोकसभा में 2 जनवरी, 2018 को की गई चर्चा, विभाग से संबंधित स्थायी संसदीय समिति द्वारा संसद में 20 मार्च, 2018 को प्रस्तुत रिपोर्ट और चिकित्सा छात्रों तथा चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों द्वारा दिये गये सुझावों पर विचार करने के बाद इन संशोधनों का अनुमोदन किया गया है।

पृष्टभूमि

  • दिसम्बर 2017 में राष्ट्रीय चिकित्सा बिल, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था। यह बिल भारतीय मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 को निरस्त करने और ऐसी मेडिकल शिक्षा प्रणाली प्रदान करने का प्रयास करता है जो निम्नलिखित सुनिश्चित करता हो-

♦ पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाले मेडिकल पेशेवरों की उपलब्धता।
♦ मेडिकल पेशेवरों द्वारा नवीनतम मेडिकल अनुसंधानों का उपयोग। 
♦ मेडिकल संस्थानों का नियमित आकलन। 
♦ एक प्रभावी शिकायत समाधान प्रणाली। 

  • विधेयक के अंतर्गत एक 25 सदस्यीय राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के गठन की बात कही गई है। इसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी तथा इसमें राज्यों के 3 प्रतिनिधि शामिल होंगे। 
  • विधेयक के पास होने के 3 वर्षों के अंदर राज्य सरकारों द्वारा इस आयोग का गठन किया जाएगा।
  • लोकसभा में चर्चा होने के बाद इस विधेयक को विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति (DRPSC) के विचारार्थ भेजा गया था।

प्रस्तावित संशोधन
राष्ट्रीय एग्जिट टेस्ट 

  • फाइनल MBBS परीक्षा को ही पूरे देश में सामान्य परीक्षा का दर्जा दिया जाएगा और यह एग्जिट टेस्ट के रूप में कार्य करेगा।
  • इसे राष्ट्रीय एग्जिट टेस्ट (National Exit Test-NEXT) कहा जाएगा। इस प्रकार चिकित्सा-छात्रों को लाइसेंस प्राप्त करने के लिये कोई अन्य परीक्षा नहीं देनी होगी।
  • NEXT उन डॉक्टरों के लिये स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में कार्य करेगा जिनके पास विदेशी चिकित्सा डिग्री है और वे भारत में चिकित्सा पेशा करने के इच्छुक हैं।

आयुष चिकित्सकों के लिये ब्रिज पाठ्यक्रम का प्रावधान समाप्त 

  • आयुष पेशेवरों द्वारा आधुनिक चिकित्सा का पेशा शुरु करने के लिये आवश्यक ब्रिज पाठ्यक्रम के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है।
  • यह ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों को दी गई है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रोत्साहन देने के लिये आवश्यक कदम उठाएँ।

शुल्क विनियमन 

  • निजी चिकित्सा संस्थानों तथा मानद विश्वविद्यालयों में जिन सीटों के लिये शुल्क विनियमन किया जाएगा उसकी अधिकतम सीमा को 40% से बढ़ाकर 50% कर दी गई है।

NMC में राज्यों का प्रतिनिधित्व

  • NMC में राज्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग पर विचार करते हुए इसमें राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के नामित सदस्यों की संख्या 3 से बढ़ाकर 6 कर दी गई है। NMC में कुल 25 सदस्य होंगे जिनमें से कम-से-कम 21 डॉक्टर होंगे।

नियमों का अनुपालन नहीं करने पर मेडिकल कॉलेजों पर कार्रवाई 

  • मेडिकल कॉलेजों द्वारा नियमों को नहीं मानने पर आर्थिक दंड के प्रावधान के स्थान पर विभिन्न दंड विकल्पों का प्रावधान किया गया है।
  • अभी कॉलेजों द्वारा नियमों को न मानने पर किसी बैच से प्राप्त किये गए कुल शुल्क के आधे से लेकर 10 गुने तक आर्थिक दंड का प्रावधान है।
  • इस उपनियम के स्थान पर एक अन्य प्रावधान जोड़ा गया है। नए प्रावधान में चेतावनी के विभिन्न विकल्प, सामान्य आर्थिक दंड,  नामांकन पर रोक तथा मान्यता समाप्त करना शामिल है।

फर्जी चिकित्सकों पर कार्रवाई

  • अयोग्य व नीम-हकीम चिकित्सकों के लिये सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। अनधिकृत चिकित्सा सेवा देने पर एक साल का कारावास तथा 5 लाख रुपए तक के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है।