जैव विविधता और पर्यावरण
एम्बरग्रीस
- 26 Jun 2021
- 4 min read
प्रिलिम्स के लिये:एम्बरग्रीस, स्पर्म व्हेल और इसकी संरक्षण स्थिति मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण नहीं |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मुंबई पुलिस ने पाँच लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से लगभग 9 किलो एम्बरग्रीस (Ambergris) जब्त किया है।
प्रमुख बिंदु:
परिचय:
- फ्रांसीसी शब्द ग्रे एम्बर या एम्बरग्रीस को प्रायः व्हेल की उल्टी (Vomit) के रूप में जाना जाता है।
- यह एक ठोस और मोम जैसा पदार्थ है जो स्पर्म व्हेल की आँतों में उत्पन्न होता है।
- स्पर्म व्हेल में से केवल 1% ही एम्बरग्रीस का उत्पादन करती हैं।
- रासायनिक रूप से एम्बरग्रीस में एल्कलॉइड, एसिड और एंब्रेन नामक एक विशिष्ट यौगिक होता है, जो कोलेस्ट्रॉल के समान होता है।
- यह जल निकाय की सतह के चारों ओर तैरता है और कभी-कभी तट के समीप आकर इकठ्ठा हो जाता है।
- इसके उच्च मूल्य के कारण इसे तैरता हुआ सोना कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में 1 किलो एम्बरग्रीस की कीमत 1 करोड़ रुपए है।
प्रयोग:
- इसका इस्तेमाल इत्र बाज़ार में खासतौर पर कस्तूरी जैसी सुगंध विकसित करने के लिये किया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि दुबई जैसे देशों में जहाँ इत्र का एक बड़ा बाज़ार है, इसकी अधिक मांग है।
- प्राचीन मिस्रवासी इसका प्रयोग धूप (Incense) के रूप में करते थे। ऐसा माना जाता है कि इसका उपयोग कुछ पारंपरिक औषधियों और मसालों के रूप में भी किया जाता है।
तस्करी:
- अपने उच्च मूल्य के कारण विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में यह तस्करों के निशाने पर रहा है।
- ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ इस तरह की तस्करी के लिये गुजरात के तट का इस्तेमाल किया गया है।
- चूँकि स्पर्म व्हेल एक संरक्षित प्रजाति है, इसलिये व्हेल के शिकार की अनुमति नहीं है। हालाँकि तस्कर, व्हेल के पेट से एम्बरग्रीस प्राप्त करने के लिये इसका अवैध रूप से शिकार करते हैं।
स्पर्म व्हेल (Sperm Whale):
परिचय:
- स्पर्म व्हेल, (फिसेटर कैटोडोन), जिसे काचलोट भी कहा जाता है, दाँत वाली व्हेल में सबसे बड़ी, अपने विशाल चौकोर सिर और संकीर्ण निचले जबड़े के कारण आसानी से पहचानी जाती है।
- स्पर्म व्हेल गहरे नीले-भूरे या भूरे रंग की होती है, जिसके पेट पर सफेद धब्बे होते हैं। यह थिकसेट है और इसमें छोटे पैडल जैसे फ्लिपर्स (Flippers) होते हैं और इसकी पीठ पर गोल कूबड़ की शृंखला होती है।
आवास:
- ये विश्व के समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जल क्षेत्र में पाए जाते हैं।
खतरे:
- स्पर्म व्हेल के लिये सबसे बड़ा खतरा ध्वनि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन सहित निवास स्थान की क्षति है।
- अन्य खतरों में फिशिंग गियर में उलझाव, जहाज़ों के साथ टकराव और एक बार फिर व्हेल के व्यावसायिक शिकार की अनुमति देने का प्रस्ताव शामिल हैं।
संरक्षण स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट: संकटग्रस्त
- वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट I
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I