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भारतीय अर्थव्यवस्था

वैकल्पिक निवेश कोष

  • 13 Nov 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

AIF, SEBI, NPA

मेन्स के लिये:

आवासीय परियोजनाओं और अवसंरचना से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) द्वारा 25000 करोड़ रुपए की धनराशि से वैकल्पिक निवेश कोष (Alternative Investment Fund- AIF) स्थापित करने की मंज़ूरी प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह कोष देश भर में अटकी हुई सस्ती एवं मध्यम आय वर्ग वाली आवासीय परियोजनाओं को फिर से शुरु करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
  • इस कोष की 25000 करोड़ रुपए की शुरूआती धनराशि में से 10,000 करोड़ रुपए सरकार तथा शेष धनराशि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (State Bank of India- SBI) एवं जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation- LIC) द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी।
  • इस कोष की सीमा को साॅवरेन/निजी निवेश के माध्यम से 25000 करोड़ रुपए से अधिक बढ़ाया जा सकता है।
  • इस कोष को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) के तहत पंजीकृत AIF की श्रेणी-2 के तहत वर्गीकृत किया जायेगा।
  • यह SBICAP वेंचर्स लिमिटेड (SBICAP Ventures Limited-SVL) द्वारा प्रबंधित किया जाएगा जो SBI कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड (SBI Capital Markets Limited) की पूर्ण स्वामित्व वाली एक सहायक कंपनी है।

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लाभान्वित होने वाली परियोजनाएँ:

  • निम्नलिखित मानदंड वाली आवासीय परियोजनाएँ को लाभ होगा-
    • परियोजना की नेट वर्थ पॉजिटिव (परिसंपत्ति का मूल्य देयता से अधिक) होनी चाहिये।
    • परियोजना को रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (Real Estate Regulatory Authority- RERA) में पंजीकृत होना चाहिये।
    • परियोजना को दिवालियेपन के योग्य (Liquidation-Worthy) न माना गया हो।
  • वित्त मंत्रालय ने अपनी पूर्व की घोषणा में बदलाव करते हुये गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (Non Performimg Assets- NPA) के रूप में वर्गीकृत एवं नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (National Comapany Law Tribunal) के तहत समाधान (Resolution) हेतु प्रस्तावित परियोजनाएँ भी इसके तहत वित्तीयन हेतु पात्र होंगी।

वित्तीयन की प्रक्रिया:

  • इस कोष से धनराशि को एस्क्रो अकाउंट (Escrow Account) के द्वारा उपलब्ध करवाया जायेगा। इस धनराशि का उपयोग चिह्नित परियोजना को पूर्ण करने हेतु किया जायेगा।

एस्क्रो अकाउंट (Escrow Accounts)

  • एस्क्रो अकाउंट एक वित्तीय साधन है, जिसके तहत किसी संपत्ति या धन को दो अन्य पक्षों के मध्य लेन-देन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक इन दोनों पक्षों की ओर से तीसरे पक्ष के पास रखा जाता है।
  • परियोजनाओं के पूर्ण होने पर इनसे प्राप्त धन का उपयोग कोष से ली गई धनराशि को चुकाने के लिये किया जाएगा।

कोष की स्थापना से लाभ:

  • यह कोष 1600 अटकी हुई आवासीय परियोजनाओं को फिर से शुरु करने में सहायक होगा।
  • इस कोष से आवासीय खरीदारों, रियल स्टेट के व्यवसायियों एवं इन परियोजनाओं को ऋण देने वाले बैंक लाभान्वित होंगे।
  • अटकी हुई परियोजनाओं के पुन: शुरु होने से स्टील, सीमेंट एवं अन्य भवन निर्माण सामग्रियों की मांग में वृद्धि होगी जिससे रोज़गार सृजन होगा।
  • इस कोष से अपने वाणिज्यिक निवेशकों को उनके फँसे हुए निवेश की पुनर्प्राप्ति में सहायता मिलेगी जिससे अर्थव्यवस्था में पुनर्निवेश में बढ़ोतरी होगी।

वैकल्पिक निवेश कोष

(Alternative Investment Fund-AIF)

  • यह कोष सेबी (SEBI) द्वारा विनियमित किया जाता है।
  • भारत में स्थापित ये कोष देशी अथवा विदेशी निवेशकों से धन प्राप्त कर इसके द्वारा परिभाषित निवेश नीति के अनुसार निवेश करते हैं।

AIF की 3 श्रेणियाँ होती है:

  • श्रेणी-1 : ये AIF, स्टार्ट-अप या शुरुआती चरण के उद्यमों में निवेश करते हैं जैसे- वेंचर कैपिटल फंड (Venture Capital Fund), इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (Infrastructure Fund)।
  • श्रेणी-2 : ये AIF, श्रेणी I और III में नहीं आते हैं। ये कोष दिन-प्रतिदिन की अपनी परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा लाभ या ऋण लेने का कार्य नहीं करते हैं। इन कोष को सेबी (वैकल्पिक निवेश कोष) विनियम [SEBI (Alternative Investment Funds) Regulations], 2012 के तहत अनुमति दी जाती है जैसे- रियल एस्टेट फंड (Real Estate Fund), निजी इक्विटी फंड (Private Equity Fund)।
  • श्रेणी-3 : ये AIF, विविध एवं जटिल व्यापारिक रणनीतियों का प्रयोग करते हैं तथा सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध डेरिवेटिव में निवेश कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जैसे- सार्वजनिक इक्विटी कोष में निजी निवेश (Private Investment In Public Equity Fund), हेज कोष (Hedge Fund)।

वैकल्पिक निवेश (Alternative Investment)

  • वैकल्पिक निवेश वह वित्तीय परिसंपत्ति होती है जो पारंपरिक शेयर/आय//नकदी श्रेणियों के तहत नहीं आती है। इसमें निजी उद्यम पूंजी, हेज कोष, कलात्मक और प्राचीन वस्तुओं में निवेश आदि शामिल है।

स्रोत: द हिंदू 

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