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भारतीय राजव्यवस्था

विधि आयोग ने जुए और खेलों में सट्टे को अनुमति देने की सिफारिश की

  • 06 Jul 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

विधि आयोग ने हाल ही में केंद्र सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चूँकि अवैध जुए को रोकना असंभव है, इसलिये खेलों में सट्टे को "विनियमित" करना एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान की अध्यक्षता में आयोग ने राजस्व बढ़ाने के साधनों के रूप में तथा गैरकानूनी सट्टों पर लगाम लगाने के लिये खेलों में "नकद रहित" सट्टे की सिफारिश की|

आयोग की प्रमुख सिफारिशें 

  • आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि इससे अर्जित धन को सार्वजनिक कल्याण गतिविधियों के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है| इसके लिये जुए से अर्जित राजस्व आयकर अधिनियम, वस्तु और सेवा कर अधिनियम जैसे कानूनों के तहत कर योग्य होना चाहिये।
  • आयोग ने इन्हें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के स्रोत के रूप में भी इस्तेमाल करने की सिफारिश की है। 
  • विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट 'लीगल फ्रेमवर्क  गैम्बलिंग एंड स्पो‌र्ट्स बेटिंग इंक्लूडिंग क्रिकेट इन इंडिया' में सट्टे के नियमन के लिये कानून में संशोधन और इससे कर राजस्व हासिल करने के सुझाव दिये हैं।
  • इसके मुताबिक, 'जुए के नियमन के लिये संसद एक मॉडल कानून बना सकती है जिसे राज्य भी अपना सकते हैं। 
  • आयोग का मानना है कि इस क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने से उन राज्यों में निवेश को बढ़ाया जा सकेगा जो पर्यटन और सेवा क्षेत्र में विकास के लिये कैसीनो की इज़ाज़त देने का फैसला करेंगे|  
  • आयोग ने जुए और सट्टे में लेन-देन को कैशलेस बनाने और मनी लांड्रिंग जैसी गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिये इसमें शामिल होने वाले व्यक्ति के आधार या पैन कार्ड को लिंक करने की भी सिफारिश की है। 
  • आयोग ने 'उचित जुआ' और 'छोटा जुआ' के वर्गीकरण की सिफारिश की। उचित जुआ अमीरों के लिये होगा जो उच्च हिस्सेदारी के लिये खेलते हैं, जबकि छोटा जुआ कम आय वाले समूहों के लिये होगा|
  • पैनल जुए से संबंधित लेन-देन की संख्या पर व्यक्तिगत, मासिक, अर्द्ध वार्षिक तथा वार्षिक रूप से अधिकतम सीमा तय करने का सुझाव देता है|
  • क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग जैसी इलेक्ट्रॉनिक सुविधाओं का उपयोग करते समय राशि पर प्रतिबंध निर्धारित किये जाने चाहिये। जुआ वेबसाइटों को अश्लील साहित्य की मांग भी नहीं करनी चाहिये|
  • विनियमों के द्वारा कमज़ोर समूहों, नाबालिगों और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की रक्षा किये जाने की ज़रूरत है|
  • कमीशन के अनुसार, कैसीनो / ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये विदेशी मुद्रा प्रबंधन और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश कानूनों तथा नीतियों में संशोधन किया जाना चाहिये। यह पर्यटन और रोजगार को प्रेरित करेगा|

जुए की अनुमति दिये जाने संबंधी सिफारिश की आलोचना 

  • हालाँकि, सदस्यों में से एक  प्रो.एस. शिवकुमार ने इस रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया है और कहा है कि विधि आयोग की रिपोर्ट "व्यापक" नहीं है। भारत जैसे गरीब देश को अपनी धरती पर 'वैध जुआ'  खेलने की अनुमति नहीं देनी चाहिये।
  • उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम से गरीब लोग और गरीब होंगे| आयोग की सिफारिशों से केवल निहित हितों के लिये जुए को वैध किये जाने की मंशा जाहिर होती है। श्री शिवकुमार ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए संक्षिप्त विवरण पर अमल नहीं किये जाने को लेकर आयोग की आलोचना की।
  • उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में विधि आयोग से क्रिकेट में सट्‌टेबाजी को वैध किये जाने के मुद्दों की जाँच करने के लिये कहा था।  

पैनल ने महाभारत का हवाला दिया 

  • जुए के विनियमन के लिये अपनी संस्तुति को न्यायसंगत बनाने हेतु आयोग की रिपोर्ट में महाभारत महाकाव्य के एक प्रसंग का हवाला दिया गया है।
  • आयोग ने तर्क दिया कि ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी ने वैश्विक उपस्थिति दर्ज की है।
  • ऐसी गतिविधियाँ  यदि उचित तरीके से विनियमित की जाती हैं तो बाज़ार में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी,  साथ ही अवैध और अनियमित जुआ उद्योग पर अंडरवर्ल्ड के नियंत्रण में भी लगाम लगाई जा सकेगी।
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