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भारतीय अर्थव्यवस्था

इलाहाबाद तथा देना बैंक के कॉर्पोरेट उधारकर्त्ता तलाशेंगे नए उधारदाता

  • 01 Jun 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

देना बैंक और इलाहाबाद बैंक के कॉर्पोरेट उधारकर्त्ता, जिन्हें नया ऋण प्रदान करने से प्रतिबंधित किया गया है, को यह सुनिश्चित करने के लिये अपने बैंकों को स्विच करने के लिये कहा जा रहा है ताकि कंपनियों, विशेष रूप से MSMEs को उधार देना अचानक बंद न हो।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • 2017-18 में दो उधारदाताओं के वित्तीय प्रदर्शन में तेजी से गिरावट आई,  भारतीय रिज़र्व बैंक ने देना बैंक को किसी भी नए ऋण को देने से प्रतिबंधित कर दिया है, जबकि इलाहाबाद बैंक को जोखिम भारित परिसंपत्तियों के विस्तार को प्रतिबंधित करने और अनिर्धारित एवं उच्च जोखिम वाले अग्रिम राशि में कमी लाने के लिये कहा गया है।
  • इन प्रतिबंधों का मतलब है कि इन खातों के मौजूदा उधारकर्त्ताओं को भी कामकाजी पूंजी ऋण और नकद ऋण जैसी कोई भी ऋण सुविधा नहीं मिल सकती है। 
  • ऋण प्रतिबंधों के बावजूद, ऋण की सुविधाएँ सुचारु रूप से जारी रखने के लिये ये दोनों बैंक उधारकर्त्ताओं के साथ काम कर रहे हैं ताकि उन्हें अन्य बैंकों के साथ जोड़े रखें। 
  • इससे पहले सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के छोटे बैंकों को अन्य बैंकों के कॉर्पोरेट ऋणों के नियंत्रण या बिक्री पर विचार करने का निर्देश दिया था।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने देना बैंक को नए ऋण प्रदान करने और नए कर्मचारियों की भर्ती करने से प्रतिबंधित कर दिया था। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने इलाहाबाद बैंक पर उधार प्रतिबंधों के अलावा गैर-बैंकिंग परिसंपत्तियों के निर्माण को प्रतिबंधित करने और थोक/महँगी जमा और जमा प्रमाणपत्र के उपागमन/नवीनीकरण करने पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिये थे।
  • ये प्रतिबंध छोटे और मध्यम पैमाने पर कंपनियों को प्रभावित करते हैं, जिनकी ऋण सुविधाएँ बैंकों के साथ सीमित संख्या में चल रही हैं।

क्या कहते हैं आंकडे?

  • 31 मार्च, 2018 तक देना बैंक द्वारा MSMEs को दिया गया 10,898 करोड़ रुपए का वित्तीय ऋण बकाया है, जबकि इलाहाबाद बैंक के लिये यह 31,547 करोड़ रुपए है। 
  • दोनों बैंकों ने बड़े उद्यमों को क्रमश: 26,817 करोड़ रुपए और 38,764 करोड़ रुपए का ऋण दिया था। 
  • देना बैंक द्वारा छोटे और बड़े निगमों को दिया गया ऋण कुल अग्रिमों का लगभग 51 प्रतिशत है, जबकि इलाहाबाद बैंक के लिये यह लगभग 42 प्रतिशत है। 

क्या होगा इन प्रतिबंधों का प्रभाव?

  • चूँकि कॉर्पोरेट उधारकर्त्ता, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों के साथ इन बैंकों के पिछले व्यावसायिक संबंध हैं इसलिये ऋण देने में अचानक रुकावट कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। 
  • कॉर्पोरेट उधारकर्त्ताओं के अलावा, ये प्रतिबंध कृषि क्षेत्र के उधारकर्त्ताओं को भी प्रभावित करते हैं, जिन्हें किसी भी नए ऋण के लिये अन्य बैंकों के साथ जुड़ने की आवश्यकता होगी।

सुधार के प्रयास

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी निवेश योजना के तहत सरकार ने जनवरी में देना बैंक को 3,045 करोड़ रुपए और इलाहाबाद बैंक को 1,500 करोड़ रुपए आवंटित किये थे।
  • त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action-PCA) के तहत बैंकों के साथ-साथ उनके उधारकर्त्ताओं के सुचारु पारगमन को सुनिश्चित करने के लिये कंपनियों को अन्य बैंकों से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। 
  • राज्य के स्वामित्व वाले कुल ग्यारह बैंक वर्तमान में रिज़र्व बैंक के PCA तंत्र के अंतर्गत हैं, जो बैंकों को तीन प्रमुख नियामक सतर्कता बिंदुओं अर्थात् पूंजी पर्याप्तता अनुपात, शुद्ध NPA और संपत्ति पर रिटर्न का उल्लंघन करने पर असंतोष प्रकट करता है।
  • PCA बैंकों को अपनी ऋण पुस्तिका के आकार में वृद्धि, लाभांश का भुगतान और नई शाखाएँ खोलने से प्रतिबंधित किया गया है।
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