केरल एवं मिज़ोरम पूर्णतया खुले में शौच से मुक्त | 31 Mar 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक सरकारी-कमीशन सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, केरल और मिज़ोरम 100 फीसदी ओडीएफ (open defecation free) वाले राज्य बन गए हैं। जबकि इस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे नीचे हैं। इन दोनों राज्यों में केवल 44 फीसदी घर ही ओडीएफ वाले हैं।
राष्ट्रीय वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के अनुसार
- राष्ट्रीय वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण (National Annual Rural Sanitation Survey - NARSS) 2017-18 के अनुसार, भारत के साठ फीसदी ग्रामीण परिवारों ने इस बात को स्वीकार किया है कि आवश्यकता पड़ने पर उनके सभी सदस्य शौचालय का इस्तेमाल करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे खुले में शौच नहीं करते हैं।
- स्वच्छ भारत अभियान (Swacch Bharat Abhiyan) के शुभारंभ के साढ़े तीन साल बाद NARSS द्वारा ये आँकड़े प्रस्तुत किये गए। सर्वेक्षण के अनंतिम सारांश रिपोर्ट (provisional summary report) में यह पाया गया कि सभी ग्रामीण परिवारों में से तकरीबन 77 फीसदी परिवारों तक शौचालय की पहुँच सुनिश्चित की जा चुकी है। साथ ही इनमें से लगभग 93.4 फीसदी लोगों द्वारा नियमित रूप से शौचालय का उपयोग किया जा रहा है।
- द हिंदू समाचार पत्र के विश्लेषण से पता चलता है कि पूरे देश में लगभग 68 फीसदी घर इस मानदंड पर खरे उतरते हैं।
$ 1.5 बिलियन ऋण
- सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वच्छ भारत अभियान-ग्रामीण के लिये 1.5 अरब डॉलर के ऋण का भुगतान करने हेतु विश्व बैंक (World Bank) की आवश्यकताओं के तहत थर्ड पार्टी एजेंसी कंटार पब्लिक (Kantar Public) द्वारा इस सर्वेक्षण का आयोजन किया गया।
- इस सर्वेक्षण में नवंबर 2017 से मार्च 2018 के मध्य तक देश भर के 6,136 गाँवों में 92,040 घरों के सर्वेक्षण को शामिल किया गया।
- अब जब पहला सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, तो विश्व बैंक ने ऋण की पहली किश्त के रूप में $ 147.5 मिलियन का भुगतान किया है।
- NARSS के विश्लेषण के आधार पर तीन प्रगति संकेतकों के लिये आधारभूत मूल्य निर्धारित किये जाएंगे, जिनके तहत विश्व बैंक द्वारा भविष्य में निधि का भुगतान किया जाएगा।
- प्रत्येक राज्य को ओडीएफ स्थिति सहित स्वच्छता के परिणामों को बनाए रखने तथा स्वच्छता की स्थिति को प्राप्त करने संबंधी प्रगति के आधार पर प्रोत्साहन-अनुदान प्रदत्त किया जाएगा।
- अब प्रत्येक वर्ष NARSS का आयोजन किया जाएगा।
- इसका कारण यह है कि अक्तूबर 2017 में एक समीक्षा के दौरान विश्व बैंक ने कहा था कि स्वतंत्र सत्यापन एजेंसी (Independent Verification Agency) के चयन में देरी के कारण इस कार्यक्रम हेतु निर्धारित राशि के वितरण में देरी होती जा रही है। कुल मिलाकर अभियान के कार्यान्वयन की प्रगति "असंतोषजनक" थी और परियोजना की सफलता के संदर्भ में जोखिम रेटिंग "पर्याप्त" के स्तर पर था।
आँकड़ों में एकरूपता
- पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के अनुसार, सर्वेक्षण से प्राप्त निष्कर्षों के तहत, ओडीएफ गाँवों के संबंध में सरकार द्वारा प्रदत्त आँकड़ों की पुष्टि करने पर ज्ञात होता है कि 95.6% गाँवों ने ओडीएफ की पुष्टि की है। यह दर्शाता है कि सरकार द्वारा प्रदत्त आँकड़ों और ज़मीनी वास्तविकता के बीच एक करीबी अनुरूपता है।
- समुदायों के लिये, ओडीएफ की स्थिति को कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है ओडीएफ का अर्थ है पर्यावरण/गाँव में किसी प्रकार के दृश्य मल का न पाया जाना; तथा प्रत्येक परिवार के साथ-साथ सार्वजनिक/सामुदायिक संस्थाओं द्वारा मल के निपटान के लिये एक सुरक्षित प्रौद्योगिकी विकल्प का उपयोग करना।
- शौचालय की पहुँच से तात्पर्य यह है कि वैसे घर जिनकी शौचालयों तक पहुँच है, या जिनकी साझे शौचालयों तक पहुँच है, इन शौचालयों का इस्तेमाल कई परिवारों अथवा किसी समुदाय द्वारा किया जा सकता है।
अन्य मुख्य बिंदु
- सर्वेक्षण का संपूर्ण कार्य कंप्यूटर सहायतित व्यक्तिगत साक्षात्कार (Computer Assisted Personal Interviewing-CAPI) नामक प्लेटफॉर्म के माध्यम से संपादित किया गया।
- इस सर्वेक्षण के परिणाम स्वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी द्वारा राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रबंधन हेतु गठित एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप (EWG) के समक्ष प्रस्तुत किये गए।
- EWG में विश्व बैंक, यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, इंडिया सैनिटेशन कोअलिशन, सुलभ इंटरनेशनल, नॉलेज लिंक्स समेत नीति आयोग एवं सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सदस्य हैं।