जैव विविधता और पर्यावरण
पिघल रही है शीत कटिबंध की बर्फ
- 06 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
वैज्ञानिक एजेंसियों द्वारा जारी नए आँकड़ों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक और अंटार्कटिक के आसपास की बर्फ तेज़ी से पिघल रही है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि यह परिघटना शीत कटिबंध (Frigid Zone) पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के बारे में जलवायु वैज्ञानिकों की चेतावनी को सही साबित करती है।
- जलवायु वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से चरम मौसमी घटनाओं की बारंबारता में वृद्धि, जलवायु परिवर्तनशीलता और जलवायु पैटर्न की अस्थिरता की चेतावनी देते रहे हैं।
- यूएस नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर (US National Snow and Ice Data Center) के एक अध्ययन के अनुसार, आर्कटिक महासागर में जून 2016 के बाद वर्तमान में दूसरी सबसे कम बर्फ की मात्रा दर्ज की गई है।
- अध्ययन में यह भी कहा गया कि आर्कटिक महासागर की समुद्री सतह का तापमान चुक्सी सागर (Chukchi Sea) के तापमान से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक है। साथ ही लाप्तेव सागर (Laptev Sea) और कारा सागर (Kara Sea) में जल की मात्रा बैफिन खाड़ी और दक्षिण-पूर्वी ग्रीनलैंड तट की अपेक्षा बढ़ रही है।
- विश्व मौसम संगठन (WMO) के अनुसार, अंटार्कटिक और आर्कटिक समुद्री बर्फ की मात्रा रिकॉर्ड स्तर पर कम हुई है।
- नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के अध्ययन के अनुसार, वर्ष 1970 से वर्ष 2014 तक बर्फ की मात्रा में बढ़ोतरी देखी गई, जबकि वर्ष 2014 से वर्ष 2017 के बीच बर्फ की मात्रा में कमी आने लगी।
- आर्कटिक महासागर के गर्म होने से उत्तरी गोलार्द्ध में पछुवा और जेट स्ट्रीम भी प्रभावित होगी। इससे मौसमी पैटर्न में बदलाव के साथ चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति में वृद्धि होगी और जलवायु में अस्थिरता बढ़ जाएगी।
- IPCC ने अपनी रिपोर्ट में भी 21वीं सदी के अंत तक आर्कटिक महासागर के तापमान में 8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी का अनुमान व्यक्त किया है।
शीत कटिबंध
- 66 डिग्री के ऊपर की अक्षांशीय स्थिति को शीत कटिबंध या फ्रिज़िड ज़ोन (Frigid Zone) कहते हैं।
- शीत कटिबंध क्षेत्र में सूर्य की किरणें क्षितिज से ज्यादा ऊपर नहीं आ पाती है। इसलिये यहाँ का औसत तापमान काफी कम रहता है और बर्फ की उपस्थिति भी वर्ष के महीनों तक बनी रहती है।
- वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग के कारण इस क्षेत्र की बर्फ तेज़ी से पिघल रही है जिसके परिणामस्वरूप चरम मौसमी घटनाओं की बारंबारता बढ़ रही है साथ ही जलवायु अध्ययनों में दीर्घकालिक जलवायु अस्थिरता का भी अनुमान व्यक्त किया जा रहा है।
- अमेरिका, कनाडा, आइसलैंड, नार्वे, फिनलैंड, स्वीडन, रूस इत्यादि देश फ्रिज़िड ज़ोन में स्थित हैं।