विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
समुद्र तल की एयरलाइन मैपिंग
- 27 Feb 2021
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (INCOIS) समुद्र तल की बेहतर छवि/तस्वीर प्राप्त करने के लिये अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह तथा लक्षद्वीप द्वीपसमूह की एयरलाइन मैपिंग की योजना बना रहा है।
- लक्षद्वीप अरब सागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। यह केरल के तट से दूर स्थित एक प्रकार का प्रवाल द्वीप है। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में स्थित हैं।
प्रमुख बिंदु
इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (INCOIS)
- यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
- हैदराबाद में स्थित इस संस्थान को वर्ष 1999 में स्थापित किया गया था।
- यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ESSO), नई दिल्ली की एक इकाई है।
- ESSO पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) की नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये कार्यकारी विंग के रूप में कार्य करता है।
- जनादेश
- समाज, उद्योग, सरकारी एजेंसियों और वैज्ञानिक समुदाय को निरंतर महासागर अवलोकन तथा व्यवस्थित एवं केंद्रित अनुसंधान के माध्यम से सर्वोत्तम संभव महासागर सूचना व सलाहकारी सेवाएँ प्रदान करना।
हालिया पहलें
- इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (INCOIS), अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह तथा लक्षद्वीप में ‘बाथिमेट्रिक’ (Bathymetric) अध्ययन करने के लिये राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) की सहायता लेने की योजना बना रहा है।
- NRSC: यह अंतरिक्ष विभाग के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्राथमिक केंद्रों में से एक है।
- बाथिमेट्री
- इसका अभिप्राय समुद्र, नदियों और झीलों समेत सभी प्रकार के जल निकायों के ‘तल’ के अध्ययन से है।
- ‘बाथिमेट्री’ मूल रूप से समुद्र की सतह के सापेक्ष समुद्र की गहराई को संदर्भित करता है, हालाँकि इसका अर्थ पानी के नीचे के इलाके की गहराई और आकार से भी है।
- राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) पहले ही देश के पूरे तटीय क्षेत्रों की टोपोग्राफिक एयरबोर्न लेज़र टेरेन मैपिंग (ALTM) कर चुका है।
- ALTM एक सक्रिय रिमोट सेंसिंग तकनीक है जो विशाल क्षेत्रों में उच्च स्थानिक रिज़ॉल्यूशन पर स्थलाकृति को मापने के लिये लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग (LIDAR) का प्रयोग करती है।
- ALTM एक एयरबोर्न प्लेटफॉर्म तथा पृथ्वी की सतह के बीच की सीमा/विस्तार को मापने के लिये प्रति सेकंड कई हज़ार बार लेज़र स्पंदित करता है।
- लेज़र ट्रांसमीटर के अंदर एक घूर्णी दर्पण या किसी अन्य स्कैनिंग तंत्र का उपयोग कर लेज़र स्पंदनों को एक कोण बनाते हुए तेज़ी से गुज़रने दिया जाता है जिससे परावर्तक सतह पर किसी रेखा या अन्य पैटर्न/प्रतिरूप का पता लगाया जा सकता है।
- वैज्ञानिक द्वारा समुद्र तल के अधिक सटीक चित्र प्राप्त करने के लिये पूर्व और पश्चिम दोनों तटों की 3D मल्टी-हैज़ार्ड मैपिंग हेतु डेटा को एकीकृत किया जा रहा है।
महत्त्व
- हालिया सुनामी की चेतावनी के मद्देनज़र इस प्रकार का अध्ययन काफी महत्त्वपूर्ण है।
- हाल ही में इंडोनेशिया के तटों पर समुद्र तल में हुए भूस्खलन के कारण आम लोगों को जान-माल की काफी क्षति हुई थी और इस दौरान प्रशासन को आम लोगों को सचेत करने के लिये पर्याप्त समय भी नहीं मिल पाया था।
अन्य पहलें
- आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तट पर ऐसे कई स्थानों की पहचान की गई है, जहाँ समुद्र की बेहतर निगरानी और चक्रवातों जैसी आपदाओं की अधिक सटीक भविष्यवाणी के लिये टाइड गेज (Tide Gauge) स्थापित किया जा सके।
- चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) और संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्र वैज्ञानिक एजेंसी, मैसाचुसेट्स-आधारित वुड्स होल ओशनग्राफिक इंस्टीट्यूट (WHOI) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (INCOIS) के शोधकर्त्ता कलकत्ता तट से दूर बंगाल की खाड़ी से प्राप्त आँकड़ों का अध्ययन और विश्लेषण कर रहे हैं, इन आँकड़ों को ‘फ्लक्स बॉय’ (Flux Buoy) के माध्यम से प्राप्त किया गया है।
- इस उपकरण को समुद्र की गहराई में विभिन्न स्तरों पर तापमान, दबाव, लवणता, विकिरण और भू-रासायनिक परिवर्तनों की निगरानी के लिये रखा गया गया था।
वैश्विक पहलें
- सीबेड 2030 (Seabed 2030) जापान के निप्पॉन फाउंडेशन और जनरल बाथिमेट्री चार्ट ऑफ ओशंस (GEBCO) की संयुक्त परियोजना है।
- परियोजना का लक्ष्य वर्ष 2030 तक विश्व महासागर तल के निश्चित मानचित्र का निर्माण करने के लिये अब तक उपलब्ध बाथमीट्रिक डेटा का एकत्रण और इसे सभी के लिये उपलब्ध कराना है।