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जैव विविधता और पर्यावरण

दिल्ली के वायु प्रदूषण में कमी

  • 14 Sep 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में विगत चार वर्षों में प्रदूषण, मुख्यतः PM2.5 की सघनता के स्तर में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है।

  • लगभग 5 साल पहले वर्ष 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) द्वारा वायु गुणवता के संबंध में एक वैश्विक अध्ययन किया गया और इसमें दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया था।
  • तब से शहर में प्रदूषण को रोकने के लिये केंद्र सरकार, राज्य सरकारों व कई नागरिक संस्थानों द्वारा उल्लेखनीय कदम उठाए गए हैं।

दिल्ली में वायु प्रदूषण संबंधी आँकड़े

  • दिल्ली सरकार ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के माध्यम से वायु गुणवत्ता की निगरानी का कार्य वर्ष 2010 में शुरू किया था।
  • इसकी शुरुआत चार स्टेशनों - आर. के. पुरम, पंजाबी बाग, आनंद विहार और मंदिर मार्ग से हुई थी। बीते वर्ष स्टेशनों की संख्या बढ़ाकर 26 कर दी गई थी।
  • दिल्ली में प्रदूषण की सबसे भयावह स्थिति वर्ष 2012 में अक्तूबर और नवंबर के मध्य देखने को मिली, जब पंजाब और हरियाणा के किसानों ने पराली को काफी बड़ी मात्रा में जलाना शुरू कर दिया था। आँकड़ों के अनुसार, उस समय दिल्ली में प्रदूषण कणों की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा से 30 प्रतिशत अधिक थी।

पर्टिकुलेट मैटर

(Particulate Matter-PM)

  • संयुक्त राज्य अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण संस्था (Environmental Protection Agency-EPA) के अनुसार, पर्टिकुलेट मैटर हवा में ठोस कणों और तरल बूँदों का मिश्रण होता है। इसमें से कुछ कणों को नग्न आँखों से देखा जा सकता है, जबकि कुछ को देखने के लिये हमें माइक्रोस्कोप (Microscope) की आवश्यकता पड़ती है।
  • उल्लेखनीय है कि दिल्ली की हवा में मुख्यतः PM2.5 एवं PM10 पाए जाते हैं।
    • PM2.5 - 2.5 माइक्रोमीटर या इससे छोटे व्यास वाले कण।
    • PM10 - 10 माइक्रोमीटर या इससे छोटे व्यास वाले कण।

दिल्ली में पर्टिकुलेट मैटर-2.5 (PM2.5)

  • दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के वर्ष 2012 से 2018 तक के आँकड़े दर्शाते हैं कि इस अवधि में वर्ष 2018 में दिल्ली में PM2.5 की सघनता का औसत स्तर सबसे कम था।
  • जहाँ वर्ष 2012 में PM2.5 की सघनता का वार्षिक औसत 160 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, वहीं वर्ष 2018 में यह 20 प्रतिशत घटकर 128 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर पहुँच गया।
  • आँकड़ों के अनुसार नवंबर, दिसंबर और जनवरी वर्ष 2012 से वर्ष 2018 तक प्रत्येक वर्ष सबसे अधिक प्रदूषित रहने वाले महीने थे।
  • नवंबर ही वह महीना है जिसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा सर्वाधिक पराली जलाई जाती है।

PM10 संबंधी आँकड़े

  • वर्ष 2012 से 2018 के बीच PM10 की औसत सघनता में भी 21 प्रतिशत की कमी आई। इस अवधि में PM10 का औसत स्तर 351 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कम होकर 277 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गया।
  • सर्दियों के मौसम में PM10 प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारक बन जाता है, क्योंकि इस मौसम में खुले में आग जलाना एक महत्त्वपूर्ण दैनिक गतिविधि बन जाती है।

प्रदूषण स्तर में गिरावट के मुख्य कारण

  • वर्ष 2014 से वर्ष 2017 के बीच दिल्ली सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने कई अभियान चलाए, आदेश जारी किये और ऑड-ईवन नियम को लागू करने सहित वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिये NGT द्वारा पारित आदेशों को लागू किया।
  • एक अन्य बड़ा कदम वर्ष 2017 में भी उठाया गया, जब केंद्र सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan-GRAP) जारी किया। इसमें दिल्ली और NCR के अंतर्गत प्रदूषण से निपटने के लिये संबंधित राज्य सरकारों को रोडमैप जारी किया गया। GRAP के अनुसार, यदि दिल्ली-NCR की हवा 48 घंटों से अधिक समय के लिये खतरनाक स्तर से अधिक रहती है तो कठोर कदम जैसे- ट्रकों के प्रवेश को रोकना, निर्माण कार्य को रोकना इत्यादि कदम उठाए जाएंगे।
  • अन्य उल्लेखनीय कदम
    • दिल्ली में दो थर्मल पॉवर प्लांट्स को बंद कर दिया गया है।
    • दिल्ली से गुज़रते हुए अन्य राज्यों को जाने वाले वाहनों के लिये ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे की शुरुआत।
    • BS VI ईंधन की शुरुआत।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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