जैव विविधता और पर्यावरण
वायु प्रदूषण: हार्ट अटैक का उभरता जोखिम कारक
- 30 Sep 2019
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चर्चा में क्यों ?
हाल ही में श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्कुलर साइंस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (Sri Jayadeva Institute of Cardiovascular Sciences and Research) द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान तथा सेंट जॉन रिसर्च सेंटर बंगलुरु (St. John’s Research Centre, Bengaluru- SJRI) जैसी संस्थाओं के साथ किये गए एक अध्ययन के अनुसार लगभग 35% हृदय रोगी वायु प्रदूषण से जुड़े कारणों के अतिरिक्त अन्य किसी पारंपरिक जोखिम कारक से पीड़ित नहीं हैं।
प्रमुख बिंदु
- अध्ययन से संबंधित रिपोर्ट का प्रकाशन 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाने से पूर्व किया गया।
- पूर्व मान्यताओं के अनुसार वायु प्रदूषण को केवल श्वसन रोगों से जुड़ा हुआ माना जाता था परंतु हालिया शोध के कई नैदानिक अध्ययनों ने हृदय रोग के कारण के रूप में वायु प्रदूषण की भूमिका को साबित किया है।
- यह शोध अप्रैल 2017 से अप्रैल 2019 के मध्य समय पूर्व कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ (Premature Coronary Artery Disease- PCAD) क्लीनिक में 2,400 रोगियों पर किया गया था।
- अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि 26% रोगी निजी क्षेत्र, 15% रोगी कृषक और दैनिक वेतन भोगी, 12% रोगी तकनीकी क्षेत्रों से थे। इसके साथ ही 6.5% गृहणियाँ (Housewives) समय पूर्व कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ से पीड़ित थी।
- वायु प्रदूषण का प्रभाव तंबाकू सेवन से उत्पन्न प्रभाव से अधिक घातक है क्योंकि इससे मरने वाले लोगों की संख्या धूम्रपान से मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक है।
- प्रति लाख भारतीयों में से लगभग 200 लोग वायु प्रदूषण के कारण हृदय रोग से ग्रस्त हैं।
- अध्ययन में ऐसे लोगों पर गहन शोध किया गया जिन्हें हृदय रोग होने का कोई जोखिम नहीं था परंतु उनके रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर उच्च था। इस तरह कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन के उच्च स्तर को स्वस्थ कारक नहीं माना जा सकता है, यह लक्षण विशेष रूप से उन लोगों में देखे गए जो वायु प्रदूषण के संपर्क में थे।
- रिपोर्ट के अनुसार अब पहले से अधिक लोग हृदय से संबंधित रोगों की चपेट में हैं और वायु प्रदूषण हृदय रोग के लिये एक उभरता हुआ जोखिम कारक है।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि बंगलुरु में परिवहन, PM10 के उत्सर्जन के प्रमुख स्रोतों में से एक है। बंगलुरु में PM10 का औसत वार्षिक उत्सर्जन अभी भी राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों से लगभग 1.5 गुना अधिक है, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।