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भारत में 8 मौतों में से 1 का कारण वायु प्रदूषण

  • 08 Dec 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ (The Lancet Planetary Health) में प्रकाशित एक शोध निष्कर्ष को ICMR में जारी किया गया। जिसके अनुसार, वर्ष 2017 में भारत में होने वाली आठ मौतों में से एक के लिये भारत में व्याप्त वायु प्रदूषण ज़िम्मेदार था जो कि भारत में होने वाली मौतों के लिये एक प्रमुख जोखिम कारक साबित हुआ।

प्रमुख बिंदु

  • इंडिया स्टेट लेवल डीज़ीज़ बर्डन इनिशिएटिव (India State-Level Disease Burden Initiative) द्वारा प्रकाशित प्रत्येक राज्य में वायु प्रदूषण से जुड़े जीवन प्रत्याशा में कमी के पहले व्यापक अनुमानों के अनुसार, दुनिया की 18% आबादी वाले देश भारत में वायु प्रदूषण के कारण कुल वैश्विक समय पूर्व मौतों और बीमारी के बोझ का 26% भाग शामिल है।
  • इंडिया स्टेट लेवल डीज़ीज़ बर्डन इनिशिएटिव, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research-ICMR), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (Public Health Foundation of India-PHFI) और इंस्टीट्यूट हेल्थ मेट्रिक्स और इवोल्यूशन (Institute for Health Metrics and Evaluation -IHME) का एक संयुक्त उद्यम है जो 100 से अधिक भारतीय संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से संचालित होता है।
  • शोध के मुख्य निष्कर्षों में यह तथ्य शामिल है कि वर्ष 2017 में भारत में 12.4 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं, जिसमें 6.7 लाख मौतें बाहरी पार्टिकुलेट मैटर वायु प्रदूषण और 4.8 लाख मौतें घरेलू वायु प्रदूषण के कारण हुईं।
  • वायु प्रदूषण के कारण हुई कुल मौतों में लगभग आधी से अधिक मौतें 70 वर्ष से कम उम्र के लोगों की हुईं। वर्ष 2017 में भारत की 77% आबादी राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों द्वारा अनुशंसित सीमा से ऊपर पार्टिकुलेट मैटर PM2.5 के संपर्क में थी।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में PM2.5 का संपर्क स्तर उच्चतम था, इसके बाद अन्य उत्तर भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा का स्थान था।
  • इस शोध पत्र में निष्कर्ष वायु प्रदूषण के सभी उपलब्ध आँकड़ों पर आधारित हैं जिनका विश्लेषण ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डीज़ीज़ स्टडी के मानकीकृत तरीकों का उपयोग करके किया गया था।
  • इसके अलावा, अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 2017 में भारत में प्रमुख गैर-संक्रमणीय बीमारियों के लिये वायु प्रदूषण के कारण विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years-DALYs) कम-से-कम उतना ही अधिक था जितना तंबाकू के उपयोग के कारण था।
  • अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण का निम्नतम स्तर जिससे स्वास्थ्य हानि होती है यदि कम हो जाए तो राजस्थान (2.5 वर्ष), उत्तर प्रदेश (2.2 वर्ष) और हरियाणा (2.1 साल) में उच्चतम वृद्धि के साथ भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 1.7 वर्ष अधिक होगी।
  • अध्ययन में इस बात का सुझाव दिया गया है कि वायु प्रदूषण के जोखिम और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिये नीतियों की योजना बनाते समय बाहरी और घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में राज्यों के बीच भिन्नताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिये।
  • ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के निदेशक प्रो रणदीप गुलरिया के अनुसार, "स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव तेज़ी से पहचाना जा रहा है। वायु प्रदूषण एक वर्ष भर की घटना है, खासकर उत्तर भारत में, जो श्वसन बीमारियों से कहीं अधिक स्वास्थ्य पर अन्य प्रभाव का कारण बनती है।"

राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक

  • राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (National Ambient Air Quality Standards-NAAQS) को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1961 के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 18 नवंबर, 2009 को अधिसूचित किया गया।
  • इसमें 12 प्रदूषकों को शामिल किया गया है- सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (NO2), PM-10, PM-2.5, ओजोन (O3), सीसा (Pb), कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO), अमोनिया (NH3), बेंजीन (C6H6), आर्सेनिक (As), निकिल (Ni), बेंजो पायरीन (BaP)।
  • इनमें से 3 प्रदूषकों (PM10, SO2 और NO2) की निगरानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा विभिन्‍न राज्‍य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (SPCB) एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिये प्रदूषण नियंत्रण समितियों (PCC) के सहयोग से 254 नगरों/शहरों में 612 स्‍थानों पर की जाती है।

स्रोत : द हिंदू

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