भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण और मृत्यु दर | 08 Jul 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में लैंसेट ने वर्ष 2008 और 2019 के बीच भारत के 10 प्रमुख शहरों में अल्पकालिक वायु प्रदूषण (PM2.5) जोखिम तथा मृत्यु दर के बीच संबंधों की जाँच करने वाला प्रथम बहु-शहरीय अध्ययन (First Multi-City Study) प्रकाशित किया है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु: अध्ययन से पता चला है कि जाँच किये गए 10 शहरों में प्रतिवर्ष 33,000 से अधिक मौतें (कुल मृत्यु दर का लगभग 7.2%) वायु प्रदूषण के कारण होती हैं।
- उच्चतम मृत्यु दर: दिल्ली में वायु प्रदूषण सबसे अधिक है, जहाँ वायु प्रदूषण के कारण होने वाली वार्षिक मौतों का 11.5% (12,000 मौतें) है।
- शिमला में सबसे कम मृत्यु दर: शिमला वायु प्रदूषण के कारण सबसे कम मृत्यु दर वाला शहर बन गया है, जहाँ प्रतिवर्ष केवल 59 मृत्यु (जो कुल मौतों का 3.7% है) होती हैं।
- सुरक्षित वायु गुणवत्ता मानकों का लगातार उल्लंघन: स्थापित वायु गुणवत्ता मानकों का लगातार उल्लंघन हुआ है। विश्लेषण किये गए दिनों में से 99.8% दिनों में PM2.5 सांद्रता लगातार विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization's- WHO) की सुरक्षित सीमा (15 μg/m³) से अधिक रही।
- प्रदूषण स्तर में वृद्धि के साथ स्वास्थ्य स्थिति पर प्रभाव: PM2.5 सांद्रता में प्रत्येक 10 μg/m³ की वृद्धि से दस शहरों में मृत्यु दर में 1.42% की वृद्धि हुई।
- अन्य शहरों की अपेक्षा कम प्रदूषित शहरों, जैसे कि बंगलुरु और शिमला, में PM2.5 सांद्रता में वृद्धि के साथ मृत्यु दर में वृद्धि की अधिक संभावना देखी गई।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू. एच. ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (ए. क्यू. जी.) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत 2005 के अद्यतन से ये किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (2021) |