‘एयर इंडिया’ के निजीकरण की योजना टली | 22 Jun 2018
संदर्भ
कुछ समय पूर्व सरकार ने एयरलाइंस की दुनिया में 'महाराजा' के नाम से जानी जाने वाली भारत की सरकारी विमानन सेवा एयर इंडिया के विनिवेश के लिये प्रस्ताव आमंत्रित किये थे। उल्लेखनीय है कि प्रस्ताव आमंत्रित करने के क्रम में निर्धारित तिथि तक किसी ने भी एयर इंडिया को खरीदने में रुचि नहीं दिखाई।
पृष्ठभूमि
- इस वर्ष मार्च के अंत में सरकारी विमानन सेवा एयर इंडिया के निजीकरण (विनिवेश) के लिये प्रस्ताव आमंत्रित किये गए थे, लेकिन 31 मई की तय समय सीमा के भीतर कोई प्रस्तावक सामने न आने की वज़ह से सरकार ने फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है|
- लगभग 47 हज़ार करोड़ के क़र्ज़ तथा अन्य देयताओं के बोझ तले दबे एयर इंडिया में सरकार अपना 76% हिस्सा बेचना चाहती थी| इसे खरीदने वाले को 33,392 करोड़ रुपए के कर्ज़ और वर्तमान देयताओं का भार भी उठाना पड़ता।
प्रमुख बिंदु
- सरकार ने एयर इंडिया के लिये 76% विनिवेश का प्रस्ताव रखा था।
- इस विनिवेश में भारी-भरकम ऋण तथा देयताएँ आड़े आईं।
- CAPA ने इसकी पुनर्संरचना की जरुरत बताई है।
- सरकार अपने जिस 76% हिस्से को बेचना चाहती थी, उसमें इसकी सहायक इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस के अलावा ग्राउंड हैंडलिंग इकाई AI-SATS (एयरपोर्ट इंडिया और सिंगापुर की एसएटीएस लिमिटेड का संयुक्त उद्यम) का 50% हिस्सा शामिल था।
- खरीदने वाले को 33,392 करोड़ रुपए के कर्ज़ और वर्तमान देयताओं का भार उठाना पड़ता।
- सरकार ने इस राष्ट्रीय विमानन कंपनी के प्रबंधन का नियंत्रण भी निजी कंपनी को देने का प्रस्ताव किया था।
- अन्य विमान सेवाओं ने एयर इंडिया के भारी-भरकम क़र्ज़ के अलावा सरकार द्वारा 24% हिस्सेदारी अपने पास रखने पर भी सवाल उठाए।
- लगभग 15 हज़ार कर्मियों को मिलने वाले लाभ और दायित्वों को लेकर भी स्थिति स्पष्ट न होने की बात सामने आई।
- सरकार ने 24% हिस्सा अपने पास रखने के पीछे तर्क यह दिया था कि इससे खरीदने वाले पर क़र्ज़ का भार 25 हज़ार करोड़ रुपए कम पड़ता।
- इसकी हालत सुधारने के लिये निजी क्षेत्र से अनुभवी व्यक्तियों को शीर्ष पदों पर लाने का प्रयास किया जाएगा तथा साथ ही कॉस्ट कटिंग के नए तरीके खोजे जाएंगे।
- धन की कमी की समस्या को कम करके विमान सेवा को सुचारू रूप से चलाने के लिये एयर इंडिया की संपत्ति का मौद्रीकरण करने के प्रयास किये जाएंगे।
- एयरलाइन को परिचालन लाभ प्राप्त हो रहा है तथा दक्ष लागत व्यवस्था के ज़रिये परिचालन दक्षता में सुधार के प्रयास किये जाएंगे।
- सरकार एयर इंडिया के पुनरोद्धार के ज़रिये उसे कुल लाभ की स्थिति में लाने का प्रयास कर रही है, ताकि इसे सूचीबद्ध कराया जा सके।
- फिलहाल नकदी की समस्या से जूझ रही एयर इंडिया अपने लगभग 15 हज़ार स्थायी तथा संविदा कर्मियों को इस माह का वेतन नहीं दे पाई है और इसके लिये सरकार से 1000 करोड़ रुपए का अल्पावधि क़र्ज़ मांगा है।
- विनिवेश प्रस्ताव पर कोई भी प्रस्ताव न मिलने के कारण फिलहाल सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है तथा इसे बाद में पुनः लाने की बात कही है। इसके लिये विमान ईंधन की बढ़ती कीमतों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
एयर इंडिया
- एयर इंडिया 140 विमानों वाली देश की सबसे बड़ी विमान सेवा है तथा इसके विमान 41 अंतर्राष्ट्रीय और 72 घरेलू गंतव्यों पर उड़ान भरते हैं।
- यह भारत की सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय वाहक भी है, जिसकी बाज़ार में हिस्सेदारी 17% है और यह घरेलू यात्री बाज़ार के 14.6% भाग पर नियंत्रण रखती है।
CAPA का सुझाव
- एयर इंडिया की हालत को देखते हुए सिडनी के शोध संस्थान सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (CAPA) ने सरकार से इसका व्यापक स्तर पर पुनर्गठन करने को कहा है।
- उसने विनिवेश को टालने को भी सही नहीं ठहराया और एयर इंडिया के निजीकरण के लिये नियमों को सरल बनाने तथा पूरी बिक्री प्रक्रिया और शर्तों पर फिर से काम करने की आवश्यकता बताई।
- कापा के अनुसार, इस विफलता के बाद विनिवेश की योजना को छोड़ना उचित नहीं होगा तथा सरकार को एयर इंडिया के निजीकरण से संबंधित नियमों को सरल बनाना चाहिये।
- कंपनी को एक आकर्षक निवेश अवसर के रूप में सामने आने के लिये पूरी बिक्री प्रक्रिया और शर्तों पर फिर से काम करने की आवश्यकता है।
निजीकरण क्या है?
- निजीकरण का तात्पर्य किसी संपत्ति अथवा कारोबार का स्वामित्व सरकारी संगठन से स्थानांतरित कर किसी निजी संस्था को देना है।
- इसके अतिरिक्त इसमें सार्वजनिक रूप से चलने वाली कंपनी का कार्यभार किसी निजी स्वामित्व वाली कंपनी को सौंप दिया जाता है।
- निजीकरण होने से सरकार के वित्त भार तथा करों से जुड़े जोखिम समाप्त हो जाते हैं तथा निजीकृत इकाई की दक्षता और प्रतिस्पर्द्धा में भी सुधार होता है।