बजट 2018-19 में कृषि संबंधी पहलें | 02 Feb 2018
कृषि को एक उद्यम की तरह विकसित करने, कम आगतों से अधिक कृषि उत्पादकता हासिल करने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये बजट 2018-19 में कृषि क्षेत्र हेतु अनेक नई पहलों की घोषणा की गई है। इनका उद्देश्य किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की ओर आगे बढना है।
ऑपरेशन ग्रीन्स
- 500 करोड़ रुपए की राशि के साथ ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ लॉन्च करने की घोषणा की, ताकि जल्द नष्ट होने वाली जिंसों जैसे कि आलू, टमाटर और प्याज की कीमतों में तेज़ उतार-चढ़ाव की समस्या से निपटा जा सके।
- ‘ऑपरेशन फ्लड’ की तर्ज पर शुरू किया गया ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ इस क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producers Organizations-FPOs), कृषि-लॉजिस्टिक्स, प्रसंस्करण सुविधाओं और क्षेत्र के व्यावसायिक प्रबंधन को बढ़ावा देगा।
- 100 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली किसान उत्पादक कंपनियों (Farmer Producer Companies-FPCs) को होने वाले लाभों के संदर्भ में पांच वर्षों की अवधि तक 100 प्रतिशत तक कटौती की घोषणा की है, जिसकी शुरुआत वित्त वर्ष 2018-19 से होगी।
- इसके पीछे मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में कटाई उपरांत मूल्य संवर्द्धन में व्यावसायिकता को बढ़ावा देना है।
जैविक खेती को बढ़ावा
- बड़े पैमाने पर जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु बड़े क्लस्टरों, विशेषकर प्रत्येक 1000 हेक्टेयर में फैले क्लस्टरों में किसान उत्पादक संगठनों और ग्रामीण उत्पादक संगठनों (Village Producers’ Organizations-VPOs) में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। पूर्वोतर तथा पहाड़ी राज्यों को इस योजना का विशेष लाभ प्राप्त होगा।
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के तहत क्लस्टरों में जैविक खेती करने के लिये महिला स्वयं सहायता समूहों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
ग्रामीण कृषि बाजार (Gramin Agricultural Market-GrAM)
- भारत में 86 प्रतिशत से भी अधिक छोटे एवं सीमांत किसान हैं जो सीधे APMC या अन्य थोक बाज़ारों में लेन-देन करने की स्थिति में हमेशा नहीं होते हैं।
- इसके समाधान के लिये मौजूदा 22,000 ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों (Gramin Agricultural Markets-GrAMs) के रूप में विकसित किया जाएगा।
- इन GrAMs में मनरेगा तथा अन्य सरकारी योजनाओ का उपयोग करते हुए भौतिक बुनियादी ढाँचे को बेहतर किया जाएगा और इन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप से ई-नाम (e-NAM) से जोड़ा जाएगा तथा APMC के नियमन के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
- इससे किसान सीधे उपभोक्ताओं और व्यापक खरीदारी करने वालों को अपनी उपज बेच सकेंगे।
- कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC), कृषि उत्पाद बाजार समिति अधिनियम, 2003 (Agricultural Produce Market Committee Act) के तहत कृषि, बागवानी या पशुधन उत्पादों के व्यापार के लिये स्थापित एक सांविधिक निकाय है। इसे राज्य सरकारों द्वारा गठित किया जाता है।
- पिछले बजट में सरकार ने ई-नाम को मजबूत करने और 585 APMC मंडियों तक ई-नाम का कवरेज बढ़ाने की घोषणा की थी।
- अब तक 470 APMC मंडियों को ई-नाम नेटवर्क से जोड़ दिया गया है और शेष को मार्च 2018 तक जोड़ दिया जाएगा।
- इसके अलावा 22,000 GrAMs और 585 APMC मंडियों में कृषि विपणन से संबंधित बुनियादी ढाँचे को विकसित करने के लिये 2000 करोड़ रुपए की राशि वाला कृषि-बाजार ढाँचागत कोष (Agri-Market Infrastructure Fund) बनाया जाएगा।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र
- प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना खाद्य प्रसंस्करण में निवेश को बढ़ावा देने वाला प्रमुख कार्यक्रम है और यह क्षेत्र औसतन 8% वार्षिक दर से संवृद्धि कर रहा है।
- इस क्षेत्र के लिये बजटीय आवंटन बढ़ाकर विशिष्ट कृषि-प्रसंस्करण वित्तीय संस्थानों की स्थापना की जाएगी तथा सभी 42 मेगा फूड पार्कों में अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाओं की स्थापना की जाएगी।
पशुधन
- मत्स्य पालन एवं पशुपालन क्षेत्र के छोटे और सीमांत किसानों की कार्यशील पूंजी संबंधी ज़रूरतों की पूर्ति में सहायता के लिये किसान क्रेडिट कार्डों (Kisan Credit Cards-KCC) की सुविधा अब इस क्षेत्र को भी देने का प्रस्ताव रखा गया है।
- इससे भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गी एवं मत्स्य पालन के लिये फसल ऋण और ब्याज सब्सिडी का लाभ मिल सकेगा, जो अभी तक KCC के तहत केवल कृषि क्षेत्र को ही उपलब्ध था।
- कृषि क्षेत्र में उच्च विकास दर प्राप्त करने के लिये पूंजीगत निवेश को बढ़ाने की आवश्यकता को देखते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र के लिये मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि बुनियादी ढाँचागत विकास कोष (Fisheries and Aquaculture Infrastructure Development Fund-FAIDF) और पशुपालन क्षेत्र की ढाँचागत ज़रूरतों के वित्तपोषण के लिये पशुपालन बुनियादी ढाँचागत विकास कोष (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund-AHIDF) स्थापित किया जाएगा।
- इनके माध्यम से राज्य सरकारों, सहकारी समितियों और व्यक्तिगत निवेशकों को मत्स्यिकी तथा पशुपालन संबंधी आधारभूत संरचनाओं के लिये सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जाएगा
पुनर्गठित राष्ट्रीय बाँस मिशन (Re-structured National Bamboo Mission)
- बाँस को ‘हरित सोना’ की संज्ञा देते हुए कृषि तथा गैर-कृषि क्रियाकलापों को बढ़ाने के लिये 1290 करोड़ रुपए के पुनर्गठित राष्ट्रीय बाँस मिशन (Re-structured National Bamboo Mission) लॉन्च करने की घोषणा की गई है जो बाँस मूल्यवर्द्धन श्रृंखला की बाधाएँ दूर करने और समग्र रूप से बाँस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये क्लस्टर अवधारणा पर आधारित होगा।
- बाँस उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने, संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण एवं विपणन के लिये सुविधाओं के सृजन, सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योगों, कौशल निर्माण और ब्रांड निर्माण पर केंद्रित होने के कारण यह योजना किसानों के लिये अतिरिक्त आय, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के कुशल एवं अकुशल युवाओं के लिये रोजगार अवसर सृजित करने में सहायक होगी।
अन्य महत्त्वपूर्ण घोषणाएं
- अब तक अघोषित सभी खरीफ फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत का कम-से-कम 1.5 गुना तय करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि रबी फसलों के लिये यह निर्णय पहले से ही लागू कर दिया गया है।
- इसके लिये नीति आयोग, केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशविरा कर एक व्यवस्था कायम करेगा, जिससे कि किसानों को उनकी उपज की पर्याप्त कीमत मिल सके।
- किसानों तक समय पर ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिये संस्थागत ऋण को वर्ष 2017-18 के 10 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 11 लाख करोड़ रुपए करने की घोषणा की है।
- बजट में Price and Demand Forecasting के लिये एक संस्थागत तंत्र (Institutional Mechanism) की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है। इसके माध्यम से किसान समय पर यह निर्णय ले सकेंगे कि उन्हें कितनी मात्रा में कौन सी फसल उगाने से अधिक लाभ होगा।
- इस बजट में ‘Model Land License Cultivator Act’ की भी घोषणा की गई है जिसके माध्यम से बंटाईदार तथा ज़मीन को किराये पर लेकर खेती करने वाले छोटे किसानों को भी संस्थागत ऋण व्यवस्था का लाभ मिल सकेगा। इसके लिये नीति आयोग राज्य सरकारों के साथ मिलकर आवश्यक कार्यवाई करेगा।