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हाथी गलियारों के संरक्षण हेतु समझौता

  • 05 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में एशियाई हाथी समझौते के तहत पाँच गैर-सरकारी संगठनों द्वारा एक अम्ब्रेला पहल (Umbrella Initiative) की शुरुआत की गई है जिसमें भारत के 12 राज्यों में हाथियों के लिये मौजूदा 101 गलियारों में से 96 गलियारों को एक साथ सुरक्षित किये जाने का प्रावधान किया गया है। एक सर्वेक्षण के दौरान देश में सात हाथी गलियारों की स्थिति बहुत खराब पाई गई है।


नई पहल

  • संयुक्त उद्यम द्वारा आने वाले दस वर्षों में पुराने और नए 96 हाथी गलियारों के संरक्षण के लिये लगभग 1,187.16 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इस समझौते के तहत गलियारों के लिये आवश्यक भूमि (Land) प्राप्त करने में आने वाली बाधाओं हेतु धन जुटाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) एलीफेंट कॉरिडोर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट-साउथ इंडिया (Elephant Corridor Securement Project-South India) के मैनेजर के अनुसार, वर्तमान में तलाई-चमारजनगर हाथी कॉरिडोर (Talamai-Chamarajnagar Elephant Corridor) नाम के तमिलनाडु-कर्नाटक अंतर-राज्यीय गलियारे को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है।
  • 2012-15 के दौरान किये गए अध्ययन में WTI द्वारा निर्धारित 101 हाथी कॉरिडोर में से पाँच को WTI द्वारा संरक्षणकर्त्ता साझेदारों तथा राज्यों की सहायता से पहले ही सुरक्षित कर लिया गया है, शेष 96 हाथी कॉरिडोर को अगले 10 वर्षों में सुरक्षित किया जाना है।

संयुक्त प्रयास के रूप में

  • इस समझौते में WTI के साथ NGO एलीफेंट फैमिली (NGOs Elephant Family), इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर (International Fund for Animal Welfare), IUCN नीदरलैंड और वर्ल्ड लैंड ट्रस्ट (World Land Trust) शामिल हैं।
  • हाल ही में किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, झारखंड, यूपी, असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सात हाथी गलियारों की स्थिति भूमि संबंधी समस्याओं के कारण पहले ही ख़राब हो चुकी है।

वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (WTI)

  • WTI का गठन नवंबर 1998 में भारत में वन्यजीवों की तेज़ी से बिगड़ती स्थिति में सुधार हेतु किया गया था।
  • यह एक भारतीय प्रकृति संरक्षण संगठन है जो वन्यजीवों और उनके निवास स्थान को संरक्षित करता है, साथ ही व्यक्तिगत स्तर पर जंगली जानवरों के कल्याण के लिये काम करता है।
  • इसको गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की आबादी बढ़ाने, प्रजाति का स्थानांतरण, मनुष्य एवं जीवों के बीच टकराव कम करने, हाथियों, बाघों, तेंदुओं, एक सींग वाले गैंडे और भालू सहित अन्य जानवरों के पुनर्वास एवं संरक्षण का श्रेय दिया जाता है।
  • भारत में WTI आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 12A के तहत एक पंजीकृत दान-दात्री संस्था है।

स्रोत – द हिंदू

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